पिछले कुछ दिनों से देशभर में सुर्खियां बटोर रहे तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद को लेकर उठे विवाद के बाद देश के अन्य मंदिर संस्थान भी इसे लेकर सतर्कता बरत रहे हैं। वहीं खाद्य एवं औषधि विभाग भी मंदिरों के प्रसाद की जांच कर अन्य जगहों पर ऐसी घटनाओं को रोकने का प्रयास कर रहा है।
दरअसल... मध्य प्रदेश के धार्मिक तीर्थ नगरी खंडवा जिले में स्थित भगवान ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर संस्थान भी इसे लेकर सतर्क नजर आ रहा है। बालाजी मंदिर में भगवान के प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डू में पशु की चर्बी पाए जाने के बाद भक्तों का नजरिया भी बदल रहा है और वे भी अब इसे लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं। ऐसे में ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर में बनने वाले प्रसाद की शुद्धता की जांच राज्य स्तरीय प्रयोगशाला में कराई जा रही है, जिसके लिए जिले की खाद्य विभाग की टीम ने मंदिर से लड्डू प्रसाद के 6 सैंपल लिए हैं।
लड्डू लेब भेज दिए गए
खंडवा जिले के ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के ओंकार प्रसादालय में हर दिन क्विंटलों लड्डू प्रसाद बनाया जा रहा है। पुनासा एसडीएम शिवम प्रजापति के निर्देश पर खाद्य विभाग द्वारा प्रसाद बनाने में उपयोग किए जाने वाले घी के नमूने जांच के लिए लिए गए हैं। इस संबंध में जिले के सहायक कार्यपालन अधिकारी ने मीडिया को बताया कि अभी गुणवत्ता की जांच नहीं हुई है, लेकिन लड्डू प्रसाद एक ब्रांडेड कंपनी की सामग्री से बनाया जा रहा था, जिसके नमूने जांच के लिए लैब भेजे गए हैं।
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लड्डुओं की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं
सलकनपुर मंदिर ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष महेश उपाध्याय का कहना है कि मंदिर परिसर में कई स्वयं सहायता समूह मंदिर का लोगो लगाकर लड्डू बेच रहे हैं। इन लड्डुओं की गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं है। इन लड्डुओं में किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मंदिर परिसर में बिक रहे लड्डू न खरीदें। साथ ही उनका कहना है कि इन लड्डुओं की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है और इससे मंदिर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच सकती है।
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