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कांग्रेस पार्टी की संगठन सृजन प्रक्रिया के तहत 165 ऑब्जर्वर्स की आज रविवार को एक ऑनलाइन मीटिंग आयोजित की गई। इस मीटिंग में प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इस मीटिंग में पार्टी के अगले कदमों पर चर्चा की गई, जिनमें विशेष रूप से जिला अध्यक्ष के चयन प्रक्रिया पर जोर दिया गया।
बता दें कि अब दिल्ली और भोपाल से नियुक्त किए गए ऑब्जर्वर्स की एक तीन सदस्यीय टीम हर जिले में जाकर जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के नामों की तलाश करेगी। साथ ही कांग्रेस के मजबूत और कमजोर पक्षों की जानकारी जुटाएगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य पार्टी के संगठन को मजबूत करना है, ताकि आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति में सुधार हो सके।
45 साल से कम उम्र के युवा नेता होंगे जिला अध्यक्ष
हरीश चौधरी ने कहा, हमारा उद्देश्य युवा नेतृत्व को बढ़ावा देना है। जिला अध्यक्ष के लिए हमें ऐसे नामों का चयन करना है जिनकी उम्र 35 से 45 वर्ष के बीच हो। अगर कोई सशक्त वरिष्ठ नेता अपनी दावेदारी प्रस्तुत करता है, तो उसे विशिष्ट परिस्थितियों में शामिल किया जा सकता है, लेकिन राहुल गांधी की सोच के अनुसार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष युवा, तकनीकी-फ्रेंडली और सोशल मीडिया पर सक्रिय होना चाहिए।
चौधरी की इन बातों से अब सवाल उठता है कि युवा चहरों को सामने लाने वाली कांग्रेस में बड़े-बुजुर्ग यानी सीनियर नेताओं का क्या होगा। क्या उन्हें मार्गदर्शन मंडल में डालने की तैयारी है?
जिला अध्यक्ष के चयन में जातिगत संतुलन
प्रदेश प्रभारी ने बताया कि जिला अध्यक्ष के चयन में जातिगत संतुलन का भी ध्यान रखा जाएगा। हर जिले से पैनल में एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, और महिला प्रतिनिधियों के नाम शामिल किए जाएंगे। इस पैनल का आधार जातिगत डेटा होगा, जो पिछले महीने राहुल गांधी की बैठक में सभी ऑब्जर्वर्स को दिया गया था।
पार्टी में नए नेताओं की दावेदारी
मीटिंग में यह सवाल भी उठाया गया कि यदि कोई नेता पार्टी में दो साल पहले शामिल हुआ है, तो क्या वह जिला अध्यक्ष पद की दावेदारी कर सकता है। हरीश चौधरी ने स्पष्ट किया कि जिला अध्यक्ष के लिए दावेदारी करने वाले नेताओं को कम से कम पांच साल का पार्टी में सक्रिय योगदान होना चाहिए।
चुनावी गड़बड़ियों पर कड़ी निगरानी
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि किसी नेता के खिलाफ चुनावी गड़बड़ियों या भितरघात की शिकायतें हैं, तो ऐसे नेताओं को जिला अध्यक्ष के पैनल में नहीं रखा जाएगा।
पर्यवेक्षकों की यात्रा और गोपनीय रिपोर्ट
पीसीसी और एआईसीसी के पर्यवेक्षक अपने आवंटित जिलों में यात्रा करेंगे और वहां की पूरी गोपनीय रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस रिपोर्ट में संगठन की मजबूती, चुनावों में जीत-हार के कारण और जिला अध्यक्ष के लिए नामों का पैनल शामिल होगा। इस रिपोर्ट को सीधे मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल को भेजा जाएगा।
जिले आवंटन में विवाद
पूर्व मंत्री और सीडब्ल्यूसी सदस्य कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि जिले के आवंटन में पक्षपात किया गया है और कुछ नेताओं को उनके पसंदीदा जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। इस पर हरीश चौधरी ने कहा कि पीसीसी ऑब्जर्वर्स की सूची एआईसीसी से तैयार की गई थी और यदि कहीं अंतर दिखाई देता है, तो इसके लिए वह जिम्मेदार हैं।
संगठन सृजन अभियान के दौरान युवाओं का चुनाव
कुछ नेताओं ने सुझाव दिया कि संगठन सृजन अभियान के दौरान युवा कांग्रेस के चुनाव भी कराए जाएं, लेकिन हरीश चौधरी ने कहा कि इस विषय पर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष और पार्टी के इलेक्शन कमीशन से बात की जाएगी।
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