एमपी में शिक्षकों की डेटा लीक होने की आशंका, लगातार आ रहे हैं कॉल, मिल रही है धमकी

भोपाल में शिक्षकों को धोखाधड़ी कॉल्स का सामना करना पड़ रहा है। अब इस पूरे मामले को लेकर डेटा के लीक होने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, प्रशासन की ओर से मामले की जांच जारी है।

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Dablu Kumar
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दामखेड़ा प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका इंदु बंसोड़ के मोबाइल फोन पर मंगलवार (26 अगस्त) को एक कॉल आया। ट्रू कॉलर पर भारत सरकार का नाम दिख रहा था। कॉल करने वाला खुद को राज्य शिक्षा केंद्र में कर्मचारी के तौर पर बता रहा था। उसने अपना नाम ऋतिक शर्मा बताया। उसने कॉल करके शिक्षिका इंदु बंसोड़ से कहा कि आपकी कैश बुक में गड़बड़ी पाई गई है। कृपया तत्काल 15 हजार रुपए ट्रांसफर करें।

कई शिक्षकों को आ रहा कॉल

जब इंदु बंसोड़ ने इस मांग को मना किया तो कॉल करने वाले ने उन्हें कार्रवाई करने की धमकी दी। इसी तरह बंजारी स्कूल की शिक्षिका सीमा खले के पास भी ऋतिक शर्मा का कॉल आया। सीमा से कहा गया कि उनकी सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत आई है और कंटिंजेंसी की राशि में गड़बड़ी हुई है। इसके चलते उन्हें पैसे ट्रांसफर करने होंगे। हालांकि, सीमा ने भी पैसे भेजने से इनकार कर दिया।

बता दें कि, प्रदेश में यह पहला ऐसा मामला नहीं है। राजधानी भोपाल सहित प्रदेश भर के शिक्षकों को इसी तरह के कॉल किए जा रहे हैं। मोबाइल नंबर 96160 79194 से कॉल करके शिक्षकों को धमकाया जा रहा है और 15 से 20 हजार रुपए की मांग की जा रही है। मंगलवार को ही भोपाल में 25 से अधिक शिक्षकों को ऐसे कॉल प्राप्त हुए।

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शिकायत का दिया गया झांसा

किसी को हमारे शिक्षक ऐप (ई-अटेंडेंस एप) के माध्यम से ई-अटेंडेंस न लगाने की बात की गई, तो किसी को कैश बुक में गड़बड़ी का हवाला दिया गया और कुछ शिक्षकों को सीएम हेल्पलाइन में शिकायत का झांसा दिया गया। इन मामलों को रफा-दफा करने के लिए ऑनलाइन पैसे की मांग की गई। हालांकि, शाम तक यह नंबर स्विच ऑफ हो गया।

अब सवाल यह उठ रहा है कि यह डेटा कहां से और कैसे लीक हुआ। इस बारे में शिक्षा विभाग को कोई जानकारी नहीं है। इसके बारे में आशंका जताई जा रही है कि यह डेटा शिक्षा विभाग के नए एजुकेशन पोर्टल 3.0 से लीक हुआ है। इसके कारण 1.40 करोड़ स्कूली छात्रों और 3.5 लाख से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों का डेटा लीक हो गया। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 'हमारे शिक्षक ऐप' सुरक्षित है और हो सकता है कि किसी कर्मचारी के माध्यम से यह नंबरों की लिस्ट लीक हुई हो। विभाग इसकी जांच करवाएगा।'

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शिक्षकों से रुपए मांगने के लिए फ्रॉड कॉल

Where to complain about fraud call | फ्रॉड कॉल से खुद कैसे निपटें? | Money9  Hindi

राज्य शिक्षा केंद्र के प्रवक्ता अमिताभ अनुरागी और जिला शिक्षा अधिकारी नरेंद्र अहिरवार के मुताबिक, पहले भी राज्य शिक्षा केंद्र के नाम पर शिक्षकों को रुपए की मांग करने के लिए फ्रॉड कॉल की जा चुकी हैं। शिक्षकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। राज्य शिक्षा केंद्र से कभी भी इस प्रकार की कॉल नहीं की जातीं। यदि किसी से पैसे की मांग की जा रही है, तो इसकी तुरंत शिकायत थाने में करें और साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस बारे में जानकारी दें। विभाग की ओर से इस तरह के फोन कॉल नहीं किए जाते हैं। यदि ऐसे कॉल आ रहे हैं, तो उन्हें संबंधित क्षेत्रीय अधिकारियों को जरूर सूचित करें।

इस तरह फ्रॉड की आशंका

एजुकेशन पोर्टल 3.0 सरकारी डोमेन (gov.in या nic.in) की बजाय निजी डोमेन (.in) पर चल रहा है। केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार, किसी भी सरकारी पोर्टल का डोमेन केवल gov.in होना चाहिए। लॉन्चिंग से पहले अनिवार्य रूप से सिक्योरिटी ऑडिट होना चाहिए। इस पोर्टल में न डोमेन मान्यता प्राप्त है, न ऑडिट हुआ।

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इसके अलावा डेटा को सरकारी क्लाउड की बजाय पब्लिक क्लाउड पर रखा गया है, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की उम्र, कद, रक्त समूह, आधार नंबर और बैंक खाता जैसी संवेदनशील जानकारियां अपलोड की जाती हैं। हालांकि, सभी शिक्षकों को फ्रॉड कॉल्स से सावधान रहने की सलाह दी जा रही है। 

FAQ

यह किस प्रकार की धोखाधड़ी है और कैसे काम करती है?
यह धोखाधड़ी कॉल शिक्षकों को धमकाकर उनसे पैसे मांगने का तरीका है। कॉल करने वाला खुद को राज्य शिक्षा केंद्र का कर्मचारी बता कर शिक्षकों से उनके कैश बुक में गड़बड़ी, सीएम हेल्पलाइन शिकायत या अन्य झांसे देकर पैसे ट्रांसफर करने की मांग करता है। यदि शिक्षक मना करते हैं, तो धमकी दी जाती है कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह कॉल आम तौर पर मोबाइल नंबर 96160 79194 से किए जाते हैं और 15 से 20 हजार रुपए की मांग की जाती है।
डेटा लीक का क्या कारण हो सकता है और यह कैसे हुआ?
माना जा रहा है कि यह डेटा शिक्षा विभाग के नए पोर्टल, एजुकेशन पोर्टल 3.0 से लीक हुआ है, क्योंकि इसके संचालन में केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया है। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। इस पोर्टल का डोमेन gov.in की बजाय निजी डोमेन (.in) पर है और इसमें सिक्योरिटी ऑडिट भी नहीं कराया गया है। इसके अलावा, डेटा पब्लिक क्लाउड पर रखा गया है, जिसमें संवेदनशील जानकारी जैसे छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के आधार नंबर, बैंक खाता विवरण, रक्त समूह, आदि शामिल हैं।

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