Bhopal : प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में रिक्त पदों पर सेवा दे रहे अतिथि विद्वानों की चल रही तबादला प्रक्रिया ने अब नए विवाद को जन्म दे दिया है। जानकारी के अनुसार स्थानांतरण का लाभ अतिथि विद्वानों को नहीं मिल पाएगा।
महिला अतिथि विद्वानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जो अपने शहर में रिक्त पदों के बावजूद 800 से हजार किलोमीटर तक सेवा दे रही हैं। इस स्थान परिवर्तन की घोषणा वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी।
अतिथि विद्वानों को हो सकती है परेशानी
बिना किसी तैयारी के विभाग ने अतिथि विद्वानों के तबादले और नई भर्ती का कैलेंडर जारी कर दिया। लेकिन अब तक विभाग रिक्त पदों का आंकड़ा सामने नहीं ला रहा है। प्राचार्य कह रहे हैं कि हमने अपडेट कर दिया है लेकिन विभाग उच्च शिक्षा को जारी नहीं रख रहा है। जबकि उच्च शिक्षा विभाग कह रहा है कि प्राचार्यों से नहीं हुआ है, इसलिए अतिथि विद्वानों को इसमें परेशानी आ रही है। प्राध्यापकों के तबादले से अंदर-बाहर का खेल फिर शुरू हो जाएगा।
सरकार की वादाखिलाफी पर अतिथि विद्वानों ने साधा निशाना
रिक्त पदों को दर्शाया जाए
अतिथि विद्वान महासंघ के अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह का कहना है कि विभाग ने बिना किसी पूर्व तैयारी के तबादला प्रक्रिया शुरू कर दी। लेकिन रिक्त पदों को दबाया जा रहा है। इसके पीछे क्या मंशा है यह समझ से परे है। अतिथि विद्वान महासंघ की स्पष्ट मांग है कि इस प्रक्रिया में सभी रिक्त पदों को दर्शाया जाए, तिथि बढ़ाई जाए ताकि अतिथि विद्वानों को इसका लाभ मिल सके।
अतिथि विद्वानों को अब भी फिक्स वेतन नहीं। राष्ट्रीय अवकाश पर नहीं मिलता मानेदय
निश्चित मासिक वेतन दिया जाए
डॉ. आशीष पांडे का कहना है कि इन सभी समस्याओं का समाधान एक बार में ही हो सकता है, जो बहुत आसान है। रिक्त पदों पर कार्यरत विद्वानों को उन्हीं पदों पर समायोजित किया जाए। अतिथि के शोषणकारी नाम से मुक्ति दिलाई जाए तथा निश्चित मासिक वेतन दिया जाए जिसकी घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान मुख्यमंत्री ने की थी तो सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। लेकिन अतिथि विद्वानों की छवि को अक्सर खराब करने का प्रयास किया जाता है जो समझ से परे है।
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