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मध्यप्रदेश में मानसून की वापसी ने नया मोड़ लिया है। मौसम विभाग ने नीमच, श्योपुर, मुरैना और भिंड जिलों से मानसून की विदाई की घोषणा की। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून 6 पहले प्रदेश छोड़ रहा है, जबकि सामान्य रूप से यह 30 सितंबर तक रहता है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी अब उत्तर-पश्चिम मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों से हो चुकी है। यह बदलाव प्रदेश के मौसम को प्रभावित कर रहा है। आने वाले दिनों में और जिलों में मानसून की विदाई हो सकती है।
बुरहानपुर में तेज बारिश
बुरहानपुर जिले में हुई भारी बारिश ने इलाके के किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। नेपानगर के डाभियाखेड़ा में केला, सोयाबीन और हल्दी की फसलें जलमग्न हो गईं। इसके अलावा, खाद की बोरियां और घरों में रखा अनाज भी भीगने से कृषि पर भारी असर पड़ा। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार बारिश से खरीफ फसलों को भारी नुकसान हो सकता है।
2025 के मानसून का असमान असर
इस बार के मानसून में प्रदेश के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जबकि कुछ हिस्सों में बारिश की कमी देखी गई। विशेष रूप से ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में मानसून ने जमकर पानी गिराया, वहीं इंदौर और उज्जैन क्षेत्र में बारिश की कमी थी, जो अब सितंबर में पूरी हुई है।
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प्रदेश के इन जिलों में इतनी बारिश
- गुना: 65.4 इंच (सबसे ज्यादा)
- रायसेन: 61.1 इंच
- मंडला: 60 इंच
- श्योपुर: 56.6 इंच
- अशोकनगर: 56 इंच
- खरगोन: 27.3 इंच (सबसे कम)
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प्रभावी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति
प्रदेश के कई क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। छतरपुर, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ आई, जिससे वहां के निवासियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा।
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प्रदेश में बारिश की स्थिति
प्रदेश में मानसून ने 16 जून को दस्तक दी थी, और अब तक 44 इंच बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 19 प्रतिशत अधिक है। गुना और रायसेन जिले ऐसे हैं, जहां 61 इंच से अधिक बारिश हुई है। वहीं, कुछ जिलों में तेज बारिश के कारण जलभराव और फसलों का नुकसान भी हुआ है।