सरकार की वादाखिलाफी पर अतिथि विद्वानों ने साधा निशाना

अतिथि शिक्षक और विद्वान पूर्व सीएम की घोषणाओं को अमल में न लाने को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। मंगलवार को हजारों अतिथि शिक्षकों के राजधानी में हुए जमावड़े के बाद अब प्रदेश के कॉलेज गेस्ट फैकल्टी सदस्यों ने मोर्चा खोल लिया है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL : शिवराज सरकार के कार्यकाल की महापंचायत डॉ. मोहन यादव की सरकार के गले की फांस बन गई हैं। सरकार को अतिथि शिक्षक और विद्वानों के नियमितीकरण की घोषणा के मामले में सबसे ज्यादा बदनामी झेलनी पड़ रही है। अतिथि शिक्षक और विद्वान पूर्व सीएम की घोषणाओं को अमल में न लाने को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। मंगलवार को हजारों अतिथि शिक्षकों के राजधानी में हुए जमावड़े के बाद अब प्रदेश के कॉलेज गेस्ट फैकल्टी सदस्यों ने मोर्चा खोल दिया है। गेस्ट फैकल्टी भी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई महापंचायत के वादों को याद दिला रहे हैं। बुधवार को गेस्ट फैकल्टी संगठन ने नियमितीकरण और फिक्स वेतन की मांग न मानने पर आंदोलन की चेतावनी दे दी है।

यह है कॉलेज गेस्ट फैकल्टी की मांग

प्रदेश में स्कूलों की तरह ही कॉलेजों में भी प्रोफेसरों की कमी है। स्थिति यह है कि प्रदेश के 75 फीसदी कॉलेजों में अध्यापन व्यवस्था गेस्ट फैकल्टी के हाथ में है। प्रदेश भर में इन अतिथि विद्वानों की संख्या  4800 है। ये अतिथि विद्वान सरकार से अलग कैडर निर्धारित कर नियमित करने की मांग कर रहे हैं। इसके पीछे उनका अपना ठोस तर्क भी है। अतिथि विद्वानों का कहना है सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसर नियुक्त होने के लिए जो आवश्यक योग्यता है, वह उनके पास है। वे सरकारी कॉलेजों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में दो या ढाई दशक से पढ़ते आ रहे हें। वे  डिग्री से लेकर योग्यता के सभी मापदंड पूरे करते हैं लेकिन कम पदों पर नियुक्ति निकालने की वजह से उन्हें मौका नहीं मिल पाता। अब अधिकांश गेस्ट फैकल्टी 50 साल की उम्र के हो गए हैं। ऐसे में उनके सामने यह भी समस्या है कि वे इस काम के अलावा दूसरा क्या करें। पीएससी परीक्षा की तैयारी करते हैं तो घर चलाने के लिए काम कैसे कर पाएंगे।

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अपने ही नेता के वादों को भूली सरकार

अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा की अगुवाई में बुधवार को गेस्ट फैकल्टी संगठन ने सरकार की बेरुखी पर  विरोध जताया है। प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत सिंह भदौरिया का कहना है 11 सितंबर को संगठन सरकार को पूर्व सीएम शिवराज की घोषणाएं याद दिला रहा है। एक साल पहले आज के ही दिन पूर्व सीएम ने अतिथि विद्वानों को उनका सम्मान दिलाने का भरोसा दिलाया था। उन्होंने हर माह 50 हजार रुपए तक फिक्स वेतन के साथ ही नियमित प्रोफेसरों की तरह ही चिकित्सकीय अवकाश, भत्ते देने की भी घोषणा की थी। सीएम हाउस में बुलाई गई इस महापंचायत में शिवराज के निर्देश पर अधिकारियों ने मंत्री परिषद की स्वीकृति के लिए एक दस्तावेज भी तैयार कर  लिया था, लेकिन उनके केंद्र में जाते ही प्रदेश की बीजेपी सरकार वादों को भूल गई।

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तब के मंत्री आज सीएम, घोषणा के साक्षी भी

संघर्ष मोर्चा का नेतृत्व कर रहे सुरजीत सिंह ने बताया जब शिवराज सिंह सीएम के रूप  में महापंचायत बुलाकर घोषणा कर रहे थे तब सीएम डॉ.मोहन यादव भी साक्षी थे। डॉ.मोहन यादव तब उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में महापंचायत में अतिथि विद्वानों के पक्ष में खड़े थे। तब वे इसे नीतिगत मामला बताकर सीएम से अनुशंसा करने का आश्वासन दे रहे थे। अब वे स्वयं ही  सीएम हैं। प्रदेश के मुखिया के रूप में सब उनके हाथ में है। उन्हें अतिथि विद्वानों की हर समस्या और  जरूरत की जानकारी है। वे स्वयं आज अलग कैडर बनाकर गेस्ट फैकल्टी के नियमितीकरण का नीतिगत निर्णय ले सकते हैं।  इससे हजारों परिवारों को लाभ मिलेगा और वृद्धावस्था की ओर बढ़ रहे अतिथि विद्वानों को भविष्य की चिंता से निजात मिलेगी। भदौरिया का कहना था पीएससी की भर्तियों के विवाद सबके सामने हैं, ऐसे में अनुभव के आधार पर गेस्ट फैकल्टी के नियमितीकरण से कॉलेजों को पर्याप्त प्रोफेसर मिल जाएंगे और भर्ती प्रक्रिया से होने वाली उलझनें भी खड़ी नहीं होंगी।

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