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मध्य प्रदेश में 13% ओबीसी आरक्षण पर रोक को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। इस पर आज (4 अगस्त) सुनवाई हुई। कोर्ट रूम नंबर 06 में यह सुनवाई (सीरियल नंबर 59) हुई। ओबीसी महासभा की ओर से अधिवक्ता वरुण ठाकुर, धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा और एड. रामकरण ने पक्ष रखा।
जानें सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा...
ओबीसी 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर लगी अंतरिम रोक हटाने के लिए सोमवार, 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। इसमें एक बार फिर सरकार बीती हुई सुनवाई की तर्ज पर ही ओबीसी के पक्ष में दिखी और कहा कि अंतरिम रोक लगी है, उसे हटाया जाए। ओबीसी पक्षकार से कहा गया कि परीक्षा हो चुकी है, भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन नियुक्ति नहीं दी जा रही है। छत्तीसगढ़ जैसी राहत दी जाए। करीब साढ़े चार मिनट की बहस चली। इस पर अनारक्षित वर्ग द्वारा 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिए जाने पर बात रखी गई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अगले मंगलवार (12 अगस्त) को सबसे पहले सुनवाई के लिए रखने का आदेश दिया। संभवतः यह अंतिम सुनवाई होगी।
पिछली सुनवाई में छत्तीसगढ़ का दिया था हवाला
मध्य प्रदेश में 2019 में ओबीसी को 27% आरक्षण देने के लिए एक्ट पास हुआ था, लेकिन अभी तक भर्तियां नहीं हो रही हैं और मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। 22 जुलाई को हुई सुनवाई में मप्र सरकार ने राहत की मांग की। उन्होंने कहा कि जैसे छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी है, वैसे ही मप्र को भी राहत दी जाए ताकि भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सके।
ओबीसी पक्षकार ने भी एक्ट को लागू करने की मांग की, जबकि अनारक्षित पक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मप्र और छत्तीसगढ़ के मामलों में अंतर है, क्योंकि मप्र में ओबीसी आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% किया गया, जबकि छत्तीसगढ़ में एसटी आबादी अधिक होने के कारण वहां का आरक्षण पहले जैसा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को बिना आदेश के आगे बढ़ा दिया।
अभ्यर्थियों को जल्द उनका हक मिले- सीएम यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार (29 जुलाई) को विधानसभा में घोषणा की कि ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण डंके की चोट पर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि 13 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को उनका हक मिले और उनकी नौकरी योग्यता के आधार पर तय हो।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के सवालों को बेबुनियाद बताया और कहा कि कई विभागों में जहां कोर्ट में स्टे नहीं था, वहां ओबीसी आरक्षण लागू किया जा चुका है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कोर्ट में अपने पक्ष को मजबूती से रखेगी। बैठक में उन्होंने यह उदाहरण भी दिया कि कांग्रेस किस तरह सरकारी कामों का श्रेय लेने का प्रयास करती है, जैसे हाल ही में गुना जिले में एक दुर्घटना में मारे गए पांच लोगों के परिवारों को मुआवजा देने के बाद कांग्रेस ने इसे अपने प्रयासों का परिणाम बताया।
ये हैं ओबीसी आरक्षण मामले में याचिकाकर्ता और प्रतिवादी
याचिकाकर्ता (Petitioners)
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निश्चै सोनबर्से
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सुनीत यादव
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सत्यम बिसेन
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विरेंद्र सिंह
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अंकित बिसेन
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धीरज परमार
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सोमवती पटेल
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प्रवेश गजबे
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नीलेश कुमार गरसिया
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अजय कुमार महोर
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शक्ति राय
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लोल एंड्रा धाकड़
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प्रज्वल रहांगदाले
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सर्वेश पटेल
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कीर्ति चौकसी
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आयुषी राठौर
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अभिषेक साहू
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विकास यादव
प्रतिवादी (Respondents)
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मध्य प्रदेश का राज्य (Government of Madhya Pradesh)
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अतिरिक्त मुख्य सचिव (Additional Chief Secretary)
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प्रमुख सचिव (Principal Secretary)
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मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (Madhya Pradesh Public Service Commission)
ओबीसी आरक्षण मामले की टाइमलाइनमार्च 2019:
मार्च 2019:
दिसंबर 2021:
अगस्त 2023:
28 जनवरी 2025:
13 फरवरी 2025:
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27% ओबीसी रिजर्वेशन | 27% reservation | MPPSC 13% Hold Result
OBC RESERVATION | Supreme Court | मध्यप्रदेश | MPPSC के 13% पद अनहोल्ड