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बाएं से अपने दोस्त के साथ हुकुमचंद Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. सपनों की उड़ान कितनी लंबी हो सकती है, इसका अंदाजा आप इस कहानी से लगा सकते हैं। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने लंदन से भोपाल तक कार से सफर करने का ख्वाब देखा और उसे सच करने में दो साल लगा दिए।
नतीजा, 35 दिन की थकान भरी, रोमांचक और अनोखी यात्रा पूरी हुई, जिसमें इंजीनियर को 19 देशों की सरहदें पार करनी पड़ीं। इस सफर में उनके करीब एक करोड़ रुपए खर्च हो गए। इन सबके बाद जब भोपाल की मिट्टी ने उनका स्वागत किया तो थकान पलभर में गायब हो गई।
यह कहानी 42 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर हुकुमचंद रतनचंद शाह की है। महाराष्ट्र के सोलापुर के मूल निवासी हुकुमचंद ने अपनी यात्रा की शुरुआत लंदन से की। साथ में उनके दोस्त अभिजीत पाटिल भी थे। दोनों ने यूरोप से होते हुए एशिया की कठिन राहें नापीं।
चीन में 12 दिन गुजारे, वहां के लोग उन्हें देखते ही मुस्कुराते और सम्मान के साथ अपनापन जताते। हर देश में उनकी हिम्मत की तारीफ होती रही। शाह कहते हैं, यह सिर्फ रोड ट्रिप नहीं थी, मेरे लिए यह संस्कृतियों को जोड़ने वाला सफर रहा।
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आसान नहीं था लंदन से भोपाल यात्रा
दोनों दोस्तों का सफर आसान नहीं रहा। नेपाल पहुंचने पर भूस्खलन हुआ तो सफर थम गया। मौसम साफ होने का इंतजार किया, लेकिन बात नहीं बनी। फिर हुकुमचंद को अपनी करोड़ों की कार नेपाल में ही छोड़नी पड़ी और वे फ्लाइट से भोपाल आए। अब वे उस कार को नेपाल से मुंबई तक लाने के लिए फिर दो हजार किलोमीटर का सफर तय करेंगे।
आपको बता दें कि इस यात्रा के लिए शाह ने पिछले साल 75 लाख रुपए की नई कार खरीदी थी। बाकी खर्च वीजा, होटल, फ्यूल, खानपान सब मिलाकर करीब 35 लाख रुपए और आया। इस तरह कुल एक करोड़ रुपए खर्च हुए। क्या यह महंगा सौदा था? इस सवाल के जवाब में हुकुम हंसते हुए कहते हैं, सपनों की कीमत पैसों से नहीं तौली जाती। यह जीवन का सबसे यादगार अनुभव है।
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भोपाल क्यों आए शाह?शाह ने यह सफर भोपाल में अपनी पत्नी, बच्चों और ससुराल वालों के साथ 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए किया। उनकी पत्नी ऋचा शाह लंदन के बैंक में काम करती हैं। वे बच्चों के साथ पहले ही भोपाल आ चुकी थीं। हुकुम के भोपाल पहुंचने पर ससुराल वालों ने उनका गर्मजोशी से सत्कार किया और सबने मिलकर आजादी की वर्षगांठ मनाई। पूरे परिवार के लिए ये स्वतंत्रता दिवस खास बन गया। ऋचा कहती हैं, मेरे पति ने ऐसा सपना पूरा किया है, जो बहुतों के लिए कल्पना है। हमें उन पर फख्र है। |
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पहले भी कर चुके ऐसा सफर
हुकुमचंद इस स्वतंत्रता दिवस यात्रा से पहले भी कई कार यात्रा कर चुके हैं। पुणे से लेह-लद्दाख की कठिन सड़कों पर उन्होंने कार दौड़ाई है, लेकिन लंदन से भोपाल तक कार से आने का ख्याल उन्हें सालों से चैन नहीं लेने दे रहा था। अब, सपना यह पूरा हो गया है।
यह कहानी सिर्फ कार ट्रिप की नहीं है। यह जुनून की, साहस की और उस दीवानगी की मिसाल है, जो इंसान को सरहदों से परे ले जाती है। हुकुमचंद की यह यात्रा बताती है कि अगर सपने सच करने का जज्बा हो तो लंदन से भोपाल तक का रास्ता भी सिर्फ मंजिल तक पहुंचने का बहाना बन जाता है।
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