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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का जन्मदिन 25 मार्च को है। उज्जैन में बीजेपी नेताओं ने उनके स्वागत के लिए सड़कों पर पोस्टर लगाए हैं। यह संभावना जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए उज्जैन आ सकते हैं। आपको बता दें कि सीएम मोहन यादव कल यानी 25 मार्च को अपना अपना 60 साल पूरा करके 61 वें बरस में प्रवेश करेंगे। आइए जानते हैं तीसरी पंक्ति में बैठे हुए मोहन यादव कैसे एकदम से पहली कतार में आ गए और बीजेपी ने OBC पर ही फिर क्यों खेला था दांव ?
जब चुना गया था मोहन यादव को सीएम
11 दिसंबर 2023...यह वही तारीख थी, जब Mohan yadav बीजेपी विधायक दल के ग्रुप फोटो में तीसरी पंक्ति में बैठे थे। अगली पंक्ति में थे दिग्गज शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, गोपाल भार्गव और वीडी शर्मा। तब घड़ी में 3 बजकर 30 मिनट हो रहे थे। अबके जैसी सर्द हवाएं उस दिन भी बह रही थीं। किसी को अंदाजा नहीं था कि अगले 45 मिनट में क्या होने वाला है। इसके बाद बीजेपी दल की बैठक हुई थी। हरियाणा से पर्यवेक्षक के रूप में आए मनोहरलाल खट्टर ने मंच पर बैठे शिवराज सिंह चौहान को वह पर्ची दे दी थी। शिवराज ने ही डॉ.मोहन यादव का नाम पुकारा था। अव्वल तो मोहन ने सुना ही नहीं, जब दोबारा उनके नाम का ऐलान हुआ, तब वे उठे और मंच पर पहुंचे थे।
उसके बाद जो हुआ, वह सबको पता है। इस तरह बीजेपी विधायक दल ने 58 साल के डॉ. मोहन यादव को अपना मुखिया चुन लिया था। उस समय डॉ. यादव के 99 वर्षीय पिता की खुशी का भी ठिकाना नहीं रहा था। उन्होंने कहा था कि बेटे के सीएम बनने की खबर से मेरी उम्र बढ़ गई।
20 साल से ओबीसी चेहरे के पास रही कमान
खास यह भी है कि प्रदेश में वर्ष 2003 से लेकर 2023 तक साढ़े अठारह साल की बीजेपी सरकार में हमेशा ओबीसी मुख्यमंत्री रहे। उमा भारती से शुरू हुआ यह सिलसिला बाद में बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के साथ जारी रहा। अब ओबीसी वर्ग से ही आने वाले डॉ. मोहन यादव प्रदेश के मुखिया बने। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ओबीसी वर्ग की आबादी भी है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 68 ओबीसी नेताओं को टिकट दिए थे, जिनमें से 44 ने जीत दर्ज की। वहीं, कांग्रेस ने 59 ओबीसी नेताओं को टिकट दिए थे, इनमें से सिर्फ 16 को जीत मिली।
मोहन यादव का जीवन परिचय
Mohan yadav का जन्म 25 मार्च 1965 को उज्जैन में हुआ था। उनके पिता का नाम पूनमचंद यादव है। उनकी शादी सीमा यादव से हुई है। उनके दो बेटे और एक बेटी है। मोहन यादव के पास बीएससी, एलएलबी, एमए, एमबीए और पीएचडी सहित कई शैक्षणिक डिग्रियां हैं। शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मोहन यादव उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके थे।
राजनीतिक सफर
मोहन यादव 2013 में उज्जैन दक्षिण सीट से पहली बार विधायक बने थे। 2018 मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में, वह एक बार फिर चुने गए और उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक बने। उन्होंने मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। 2 जुलाई 2020 को उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। 11 दिसंबर 2023 को मोहन यादन को मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री गया था। विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लग गई हैं। मोहन यादव ओबीसी वर्ग से आते हैं। वह उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं। इस बार वह तीसरी बार विधायक बने हैं।
ऐसा रहा है मोहन यादव का सफर...
✅ मोहन यादव वर्ष 1982 में माधव विज्ञान कॉलेज में छात्र संघ के सह-सचिव बने। फिर 1984 में अध्यक्ष चुने गए। एबीवीपी उज्जैन के नगर मंत्री और 1986 में विभाग प्रमुख रहे।
✅ 1988 में एबीवीपी मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने। फिर 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री और 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री बनाए गए।
✅ 1993 से 1995 तक आरएसएस, उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह और 1996 में खंड कार्यवाह, फिर नगर कार्यवाह रहे। 1997 में भाजयुमो की प्रदेश कार्यसमिति में रहे।
✅ फिर 6 साल तक उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा) रहे। 2013 में पहली बार विधायक बने। 2018 में दूसरी बार विधायक बने और शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री बनाए गए।