मध्यप्रदेश के स्कूलों में पिछले सात साल में बच्चों की संख्या में गिरावट आई है। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि सरकारी और प्राइवेट स्कूलों से 22 लाख स्टूडेंट्स कम हो गए हैं। यह तब है जब राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को वर्ल्ड क्लास बनाने के बड़े दावे किए हैं, और साउथ कोरिया और दिल्ली जैसे शिक्षा मॉडल को लागू करने के लिए कई बार अफसरों ने विदेश यात्रा की है।
12 लाख 23 हजार बच्चों की संख्या घटी
2016-17 से लेकर 2023-24 तक, मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में 12 लाख 23 हजार 384 बच्चों की संख्या घटी है। इसमें सबसे ज्यादा कमी कक्षा 1 से 5 में 6 लाख 35 हजार 434 बच्चों की हुई, जबकि कक्षा 6 से 8 में 4 लाख 83 हजार 171 और कक्षा 9 से 12 में 1 लाख 4 हजार 479 बच्चों की कमी आई। हालांकि, इस दौरान सरकारी स्कूलों के लिए बजट में 80% की बढ़ोतरी हुई। 2016-17 में शिक्षा पर खर्च 16 हजार 226 करोड़ था, जो 2023-24 में बढ़कर 29 हजार 468 करोड़ हो गया। इसी तरह, प्रति छात्र औसत खर्च भी बढ़कर 16 हजार 672 रुपए से 34 हजार 631 रुपए हो गया है। इसके अलावा, कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को मुफ्त किताबें दी गईं।
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प्राइवेट स्कूलों में भी बच्चों की संख्या में कमी
वहीं, प्राइवेट स्कूलों में भी बच्चों की संख्या में कमी आई है। 2016-17 से 2023-24 तक प्राइवेट स्कूलों में 9 लाख 26 हजार 051 बच्चों की संख्या घटी। इसमें कक्षा 1 से 5 में 6 लाख 25 हजार 409, कक्षा 6 से 8 में 15 हजार 656 और कक्षा 9 से 12 में 2 लाख 84 हजार 986 बच्चों की कमी आई।
कांग्रेस की मांग
कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने इस गिरावट को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की। उनका कहना था कि 2010-11 में सरकारी स्कूलों में 1 करोड़ 5.29 लाख नामांकन थे, जो 2022-23 में घटकर 65.48 लाख रह गए। इसी तरह, सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कुल नामांकन 1 करोड़ 54 लाख से घटकर 1 करोड़ 8 लाख हो गया। उनका सवाल था कि जब राज्य की जनसंख्या एक करोड़ बढ़ी है, तो बच्चों की संख्या में इतनी बड़ी कमी क्यों आई?
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स्कूल शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?
इस पर स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा कि नामांकन में कमी का मुख्य कारण 0 से 6 साल के बच्चों की जनसंख्या में कमी है। इसके अलावा, चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम की वजह से डेटा में सुधार हुआ है और कुछ बच्चे स्कूल से बाहर हो गए हैं, इसलिए श्वेत पत्र जारी करने की जरूरत नहीं है।
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