एमपी में 40 हजार अफसर-कर्मचारी होंगे इधर से उधर! तबादलों से रोक हटाने की प्रक्रिया शुरू

मध्यप्रदेश में 3 साल बाद तबादलों से रोक हटने जा रही है। जानिए कैसे होगी नई तबादला नीति, क्या हैं प्रमुख बदलाव और किसे मिलेगा लाभ। सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए नए नियमों के अनुसार...

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Sourabh Bhatnagar
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मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों पर तीन साल से लगी रोक अब खत्म होने जा रही है। 2021 में राज्य सरकार ने एक स्थायी तबादला नीति (Transfer Policy) बनाई थी, जिसके तहत तबादलों पर रोक लगा दी गई थी। अब, 2025 में सरकार ने एक नया कदम उठाते हुए तबादलों से रोक हटाने का निर्णय लिया है। आगामी कैबिनेट बैठक में वरिष्ठ सचिवों के लिए नई तबादला नीति (Transfer Policy) को मंजूरी मिल सकती है, जिसके बाद प्रदेश में तकरीबन 40,000 अफसर और कर्मचारी तबादले के अंतर्गत आ सकते हैं।

तबादला नीति में बदलाव

सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए नए नियमों के अनुसार, अब विभागों में अधिकतम 10% तक तबादला किया जा सकेगा। हालांकि, बड़े विभागों जैसे स्कूल शिक्षा, गृह, और आदिवासी कल्याण विभाग में यह संख्या 3 से 5% तक हो सकती है। यह कदम प्रदेश की प्रशासनिक संरचना में बदलाव लाने का महत्वपूर्ण प्रयास है, जिससे कर्मचारियों और अफसरों की कार्यक्षमता में सुधार हो सके।

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मंजूरी की आवश्यकता

जब तक तबादलों के नियम लागू नहीं होते, तब तक राज्य सरकार की व्यवस्था में समन्वय की आवश्यकता होगी। यदि किसी विभाग को तय सीमा से अधिक तबादला करना है तो उसे मुख्यमंत्री के समन्वय से मंजूरी लेनी होगी। यह प्रक्रिया प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और नियंत्रण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की जा रही है।

कैसे होंगे तबादले?

तबादला नीति के अनुसार, कर्मचारियों को जहां ट्रांसफर किया जाएगा, वहां जॉइनिंग के स्थायी नियम होंगे। कर्मचारियों को निर्धारित तारीख पर अपनी नई तैनाती स्थल पर जॉइन करना अनिवार्य होगा।

विशेष विभागों के लिए अलग नियम

कभी तक विशेष विभागों, जैसे कि स्कूल शिक्षा, पुलिस और आदिवासी कल्याण विभाग, में कर्मचारियों के ट्रांसफर के लिए अलग नियम लागू थे। अब इन्हें भी नई नीति के तहत समायोजित किया जाएगा। विशेष रूप से शिक्षकों के लिए अलग से तबादला नीति बनाई गई है, जबकि पुलिस विभाग में ट्रांसफर के लिए विभागीय बोर्ड की मंजूरी अनिवार्य होगी।

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मंत्रियों और विधायकों का दबाव

इस तबादला नीति में एक और अहम बदलाव यह है कि अब मंत्री और विधायक अपने क्षेत्रों में कार्यरत अधिकारियों, जैसे कि एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी आदि के ट्रांसफर के लिए प्रभारी मंत्री का अनुमोदन जरूरी होगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दबाव भी इस प्रक्रिया में भूमिका निभाएगा।

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