मध्य प्रदेश विधानसभा में बुधवार को पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में गंभीर समस्याओं को उजागर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के 10 मेडिकल कॉलेजों में 34 हजार 643 मरीजों को आईसीयू में भर्ती किया गया, जिनमें से 48.64% मरीज श्वास और हृदय रोगों से संबंधित थे। इनमें से 3 हजार 25 मरीजों की मौत हुई।
5 सालों में स्वास्थ्य सेवाओं पर 45 हजार 324 करोड़ रुपए खर्च
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि पिछले पांच सालों में स्वास्थ्य सेवाओं पर 45 हजार 324 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद, सांस और हृदय रोगों के इलाज के लिए जरूरी 16 दवाओं में से 11 मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पाईं। इसके अलावा, कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं के इलाज के लिए 26 अहम दवाएं भी उपलब्ध नहीं थीं।
कैग ने इन दवाओं की कमी को गंभीर चिंता का विषय बताया। इस दौरान, 448 बेहद अहम दवाओं का स्टॉक भी नहीं पाया गया। साथ ही, भोपाल के हमीदिया अस्पताल, ग्वालियर के जेएएच और छिंदवाड़ा के सिम्स में 1.11 करोड़ रुपए की 263 दवाएं एक्सपायर हो गईं।
201 मशीनें खराब
रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया कि 14 स्वास्थ्य संस्थाओं के सीएमएचओ स्टोर में 1 करोड़ 20 लाख रुपए कीमत की 201 मशीनें खराब पाई गईं, जिन्हें 9 से 8 महीने तक किसी भी वार्ड में इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके अलावा, 263 टेंडर में से 30 टेंडर में 6 महीने से 1 साल तक की देरी देखने को मिली।
कैग की रिपोर्ट में कोरोना काल (2017-2022) का भी जिक्र है, जिसमें दवाओं की खरीदारी योजना में 13 महीने की देरी से जानकारी दी गई।
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