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श्मशान घाट की पूजा
रतलाम में दिवाली से एक दिन पहले, यानी नरक चतुर्दशी पर, लोग घरों की जगह सीधे श्मशान घाट पर जाते हैं, (रतलाम दिवाली परंपरा ) वहां दीपक जलाकर खुशियां मनाई जाती हैं।
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गौतमपुरा का हिंगोट युद्ध
इंदौर के पास गौतमपुरा में दिवाली के अगले दिन एक अनोखी लड़ाई होती है, इसमें दो टीमें 'हिंगोट' (एक तरह का छोटा बम) एक-दूसरे पर फेंकती हैं।
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गोमाता के नीचे लेटना
झाबुआ और मालवा में दिवाली के बाद एक अनोखी रस्म होती है। मन्नतें पूरी होने पर लोग गोमाता के झुंड के ठीक नीचे जमीन पर लेट जाते हैं।
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एक दिन पहले दिवाली
मंडला जिले के कई गांवों में लोग एक दिन पहले दिवाली मना लेते हैं, ये गांव अपनी सदियों पुरानी ग्राम देवता की आज्ञा वाली इस परंपरा को नहीं तोड़ते,वे मानते हैं कि अगर ये रस्म तोड़ी गई, तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।
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दो महीने तक दिवाली
धार जिले के डही इलाके के करीब 62 गांव में दिवाली का त्योहार दो महीने तक चलता है, जिसे वे दीवा कहते हैं,
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दिवाली नहीं शोक
छिंदवाड़ा के रावनवाड़ा गांव में दिवाली पर कोई दीया या जश्न नहीं होता, बल्कि लोग सवा महीने तक शोक मनाते हैं, यहां के आदिवासी रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और उनकी मृत्यु का गम मनाते हैं।
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पैसों से सजा महालक्ष्मी मंदिर रतलाम
रतलाम महालक्ष्मी मंदिर Diwali पर करोड़ों के नोटों और गहनों से सजाया जाता है, फूलों की जगह यहां धन की देवी का श्रृंगार पैसे से होता है।