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मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने एकीकृत टाउनशिप नीति 2025 का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। यह नीति रियल एस्टेट निवेश को आकर्षित करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और किफायती आवास की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई है। कुछ समाचार पत्रों में इसको लेकर गलत जानकारी देने के कारण पूरे प्रदेश में भ्रम की स्थिति बन गई है। तो आइए इस खबर से समझते हैं कि आखिर Integrated Township Policy 2025 है क्या…
एकीकृत टाउनशिप की नीति क्यों बनाई गई
- प्रदेश में नए रोजगार और आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए।
- किफायती आवास (Affordable Housing) की जरूरतों को पूरा करने के लिए।
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल को बढ़ावा देने के लिए।
दरअसल अभी कोई भी व्यक्ति कितनी भी जगह पर प्रोजेक्ट खड़ा कर लेता है। इससे रहवासियों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं और शहर का भी बेतरतीब विकास होता है। ऐसे में यह नई एकीकृत टाउनशिप नीति 2025 राज्य में बेहतर बुनियादी ढांचे, रियल एस्टेट में निवेश वृद्धि, और आवास क्षेत्र में सुधार लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इससे सस्टेनेबल (Sustainable) और व्यवस्थित शहरीकरण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य के विकास की गति तेज होगी।
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नीति की खास बातें, जो सबके लिए होंगी फायदेमंद
- भूमि स्वामी अपने प्लॉट्स को एक साथ लाकर संयुक्त रूप से टाउनशिप विकसित कर सकते हैं, जिससे राज्य में बड़े स्तर पर निवेश को बढ़ावा मिलेगा। यानी अगर जरूरी जमीन आपस में जुड़ी है और उनके मालिक चाहें तो मिलकर टाउनशिप शुरू कर सकते हैं।
- शहर की आबादी के हिसाब से जरूरी जमीन की आवश्यकता को तय किया गया है।
- कई सेक्टरों को इस नीति में शामिल किया गया है, जैसे आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, परिवहन, व्यापार और मनोरंजन, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और राज्य की GDP में वृद्धि होगी।
- नीति में शहर-स्तर की सामाजिक और भौतिक संरचना का भी प्रावधान है, जिससे बेहतर आधारभूत सुविधाएं विकसित हो सकेंगी।
- हरित क्षेत्र (Green Area) को बढ़ाने के लिए नीति में 10% भूमि पार्क और खुले क्षेत्र के लिए आरक्षित की गई है, जिसमें से कम से कम 25% क्षेत्र वनों से आच्छादित होगा।
- कमजोर वर्गों और निम्न आय वर्ग (EWS/LIG) के लिए 15% आवासीय इकाइयों का प्रावधान, जिससे राज्य के निम्न और मध्यम आय वर्ग को फायदा मिलेगा।
10 हेक्टेयर जमीन पर भी विकसित हो सकेगी टाउनशिप
नीति के क्रियान्वयन के लिए समिति का गठन
नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जनसंख्या के आधार पर साधिकार समितियां बनेंगी, जो इन टाउनशिप के विधिवत क्रियान्वयन को सुनिश्चित करवाएंगी। पांच लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के लिए प्रमुख सचिव, शहरी विकास विभाग की अध्यक्षता में समिति रहेगी। इसके अलावा, पांच लाख से कम आबादी वाले क्षेत्रों के लिए कलेक्टर, नगर निकाय के आयुक्त, जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी भी इस समिति का हिस्सा होंगे।
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टाउनशिप परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहन
नीति में निजी निवेशकों के लिए क्या सुविधाएं दी गई हैं?
- भूमि अधिग्रहण में सहायता- यदि कोई डेवलपर 80% भूमि खरीद लेता है, लेकिन शेष 20% भूमि खरीदने में विफल रहता है, तो वह सरकार से अधिग्रहण में सहायता मांग सकता है।
- सरकारी भूमि का योगदान- यदि टाउनशिप क्षेत्र में सरकारी भूमि आती है, तो डेवलपर को 20% (या अधिकतम 8 हेक्टेयर) भूमि दी जा सकती है, लेकिन बदले में 50% विकसित भूखंड सरकार को लौटाना होगा।
- TDR (Transferable Development Rights) का लाभ- यदि टाउनशिप TDR लागू क्षेत्रों में आती है, तो डेवलपर को अतिरिक्त FAR (Floor Area Ratio) की सुविधा दी जाएगी।
- अधिकतम भूमि खरीद पर कोई सीमा नहीं- टाउनशिप के लिए खरीदी गई कृषि भूमि को डायवर्ट (Land Use Change) किया जाएगा, जिससे इस पर कृषि भूमि अधिनियम, 1960 लागू नहीं होगा।
- कॉलोनी विकास नियमों में छूट- मध्य प्रदेश नगर पालिका कॉलोनी विकास नियम, 2021 में छूट दी जाएगी ताकि टाउनशिप विकास में आसानी हो।
- Affordable Housing को बढ़ावा- यदि कोई डेवलपर 30% सामान्य आवास के अलावा अतिरिक्त EWS/LIG आवास बनाता है, तो उसे अतिरिक्त FAR (Floor Area Ratio) दिया जाएगा।
- ग्रीन बिल्डिंग्स के लिए अतिरिक्त FAR- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल पर डेवलपर को अतिरिक्त सुविधाएं मिलेंगी।
- 60 दिनों में सभी अनुमतियां- संबंधित विभागों से सभी आवश्यक परमिट और अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) अधिकतम 60 दिनों के भीतर प्राप्त करने की सुविधा दी जाएगी।
इस नीति से शहर और आम लोगों को कैसे होगा फायदा
- रियल एस्टेट सेक्टर को एक नया ढांचा मिलेगा, जिससे राज्य में टाउनशिप विकास को गति मिलेगी।
- स्मार्ट सिटी मॉडल पर जोर दिया जाएगा, जिससे बेहतर आधारभूत ढांचा, हरित क्षेत्र, सार्वजनिक परिवहन और सामाजिक संरचना को मजबूती मिलेगी।
- संपत्ति निवेशकों के लिए सरल और पारदर्शी नियम लागू किए जाएंगे, ताकि वे रियल एस्टेट में निवेश के लिए आकर्षित हो सकें।
- नए टाउनशिप मॉडल से छोटे शहरों में भी स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार होगा, जिससे वहां के नागरिकों को भी महानगरों जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी।
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