MP में मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना नहीं दिला पा रही युवाओं को रोजगार, बढ़ रही निराशा

मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना में युवाओं को प्रशिक्षित और रोज़गार देने का जो सपना दिखाया गया था वो पूरा होता नहीं दिख रहा है। ४५००० को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य था लेकिन कर पाए सिर्फ़ १६३३ को।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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MP youths not getting employment
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MP News: मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना  युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। लेकिन योजना के आंकड़े और हालिया समीक्षा से पता चलता है कि यह योजना अब दम तोड़ रही है।

योजना के तहत हर साल एक लाख युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण और 8 से 10 हजार रुपए मासिक स्टाइपेंड देने का लक्ष्य था, लेकिन वास्तविकता इससे बहुत दूर है। मंदसौर, टीकमगढ़ जैसे कुछ ज़िलों में तो एक भी रोज़गार नहीं मिला है। वहीं इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में भी स्थिति अच्छी नहीं है।

क्यों नहीं हुई सफल

प्रशिक्षण में भारी कमी: इस वर्ष प्रदेश के 32 जिलों में कोई प्रशिक्षण आयोजित नहीं हो सका है। एमएमएसकेवाई पोर्टल पर 45,425 रिक्तियां उपलब्ध होने के बावजूद, केवल 1,633 युवाओं को ही प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया।
रोजगार में नाकामी: अप्रेल तक सिर्फ 275 युवाओं को ही रोजगार मिला, जो कुल लाभार्थियों का मात्र 0.3% है।
स्टाइपेंड भुगतान में देरी: प्रशिक्षण के दौरान कई माह तक स्टाइपेंड न मिलने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे युवाओं का मनोबल गिरा है।
प्रशिक्षण की गुणवत्ता: संस्थानों में प्रशिक्षण सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह गया है, जिससे युवाओं को व्यावहारिक अनुभव नहीं मिल पा रहा।

नेशनल अप्रेंटिसशिप स्कीम की स्थिति भी निराशाजनक

केंद्र सरकार की नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम (National Apprenticeship Promotion Scheme - NAPS) भी प्रदेश में सफलता नहीं प्राप्त कर पाई।29 जिलों में एक भी अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षणार्थी को अवसर नहीं मिला।

कुल 81,078 संभावित वैकेंसी में केवल 20,485 को प्रशिक्षण और 1,147 को रोजगार मिला। संस्थागत कमजोरी, स्टाइपेंड में देरी और प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।

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युवाओं में निराश

युवा प्रशिक्षणार्थियों में रोज़गार ना मिलने की वजह से नाराज़गी है। उनका कहना है कि पोर्टल पर पंजीयन करवाने के बाद भी किसी कंपनी से कोई बुलावा नहीं आया। कई लोगों ने तो निराश होकर अब तो पोर्टल देखना ही बंद कर दिया है।स्टाइपेंड न मिलने और रोजगार न मिलने से युवा पूरी तरह निराश हैं और योजना से उनका विश्वास टूट रहा है।

सुधार की जरूरत

  • प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुधारें ताकि युवा वास्तविक कौशल सीख सकें।
  • समय पर स्टाइपेंड भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
  • प्रशिक्षण के बाद रोजगार के अवसर बढ़ाएं और पोर्टल पर सक्रियता लाएं।
  • जिलों के आधार पर लक्ष्य निर्धारित कर नियमित समीक्षा करें।

मध्य प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजनायुवाओं को रोजगार दिलाने का बड़ा वादा थी, लेकिन कार्यान्वयन में भारी कमी और गलत नीतियों के कारण यह योजना युवाओं के लिए मायूसी बनती जा रही है। समय रहते सुधार और योजना में पारदर्शिता लाना बेहद आवश्यक है, ताकि प्रदेश के लाखों युवा बेरोजगारी के दंश से बाहर निकल सकें।

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