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BHOPAL. नेपाल राजघराने में जन्मीं माधवीराजे सिंधिया ( Madhavi Raje Scindia ) शादी से पहले किरण राजलक्ष्मी से जानी जाती थीं। दिल्ली में शाही परिवार में पहली बार किरण राजलक्ष्मी से मिले माधव राव ( Madhavrao ) सिंधिया पहली नजर में उन्हें दिल दे बैठे थे। सिंधिया की मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया का ताल्लुक भी नेपाल से है।
पहली ही नजर में दिल दे बैठे थे माधव
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले ग्वालियर राजघराने के महाराजा माधवराव सिंधिया छुट्टियां मनाने अपने घर दिल्ली आए थे। इस दौरान माधवराव सिंधिया दिल्ली में एक शादी समारोह में शामिल हुए थे। वहां उन्होंने एक लड़की को चिप्स और आइसक्रीम का ऑर्डर देते देखा। वो लड़की कोई और नहीं माधवी राजे सिंधिया थीं। जिससे एक साल बाद उनकी शादी हो गई।
यहां हुई थी माधवी राजे और माधवराव की मुलाकात
जानकारी के मुताबिक एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपनी किताब में माधवी राजे और माधवराव की मुलाकात का जिक्र किया है। उन्हों ने लिखा है- अगस्त 1965 में माधवराव सिंधिया गर्मी की छुटि्टयों में दिल्ली आए थे। तब वे ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई कर रहे थे। दिल्ली के अशोका होटल में एक शादी समारोह में पहली बार उनकी मुलाकात माधवी राजे सिंधिया से हुई थी। वहां माधवी को आइसक्रीम और चिप्स का ऑर्डर देते हुए देखकर, माधवराव को हंसी आ गई। उन्होंने माधवी से पूछा, “आप इतनी दूर नेपाल से यहां केवल आइसक्रीम और चिप्स खाने आई हैं? माधवराव के रिश्ते की बहन मीना भी उस शादी में मौजूद थीं।
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पहली ही नजर में दिल दे बैठे थे माधव
कहा जाता है कि माधवी को देखने के बाद माधवराव सिर्फ उनकी ही बातें करते थे। माधवी को उन्होंने पहली नजर में ही पसंद कर लिया था। उन्होंने अपनी मां विजयाराजे सिंधिया से ये बात बताई थी। हालांकि विजयाराजे सिंधिया कुछ करती इससे पहले ही माधवी राजे का रिश्ता आ गया। राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी नेपाल राजघराने की थीं। ग्वालियर के तत्कालीन महाराज माधवराव सिंधिया से माधवी की शादी 8 मई 1966 को हुई थी।
बारात के लिए स्पेशल ट्रेन का इंतजाम
60 के दशक में सिंधिया परिवार में नेपाल राजघराने की तरफ से शादी का प्रस्ताव आया था, जिसे ग्वालियर घराने ने स्वीकार कर लिया। शादी से पहले उनका नाम किरण राज लक्ष्मी था, जिसे मराठी परंपरा के अनुसार बदलकर माधवी राजे सिंधिया किया गया। माधवराव सिंधिया और माधवी राजे सिंधिया की शादी के सारे कार्यक्रम दिल्ली में हुए थे। इसमें विदेश से भी मेहमान आए थे। बारात ले जाने के लिए विशेष ट्रेन का इंतजाम किया गया। यह ट्रेन ग्वालियर से बारात लेकर दिल्ली पहुंची थी।
महल के रास्ते तक बिछाए थे फूल
8 मई 1966 को हुई शादी के बाद माधवी राजे सिंधिया परिवार की बहू बनकर ग्वालियर लौटी थीं। जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। दिल्ली से लेकर उनके महल के रास्ते तक फूल बिछाए गए थे।