सीएम डॉ. मोहन यादव के वादे पर परिवहन विभाग के दो इंस्पेक्टर भार पड़ गए हैं। इनके द्वारा वसूली के लिए बड़े स्तर पर डील की बात हुई है और इसके बाद इन्होंने चौकियों पर वसूली के लिए कंटनेर में ही ऑफिस बनाकर शुरुआत कर दी है। यह शुरुआत अभी बालसमंद (सेंधवा) चौकी पर हुई है।
एक हजार रुपए हर ट्रक से मांग रहे
द सूत्र ने सुबह मौके पर ही खड़े एक ट्रक ड्राइवर से बात की। उसने बताया कि उनसे मप्र में एंट्री करने पर एक हजार रुपए की मांग की जा रही है। परिवहन विभाग वाले बोल रहे हैं कि एक हजार दे दो या फिर चार हजार का चालान बना देते हैं, तो वह राशि भर दो। जबकि कागज पूरे हैं। एक हजार देंगे तो कोई कागजी कार्रवाई नहीं होगी और रुपए लेकर जाने देंगे, नहीं तो चार हजार की चालाना राशि भरना होगी।
एक जुलाई से चौकियां बंद कर यह हुए थे आदेश
परिवहन विभाग की अवैध तौर पर चलने वाली चौकियों से हर दिन ट्रकों को रोककर 500 से 2000 रुपए की वसूली की जाती थी और इसकी रसीद कटती थी। सालों की इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ लगातार ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन आवाज उठा रही थी और सूत्र ने मौके पर जाकर स्टिंग कर लगातार मुहिम चलाई। सीएम डॉ. मोहन यादव ने इस मामले में हिम्मत वाला फैसला लिया और चौकियों को एक जुलाई से बंद कर दिया। इसमें आदेश था कि चौकियां खत्म होंगी, परिवहन अधिकारी जीप में बैठकर सड़कों पर घूमकर चेकिंग कर सकते हैं, लेकिन वह एक जगह नहीं बैठेंगे। उनके पास बॉडी कैमरे, जीपीएस रहेगा, ताकि पूरी व्यवस्था ट्रांसपेरेंट रहे और गुजरात मॉडल रहेगा।
अब हुआ क्या है
परिवहन विभाग के दो इंस्पेक्टर और एक पूर्व रिटायर इंस्पेक्टर लगातार इन वसूली के लिए सालों से ठेके लेते आए हैं। चौकी व्यवस्था बंद होने के बाद से ही यह बैचेन थे और इसका रास्ता निकालने की जुगत में थे। उच्च स्तर पर लगातार डील की कोशिश में यह जुटे हुए थे, सूत्रों के अनुसार मोहन सरकार, सुशासन सरकार के वादों को धता बताते हुए डील की गई और इसके बाद गली निकालते हुए कंटेनर में ऑफिस खोलने की व्यवस्था की गई।
इस तरह शुरू हुआ कंटनेर में ऑफिस
इसके बाद दो दिन पहले बालसमंद चौकी पर कंटनेर व्यवस्था शुरू हो गई। यहां पर आरटीओ ने बैरीकेड भी रख लिए हैं। यहीं पर स्टॉफ बैठता है और ट्रकों को रोका जाता है। इसके बाद ट्रक ड्राइवर कंटेनर में बैठे स्टॉफ से जाकर बात करता है और फिर इसके बाद ही ट्रक रवाना होता है। जबकि सीएम और परिवहन मंत्री के साथ ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के साथ हुई बैठक के बाद तय हुआ था कि कोई ऑफिस नहीं बनेगा और परिवहन चौकियों पर गुजरात मॉडल लागू किया जाएगा। लेकिन अभी तक परिवहन विभाग ने इस दिशा में अभी तक संसाधन भी जुटाकर स्टॉफ को नहीं दिए हैं। उधर यह ऑफिस शुरू हो गए।
यह बोले पदाधिकारी
इस मामले में लगातार आंदोलन करने वाले इंदौर ट्रक ऑपरेटर्स एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने कहा कि यह मोहन सरकार, सुशासन सरकार को प्रभावित करने के लिए कुछ लोगों द्वारा की जा रही हरकत है। गुजरात मॉडल के तहत स्थाई आफिस खोला ही नहीं जाना था, बस रोड पर ही जीप से घूमते हुए जांच की जाना थी। इस तरह कंटनेर में ऑफिस पूरी तरह से अवैध है।