मध्य प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को इस बार बिजली दर में दोहरा झटका लग सकता है। बिजली कंपनी द्वारा 2025-26 के लिए प्रस्तावित दरों में स्मार्ट मीटर की राशि भी शामिल की जा सकती है। यह राशि बिल में अलग से दिखाई नहीं देगी, बल्कि टैरिफ में ही जुड़ी रहेगी।
बिजली कंपनी का क्या प्रस्ताव है?
बिजली कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के सामने एक टैरिफ पिटीशन दायर की है। इसमें स्मार्ट मीटर के रखरखाव, सुधार, निगरानी और डेटा भेजने के लिए 754 करोड़ 32 लाख रुपए की मांग की है। पिटीशन में स्मार्ट मीटर की राशि को टैरिफ में जोड़ने की योजना है।
स्मार्ट मीटर पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जाएगा
इस प्रस्ताव के अनुसार, स्मार्ट मीटर की एक किस्त 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ वसूली जाएगी। पहली किस्त के रूप में 1 हजार 500 रुपए और जीएसटी 270 रुपए जोड़े जाएंगे। बाद की किश्तों में 7 साल में लगभग 14 हजार 310 रुपए वसूले जाएंगे। इसके अलावा, हर साल 1 हजार 200 रुपए का शुल्क रखरखाव, निगरानी और डेटा भेजने के लिए लिया जाएगा।
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बिजली उपभोक्ताओं ने उठाए सवाल
बिजली कंपनी के रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने इस मुद्दे पर आपत्ति जताई है। उन्होंने बताया कि इस योजना से उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार पड़ सकता है। वहीं, बिजली कंपनी के रिटायर्ड कमर्शियल डायरेक्टर एसके श्रीवास्तव का कहना है कि स्मार्ट मीटर का खर्च अब कनेक्शन के साथ लिया जा रहा है।
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महाराष्ट्र में स्मार्ट मीटर का विरोध बढ़ा
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में स्मार्ट मीटर को लेकर विरोध तेज हो गया है। यहां इसके खिलाफ एक संगठन भी बना लिया गया है। वहां के उपभोक्ता इस शुल्क को टैरिफ में जोड़ने के विरोध में हैं।
मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटर की राशि को टैरिफ में जोड़ने का प्रस्ताव बिजली उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय बन चुका है। इस पर कई लोगों ने आपत्ति भी जताई है और सरकार से इसे अलग से दिखाने की मांग की है।
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