लव जिहाद की आड़ में मुस्लिमों को बदनाम करने के आरोप में HC में याचिका, संविधान उल्लंघन की बात

यह पूरा मामला भोपाल के एक निजी कॉलेज से जुड़ा है, जहां पिछले एक महीने में छह छात्राओं ने यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेल की शिकायतें दर्ज कराई थीं। 

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Neel Tiwari
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Love Jihad Muslim allegation

Photograph: (THESOOTR)

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भोपाल में हाल ही में सामने आए बलात्कार और ब्लैकमेल मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। मध्य प्रदेश हाइकोर्ट में एक अहम याचिका दाखिल की गई है, जिसमें दो हिंदी दैनिक समाचार पत्रों पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने और मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने का आरोप लगाया गया है। 
याचिका में न सिर्फ दोनों अखबारों के संपादकों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई है, बल्कि सरकार को अखबारों की विभाजनकारी रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के लिए सख्त निवारक उपाय करने के निर्देश देने का आग्रह भी किया गया है।

बलात्कार कांड की संवेदनशीलता के बीच लव जिहाद की एंट्री

यह पूरा मामला भोपाल के एक निजी कॉलेज से जुड़ा है, जहां पिछले एक महीने में छह छात्राओं ने यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेल की शिकायतें दर्ज कराई थीं। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी फरहान, जो कॉलेज का पूर्व छात्र है, फर्जी पहचान बनाकर छात्राओं से दोस्ती करता था, फिर उनके आपत्तिजनक वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करता था। आरोप है कि वह पीड़िताओं को अन्य पुरुषों से मिलवाने के लिए भी मजबूर करता था। पुलिस ने इस मामले में अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

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संप्रभुता और धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों को चुनौती 

याचिकाकर्ता का कहना है कि कुछ समाचार पत्रों ने इस आपराधिक मामले को “लव जिहाद” का नाम देकर एक पूरे समुदाय को कठघरे में खड़ा कर दिया है। जबकि ‘लव जिहाद’ का न तो कोई कानूनी आधार है और न ही किसी कानून में इसका उल्लेख मिलता है। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की कवरेज न केवल संवेदनशील सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि देश की संप्रभुता और धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों को भी चुनौती देती है।

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याचिकाकर्ता ने नाम रखा गोपनीय, 19 जून को सुनवाई

याचिका भोपाल निवासी एक मुस्लिम व्यक्ति ने 19 मई को दाखिल की है, जो सुरक्षा कारणों से अपना नाम गुप्त रखना चाहते हैं। उनके वकील दीपक बुंदेले ने बताया कि याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (भेदभाव से संरक्षण), अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। अदालत ने मामले की सुनवाई 19 जून को गर्मी की छुट्टियों के बाद के लिए लिस्ट की है।

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थाने में दर्ज शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई

याचिकाकर्ता ने 30 अप्रैल को ऐशबाग थाने में भी एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दोनों समाचार पत्रों की रिपोर्टिंग को लेकर आपत्ति जताई गई थी। हमें मिली जानकारी के अनुसार दैनिक भास्कर और नई दुनिया अखबारों में छपी खबरों के खिलाफ यह शिकायत की गई थी, लेकिन आरोप है कि अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। वकील बुंदेले ने बताया कि पुलिस की निष्क्रियता को भी याचिका में आधार बनाया गया है। याचिका के साथ संबंधित शिकायत की प्रति भी अदालत को सौंपी गई है।

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मुद्दा रिपोर्टिंग की भाषा और मंशा का है

याचिका में कहा गया है कि अखबारों को अपराध की रिपोर्टिंग का अधिकार है, लेकिन वह अधिकार जिम्मेदारी के साथ जुड़ा होता है। यदि किसी अपराधी की पहचान, धर्म या पृष्ठभूमि के आधार पर पूरी एक कौम को दोषी ठहराया जाए, तो वह रिपोर्टिंग नहीं, बल्कि घृणा फैलाने का कृत्य होता है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि समाचार पत्रों ने जानबूझकर ऐसे शब्दों और शीर्षकों का इस्तेमाल किया, जो सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने वाले हैं।

अखबारों की आजादी सांप्रदायिक भड़कावे की छूट है?

यह याचिका सिर्फ भोपाल के एक आपराधिक मामले से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में अखबारों की भूमिका और सीमाओं पर एक नई बहस को जन्म देती है। सवाल यह है कि क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कोई भी मीडिया संस्थान किसी समुदाय विशेष को सामूहिक रूप से अपराधी ठहराने का अधिकार रखता है? क्या ‘लव जिहाद’ जैसे अप्रामाणिक और धार्मिक रूप से विभाजनकारी शब्दों के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगनी चाहिए?

फैसला सिर्फ अदालत का नहीं, समाज का भी होगा

19 जून को जब यह मामला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में सुना जाएगा, तो वह केवल एक संवैधानिक और कानूनी बहस नहीं होगी, बल्कि यह तय करेगा कि मीडिया की शक्ति के साथ कौन-सी नैतिक और संवैधानिक ज़िम्मेदारियाँ जुड़ी हैं। यह भी देखा जाएगा कि क्या सरकार और न्यायपालिका ऐसे मामलों में समय रहते हस्तक्षेप कर सकती हैं, या फिर समाज को खुद ही तय करना होगा कि उसे कैसी पत्रकारिता चाहिए  तथ्य आधारित या सांप्रदायिक उकसावे से भरी हुई।

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