मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में बांध बन रहा था जिसका विरोध करते हुए आदिवासी ग्रामीणों ने क्षेत्र में एक बांध निर्माण परियोजना को खारिज किया है, जो झारखंड में हुए पत्थलगढ़ी अधिकार आंदोलन की याद दिलाता है। आदिवासी ग्रामीणों ने पत्थर की पट्टिकाएं लगा दी हैं। बांध बैतूल शहर से बहने वाली माचना नदी पर बनने वाला था।
हजारों किसान विस्थापित सकते हैं
स्थानीय लोगों ने इस परियोजना का विरोध किया है, क्योंकि इससे तीन पंचायत क्षेत्र शीतलझारी, सेहरा और झारकुंड जलमग्न हो सकते हैं। पूरे इलाके में पानी भर जाने के बाद किसान खेती कहां करेंगे। जिससे किसानों को खेत छोड़ना पड़ सकता है और हजारों किसान विस्थापित हो जाएंगे। साल 2023 में भी स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर अधिकारियों को एक ज्ञापन दिया था।
पेसा अधिनियम और ग्राम सभा का निर्णय
जहां बांध बन रहा है वहां पेसा अधिनियम के तहत अधिसूचित हो गया है। इस अधिनियम में ग्राम सभाओं को जंगलों में प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के बारे में निर्णय ले सकते हैं उनको ये अधिकार होता है। वहीं बात करें शीतलझारी पंचायत की तो माचना नदी पर बांध परियोजना से उनको परेशानी हो सकती है, ग्रामीणों ने बांध बनाने से इनकार कर दिया है। शीतलझारी पंचायत के सरपंच धनराज सिंह इवने का कहना है कि पेसा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, हमारी ग्राम सभा ने प्रस्तावित बांध के निर्माण को खारिज किया है। वहीं पेसा अधिनियम अनुसार ऐसा कोई भी कार्य ग्रामसभा की सहमति के बिना नहीं किया जा सकता है। इसी को लेकर गांव में शिला पट्टिका लगा दी गई है।
ये खबर भी पढ़ें...
बांग्लादेश में हिंसा के बीच शेख हसीना ने तोड़ी चुप्पी, अमेरिका पर लगाया बड़ा आरोप
किसी भी ग्राम पंचायत ने नहीं दी मंजूरी
परियोजना से प्रभावित किसी भी ग्राम पंचायत ने इसे मंजूरी नहीं दी है। इस योजना से हमारे किसानों की बहुत सारी ज़मीन डूब में आ जाएगी और कई पेड़ और पारंपरिक पूजा स्थल भी पानी में डूब जाएंगे।'
अधिकारियों का क्या कहना है
बैतूल कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी का कहना है कि यह परियोजना स्थानीय लोगों फायदा पहुंचा सकती है, और अभी तक हमने किसी विरोध का पता नहीं चला है। मैं इसकी जांच करवाऊंगा।
पत्थरगढ़ी आंदोलन कब हुआ
पत्थलगढ़ी आंदोलन झारखंड के खूंटी जिले में हुआ था, इसमें आदिवासियों ने विशेष रूप से क्षेत्र पर अपने अधिकारों का दावा करते हुए एक आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था। पत्थरगढ़ी शब्द का अर्थ पत्थर तराशना होता है, आदिवासियों के लिए पत्थरों पर आदेश उकेरना परंपरा होती है। जैसा कि बाहर के लोंगों का गांव में प्रवेश पर करने पर मनाही होती है।
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें