मध्य प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में राज्य सरकार बड़े उद्योगपतियों के साथ कई निवेश करार करेगी। यह समिट राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे राज्य को बड़ी निवेश योजनाओं की उम्मीद है।
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क्या एमओयू निवेश में बदलेंगे?
अब बड़ा सवाल यह है कि ये एमओयू वास्तव में निवेश में बदलेंगे या नहीं। पिछले 5 सालों में 20 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए थे। हालांकि, इनमें से धरातल पर केवल 10% निवेश ही हुआ है। 7 रीजनल समिट में 25-30% निवेश प्रस्ताव ही भूमिपूजन तक पहुंचे। बाकी की प्रक्रिया अभी जारी है।
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एमओयू और ‘इंटेंशन टू इन्वेस्ट’ के बीच अंतर
एमओयू और 'इंटेंशन टू इन्वेस्ट' (निवेश की मंशा) में एक बड़ा अंतर है। एमओयू केवल एक प्रारंभिक सहमति होती है। इसे निवेश की गारंटी नहीं माना जा सकता है। पिछले 5 साल में केवल 10% एमओयू वास्तविक निवेश में बदले हैं, बाकी का भविष्य अभी अनिश्चित है।
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क्या कुछ बदलेगा?
गुजरात और राजस्थान में बड़े निवेश सम्मेलनों के आंकड़े बहुत प्रभावशाली थे। गुजरात के वाइब्रेंट गुजरात समिट में 26.33 लाख करोड़ के एमओयू हुए, जबकि राजस्थान के राइजिंग राजस्थान समिट में 35 लाख करोड़ के एमओयू किए गए। लेकिन इन राज्यों में भी पिछले सम्मेलनों के 10-15% निवेश ही धरातल पर उतरे हैं।
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मध्य प्रदेश की सरकार का दृष्टिकोण और सीआईआई की भूमिका
सीआईआई मध्य प्रदेश के चेयरमैन आशीष वैश्य ने कहा, "इस बार हम पुराने अनुभवों से सीखकर काम करेंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि ग्वालियर समिट में 8100 करोड़ का प्रस्ताव मिला था, जिसमें से 7500 करोड़ के काम आगे बढ़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस बार बड़े आंकड़ों से ज्यादा फोकस जमीन पर काम को लाने पर रहेगा।
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