शुरू हुई नागद्वारी यात्रा, प्रशासन ने किए विशेष इंतजाम

नागद्वारी यात्रा की शुरु हो गई है। पचमढ़ी में नागद्वारी मंदिर साल में 10 दिनों के लिए ही खुलता है। यात्रा में मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु नागराज के दर्शन करने आते हैं।

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Ravi Singh
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Nagdwari Yatra
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नागद्वारी यात्रा की शुरु हो गई है। पचमढ़ी में नागद्वारी मंदिर साल में 10 दिनों के लिए ही खुलता है। यात्रा में मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु नागराज के दर्शन करने आते हैं। यात्रा 7 दुर्गम पहाड़ी और 15 किलोमीटर की यात्रा कर श्रद्धालु नागराज के दर्शन करते हैं।

यात्रा के लिए विशेष इंतजाम

10 दिवसीय नागद्वारी यात्रा को लेकर प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए गए हैं। मेला प्रभारी व एसडीएम संतोष तिवारी का कहना है कि पहले दिन 25 से 30 हजार श्रद्धालुओं के भोले शंकर के दर्शन करने का अनुमान है। मेला अवधि तक एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आरआई, पटवारी सहित प्रशासनिक अमला यही मौजूद रहेगा, साथ ही 700 पुलिस जवान और 130 होमगार्ड, 50 आपदा मित्र, 12 एनडीआरएफ के जवान यात्रा में तैनात रहेंगे।

प्रशासन ने फिक्स किया बसों का किराया

 जगह किराया
नागपुर से पचमढ़ी  338 रुपए
छिंदवाड़ा से पचमढ़ी 236 रुपए
भोपाल से पचमढ़ी 250 रुपए
सिवनी मालवा से पचमढ़ी 212 रुपए
इटारसी से पचमढ़ी 178 रुपए
नर्मदापुरम से पचमढ़ी 157 रुपए
बाबई से पचमढ़ी 128 रुपए
सेमरी से पचमढ़ी 106 रुपए
बनखेड़ी से पचमढ़ी 97 रुपए
सोहागपुर से पचमढ़ी 93 रुपए
पिपरिया से पचमढ़ी 68 रुपए
मटकुली से पचमढ़ी 36 रुपए
औबेदुल्लागंज से पचमढ़ी 206 रुपए
गाडरवारा से पचमढ़ी 136 रुपए

100 साल से चालू है यात्रा

नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को के 100 साल से ज्यादा हो गए हैं। लोग 2-2 पीढ़ियों से मंदिर में नाग देवता के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। सबसे पहले 1959 में चौरागढ़ महादेव ट्रस्ट बना था। 1999 में महादेव मेला समिति का गठन हुआ। इस बार ये यात्रा 18 जुलाई से शुरू हुई है और 28 जुलाई तक चलेगी। जल गली से 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा में भक्तों को दो दिन लगेंगे। गुफा में विराजमान नाग देवता के दर्शन भक्त करते हैं।  नागद्वार मंदिर की यात्रा श्रद्धालु सुबह ही शुरू करते हैं, ताकि शाम तक गुफा तक पहुंच जाएं।

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नागलोक को जाता है रास्ता

मान्यता है कि सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच एक ऐसा रहस्यमयी रास्ता है जो सीधा नागलोक जाता है। इस दरवाजे तक पहुंचने के लिए खतरनाक पहाड़ों को चढ़ाई और बारिश में भीगे घने जंगलों की खाक छानना पड़ता  है। तब जाकर आप नागद्वारी पहुंच सकते हैं।

दर्शन करने से कालसर्प दोष होता है दूर

सावन के महीने में हर साल नागद्वारी मेला लगता है। आस्था के इस समागम में श्रद्धालु नागद्वारी पहुंचकर नागराज के दर्शन करते हैं। नागराज के दर्शन को बाबा अमरनाथ के दर्शन के समान ही माना जाता है। माना जाता है कि नागद्वारी मेले में दर्शन करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।

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नागदेव की कई मूर्तियां

नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा है। यह गुफा 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं। स्वर्ग द्वार चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्थित है। स्वर्ग द्वार में भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं। मान्यता  है कि जो लोग नागद्वार जाते हैं, उनकी मांगी गई मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। नागद्वारी की यात्रा करते समय रास्ते में आपका सामना कई जहरीले सांपों से हो सकता है, लेकिन राहत की बात है कि यह सांप भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। सुबह से श्रद्धालु नाग देवता के दर्शन के लिए निकलते हैं। 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं। नागद्वारी मंदिर की गुफा करीब 35 फीट लंबी है।

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