दिव्यांग सैनिकों को मिलेगी 1 करोड़ रुपए तक की मदद, सैनिक कल्याण बोर्ड की बैठक में मोहन सरकार का बड़ा फैसला

मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने सेना के जवानों के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने फैसला किया है कि अब युद्ध या आतंकी हमले में घायल हुए जवानों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जाएगी।

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Raj Singh
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मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट बैठक में सरकार ने फैसला लिया कि युद्ध, आतंकी हमले या सेना के ऑपरेशन के दौरान दिव्यांग हुए सैनिकों को राज्य सरकार पहले 10 लाख रुपए देती थी। लेकिन अब से सरकार उन्हें एक करोड़ रुपए तक की आर्थिक सहायता देगी, जो दिव्यांगता के प्रतिशत के आधार पर तय होगी। साथ ही राज्य सरकार शहीद सैनिकों के माता-पिता को दी जाने वाली सहायता राशि को 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार करने जा रही है।
सम्मान निधि की राशि में इजाफा

इन सबके अलावा एमपी सरकार ने सेना में शामिल होने वाली बेटियों को लेकर भी अहम फैसला लिया है। सरकार ने बताया कि सेना में शामिल होने वाली बेटियों के माता-पिता को पहले सम्मान निधि के तहत 10 हजार रुपए दिए जाते थे, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 20 हजार रुपए किया जाएगा। शहीद या दिव्यांग सैनिक की बेटी या बहन की शादी पर सरकार अब 10 हजार रुपए की जगह 51 हजार रुपए अनुदान देगी।

सैनिक कल्याण बोर्ड की 20वीं बैठक 

बता दें कि मंगलवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में सैनिक कल्याण बोर्ड की 20वीं बैठक हुई। इस बैठक में ये फैसले लिए गए। इसके साथ ही शहीद सैनिकों के आश्रित परिजनों को दी जाने वाली एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता अब तय समय में दी जाएगी।

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बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि रिटायर्ड सैनिकों को बंदूक लाइसेंस देने के लिए समय-सीमा तय की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के हितों का संरक्षण और संवर्धन राज्य सरकार की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने गृह विभाग को शहीदों और पूर्व सैनिकों के परिवारों के बंदूक लाइसेंस के निशुल्क नवीनीकरण के लिए परीक्षण कराने के निर्देश दिए।

30 हजार युवा सेना में कार्यरत

द्वितीय विश्व युद्ध के नॉन पेंशनर्स भूतपूर्व सैनिकों और शहीद सैनिकों की विधवाओं की मासिक सहायता राशि 8 हजार से बढ़ाकर 15 हजार करने के प्रस्ताव के साथ ही शहडोल में सैनिक विश्राम गृह के निर्माण की जांच के आदेश दिए गए हैं। एमपी में इस समय करीब 70 हजार भूतपूर्व सैनिक रहते हैं। जबकि वर्तमान में 30 हजार युवा सेना में कार्यरत हैं। सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों के परिवारों की संख्या की बात करें तो यह 4 लाख है।

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