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Photograph: (THESOOTR)
मध्यप्रदेश के भोपाल में बने चर्चित “90 डिग्री ब्रिज” का मामला अब जबलपुर हाइकोर्ट तक पहुंच गया है। ठेकेदार पुनीत चड्ढा ने अपनी फर्म को ब्लैकलिस्ट करने के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है।
हाईकोर्ट की डिविजनल बेंच ने इस पर महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए ब्रिज की स्वतंत्र जांच कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पुनीत चड्ढा को राहत देते हुए आदेश दिया है कि अगली सुनवाई तक निर्माण फर्म के ऊपर कोई भी कार्यवाही नहीं की जाएगी
ब्लैकलिस्टिंग पर ठेकेदार की आपत्ति
ठेकेदार पुनीत चड्ढा की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा और अधिवक्ता प्रवीण दुबे ने कोर्ट को बताया कि मीडिया में खबरें आने के बाद विभाग ने कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई करने के साथ ही उनकी फर्म को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया। जबकि इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता की कोई गलती नहीं थी। उनका कहना है कि उन्होंने केवल वही काम किया जो सेतु विभाग के नक्शे और स्वीकृति के आधार पर उन्हें सौंपा गया था।
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विभाग के स्वीकृत नक्शे पर हुआ था निर्माण
कोर्ट को यह भी बताया गया कि निर्माण एजेंसी को जो नक्शा दिया गया था, वह खुद सेतु विभाग के चीफ इंजीनियर की स्वीकृति से पारित हुआ था। उसी नक्शे के आधार पर ब्रिज का निर्माण हुआ। यहां तक कि जांच रिपोर्ट में भी सामने आया है कि पुल 90 डिग्री का नहीं, बल्कि 119 डिग्री का है। इसलिए खामियों का ठीकरा ठेकेदार पर फोड़ना अनुचित है।
हाईकोर्ट का आदेश- स्वतंत्र एजेंसी करेगी जांच
जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया कि ब्रिज की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी (मेनिट एजेंसी) से कराई जाएगी।
इस जांच पर लगभग 1 लाख रुपए का खर्च आएगा, जिसे याचिकाकर्ता यानी पुनीत चड्ढा वहन करेंगे। साथ ही, जांच के दौरान जो मैनपावर लगेगा, उसे भोपाल नगर निगम उपलब्ध कराएगा। अब यह एजेंसी जांच करेगी कि यह ब्रिज 90 डिग्री का है या 119 डिग्री का। इसके साथ ही इस ब्रिज की अन्य खामियों की भी जांच की जाएगी।
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अगली सुनवाई में होगा खुलासा
कोर्ट ने भोपाल का 90 डिग्री ब्रिज मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को तय की है। तब तक मेनिट एजेंसी को अपनी जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपनी होगी। इस रिपोर्ट से साफ होगा कि आखिर यह पुल वास्तव में 90 डिग्री का है या 119 डिग्री का। साथ ही, यह भी तय होगा कि निर्माण में हुई खामियों की जिम्मेदारी किसकी है यह फिर पीडब्ल्यूडी और सेतु विभाग की या निर्माण करने वाली एजेंसी की।
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90 डिग्री ब्रिज पर हुई थी सरकार की किरकिरी
भोपाल का यह ब्रिज शुरुआत से ही विवादों में रहा है। इसके डिजाइन में तीखा मोड़ आने से इसे “90 डिग्री ब्रिज” कहा जाने लगा। सोशल मीडिया पर इसका खूब मजाक बना और सुरक्षा को लेकर सवाल उठे। इसके बाद अधिकारियों पर कार्रवाई हुई और ठेकेदार की फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। अब मामला अदालत की चौखट पर पहुंच गया है, जहां जांच रिपोर्ट से सच्चाई सामने आएगी।
यह मामला न सिर्फ भोपाल बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चित है, क्योंकि यह सवाल सिर्फ एक पुल का नहीं बल्कि सरकारी विभागों की जिम्मेदारी और कार्यप्रणाली का भी है।
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