मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के नए चीफ जस्टिस शील नागू के रोचक फैसले , अस्पताल में टीवी लगवाओ , चीन का नहीं होना चाहिए

चीफ जस्टिस शील नागू के फैसलों की चर्चा आज भी लोग करते हैं। 5 साल पहले ग्वालियर में उन्होंने 3 दिन में 36 फैसले सुनाए। क्रिमिनल केसेस में जिन आरोपियों को सशर्त जमानत दी, उन्हें 100 -100 पौधे रोपने का आदेश दिया।

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Ravi Singh
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MP High Court Chief Justice . चीफ जस्टिस शील नागू ( Chief Justice Sheel Nagu ) रोचक फैसले सुनाने के लिए जाने जाते हैं। वह 25 मई से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस ( Acting Chief Justice of Madhya Pradesh High Court Sheel Nagu ) होंगे।

निवर्तमान चीफ जस्टिस रवि मलिमठ 24 मई 2024 को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने 14 अक्टूबर 2021 को चीफ जस्टिस पद की शपथ ली थी। जस्टिस नागू ने टीवी लगाने का फैसला 2020 में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनाया था। हत्या के प्रयास के आरोपी अरविंद पटेल और कमलेश पाल ने जमानत की अर्जी लगाई थी।  दोनों ने 18 फरवरी 2020 को ग्वालियर जिले के बड़ौनी थाना क्षेत्र के गांव औरीना में बृजेश पाल के पैर में गोली मार दी थी। तब गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण स्थिति थी इसलिए जस्टिस नागू ने अपने आदेश में कहा था कि टीवी चाइना मेड नहीं होनी चाहिए।

एक नजर, जस्टिस नागू के ऐसे ही कुछ फैसलों पर

जमानत की एक ही शर्त 100 पौधे लगाओ

जस्टिस शील नागू के फैसलों की चर्चा आज भी लोग करते हैं। 5 साल पहले ग्वालियर में उन्होंने 3 दिन में 36 फैसले सुनाए। क्रिमिनल केसेस में जिन आरोपियों को सशर्त जमानत दी, उन्हें 100 -100 पौधे रोपने का आदेश दिया। जिन आरोपियों को पौधे लगाने के लिए कहा, उनमें से कुछ ग्वालियर से हैं तो कुछ गुना, भिंड, मुरैना, दतिया, अशोकनगर, शिवपुरी जिले से थे। सभी से पौधे की एक साल तक देखरेख करने को भी कहा गया था।

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जो पौधे लगाए जाएं, वो छायादार और फलदार हों

जस्टिस शील नागू ने आदेश में ये भी स्पष्ट किया कि जो पौधे लगाए जाएं, वो छायादार और फलदार भी हों। सुरक्षा के लिए ट्री-गार्ड लगाएं। नियमित पानी दें। ये सारी कवायद तीस दिन में पूरी करनी होगी और रिपोर्ट बनाकर हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में देनी होगी।

संबंधित जिले का वरिष्ठ सरकारी वकील निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करेगा और ट्रायल कोर्ट में देगा। यदि शर्त का पालन नहीं होगा तो जमानत कैंसिल कर दी जाएगी। आदेश की एक अनूठी बात ये भी थी कि आरोपियों को उस जगह पौधे लगाने के लिए कहा गया, जहां उन्होंने घटना को अंजाम दिया। इन 36 में से अधिकांश मामले आर्म्स और एक्साइज एक्ट के थे।

पौधों की फोटो निसर्ग एप पर अपलोड करने की शर्त

जस्टिस नागू ने दो साल पहले जून - जुलाई में 110 जमानत के केस में आरोपियों को पौधे लगाने की शर्त पर राहत दी। जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक की पहल पर मैप आईटी विभाग ने निसर्ग एप तैयार किया। जिस याचिकाकर्ता को पौधे लगाने का आदेश दिया गया, उसके मोबाइल में इस एप को इंस्टॉल किया जाता। वह जहां भी पौधे लगाता, उसकी फोटो एप में अपलोड करता। ऐसा करने से जगह की लोकेशन एप में अपलोड हो जाती है। कुछ समय बीतने के बाद याचिकाकर्ता जब इसी पौधे की दूसरी बार फोटो अपलोड करता तो ये सुनिश्चित हो जाता है कि ये वही पौधा है, जो रोपा गया था।

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स्कूल के पास फायरिंग , आदेश में कहा - आसपास 100 पौधे लगाओ

भिंड जिले की गोहद तहसील में 26 जनवरी 2019 को गणतंत्र दिवस पर हवाई फायरिंग हुई थी। जस्टिस शील नागू ने दो आरोपियों को इस शर्त पर जमानत दी कि वे स्कूल परिसर के आसपास 100 फलदार पौधे लगाएं, उनकी देखरेख करें। खनेता के रहने वाले सिकंदर और लल्लू पर गणतंत्र दिवस के मौके पर स्कूल के करीब हवाई फायरिंग का आरोप था।

इस फैसले पर मध्यप्रदेश के पूर्व एक्टिंग चीफ जस्टिस केके लाहोटी ने कहा था, ‘यह बहुत ही सराहनीय फैसला है। कोर्ट ऐसे व्यक्तियों को जिम्मेदारी दे रहा है, ताकि सामाजिक कार्यों के प्रति उन्हें जिम्मेदारी मिले।’ इनके अलावा भी जस्टिस शील नागू ने कभी शहीदों की विधवाओं के लिए भारत के वीर एप में राशि जमा कराने की शर्त तो कभी बाढ़ राहत कोष में योगदान देने की शर्त लगाकर फैसले सुनाए।

जस्टिस शील नागू जूनियर-सीनियर सभी को बराबर सुना करते हैं

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट पंकज दुबे ने बताया, 'जस्टिस शील नागू का मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का एक्टिंग चीफ जस्टिस बनना सिर्फ जबलपुर ही नहीं, मध्यप्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है। उनके साथ वकालत करते हुए काफी कुछ सीखने को मिला है।'

अधिवक्ता पंकज दुबे ने कहा, 'ग्वालियर हाईकोर्ट के जज बनने के बाद जब उनका ट्रांसफर हुआ तो ग्वालियर बार एसोसिएशन ने आवाज उठाई और उनका तबादला रोकने की मांग की गई। इसके बाद जस्टिस शील नागू जबलपुर हाईकोर्ट के जज बने। उनकी कोर्ट में सबसे खास बात यह होती है कि वे जूनियर-सीनियर, सभी को बराबर सुना करते हैं।

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