मध्य प्रदेश में दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग लड़कियों को न्याय दिलाने में काफी लंबा समय लग रहा है। राज्य के हाई कोर्ट में पिछले 24 सालों में 4 हजार 928 पॉक्सो के मामले लंबित हैं। इन मामलों में कुल 5 हजार 243 आरोपी हैं। इनमें से 2 हजार 650 आरोपी जेल में बंद हैं, जबकि 2 हजार 593 आरोपी जमानत पर बाहर हैं, जो कुल आरोपियों का 49.46% हैं।
कांग्रेस विधायक ने पूछा सवाल
कांग्रेस विधायक बाला बच्चन के सवाल पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने लिखित उत्तर में यह जानकारी मंगलवार को विधानसभा में दी। कांग्रेस विधायक ने सवाल में यह भी पूछा था कि बीते एक साल में इस बारे में कोई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं? इस पर बताया गया कि इस बारे में कोई आदेश या दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।
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सबसे पुराना मामला 12 जनवरी 2001 से पेंडिंग
विधानसभा में दिए गए जवाब में यह भी कहा गया कि हाई कोर्ट में नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के मामले 23 साल से लंबित हैं। इंदौर खंडपीठ में सबसे पुराना मामला 12 जनवरी 2001 से पेंडिंग है। अब तक इस मामले को 52 बार सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। कुछ मामलों में, जैसे 2013 से 2024 तक, केवल 2 से 10 तारीखें ही लगी हैं। ग्वालियर हाई कोर्ट में ऐसे 10 मामले हैं जो लंबित हैं।
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दुष्कर्म के बाद हत्या के 64 मामले पर...
मध्य प्रदेश विधानसभा ने 7 साल पहले, 3 दिसंबर 2017 को एक विधेयक पारित किया था, जिसमें 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के बाद हत्या करने पर फांसी की सजा का प्रावधान किया गया था। यह कानून लागू होने के बाद भी अब तक किसी आरोपी को फांसी नहीं दी गई है। हाई कोर्ट में नाबालिग से दुष्कर्म के बाद हत्या के 64 मामले पहुंच चुके हैं, जिनमें ट्रायल कोर्ट या फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा दी थी। इनमें से 11 मामलों में हाई कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी, लेकिन इन मामलों में भी फांसी की सजा पूरी नहीं हुई है।
पीड़ितों को कब मिलेगा न्याय?
इस प्रकार, मध्य प्रदेश में दुष्कर्म पीड़ित नाबालिगों को न्याय दिलाने में कई अड़चनें हैं, जिनमें कोर्ट के मामले लंबित होना और संबंधित दिशा-निर्देशों का न होना प्रमुख हैं। सरकार और न्यायालयों को इस दिशा में जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि पीड़ितों को जल्दी न्याय मिल सके।
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