Nagdwar Mela : यहां पर है नागलोक का रहस्यमयी दरवाजा, खुलता है साल में एक बार

पचमढ़ी में 1 अगस्त से नागद्वारी मेले की शुरुआत होने वाली है। मेले को लेकर मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र के कई शहरों से श्रद्धालुओं के आ रहे हैं।

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Ravi Singh
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Nagdwar Mela Pachmarhi 2024 : मानसून के दिनों में मध्य प्रदेश की प्राकृतिक खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं. इन दिनों में हरे-भरे नजारे देखकर हर किसी का दिल ताजगी और आनंद से भर जाता है। पचमढ़ी में 1 अगस्त से नागद्वारी मेले की शुरुआत होने वाली है। मेले को लेकर मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र के कई शहरों से श्रद्धालुओं के आ रहे हैं। मेले की मान्यताओं को देखते हुए जिला प्रशासन भी जोर शोर से तैयारियों में कर रहे हैं।

नागलोक को जाता है रास्ता

मान्यता है कि सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच एक ऐसा रहस्यमयी रास्ता है जो सीधा नागलोक जाता है। इस दरवाजे तक पहुंचने के लिए खतरनाक पहाड़ों को चढ़ाई और बारिश में भीगे घने जंगलों की खाक छानना पड़ता  है। तब जाकर आप नागद्वारी पहुंच सकते हैं।

दर्शन करने से कालसर्प दोष होता है दूर

सावन के महीने में हर साल नागद्वारी मेला लगता है। आस्था के इस समागम में श्रद्धालु नागद्वारी पहुंचकर नागराज के दर्शन करते हैं। नागराज के दर्शन को बाबा अमरनाथ के दर्शन के समान ही माना जाता है। माना जाता है कि नागद्वारी मेले में दर्शन करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।

पचमढ़ी के जंगलों के बीच रहस्यमयी रास्ता जाता है सीधे नागलोक

नागदेव की कई मूर्तियां

नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा है। यह गुफा 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं। स्वर्ग द्वार चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्थित है। स्वर्ग द्वार में भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं। मान्यता  है कि जो लोग नागद्वार जाते हैं, उनकी मांगी गई मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। नागद्वारी की यात्रा करते समय रास्ते में आपका सामना कई जहरीले सांपों से हो सकता है, लेकिन राहत की बात है कि यह सांप भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। सुबह से श्रद्धालु नाग देवता के दर्शन के लिए निकलते हैं। 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं। नागद्वारी मंदिर की गुफा करीब 35 फीट लंबी है।

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100 साल से चालू है यात्रा

नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को के 100 साल से ज्यादा हो गए हैं। लोग 2-2 पीढ़ियों से मंदिर में नाग देवता के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। सबसे पहले 1959 में चौरागढ़ महादेव ट्रस्ट बना था। 1999 में महादेव मेला समिति का गठन हुआ। इस बार ये यात्रा 18 जुलाई से शुरू हुई है और 28 जुलाई तक चलेगी। जल गली से 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा में भक्तों को दो दिन लगेंगे। गुफा में विराजमान नाग देवता के दर्शन भक्त करते हैं।  नागद्वार मंदिर की यात्रा श्रद्धालु सुबह ही शुरू करते हैं, ताकि शाम तक गुफा तक पहुंच जाएं।

मेले के लिए बसों का संचालन

नागद्वार मेले के लिए यह रास्ता साल में एक बार ही खोला जाता है। यहां पर कई गुफाएं हैं, इन गुफाओं में नाग देवता की सैकड़ों प्रतिमाएं हैं, जिनके श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। दुर्गम रास्तों से होते हुए लगभग 12 से 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर श्रद्धालु नागद्वारी मेले तक पहुंचते हैं।

कितना किराया लगेगा

छिंदवाड़ा से पचमढ़ी का 236 रुपए, भोपाल से पचमढ़ी का किराया 250 रुपए, सिवनीमालवा से पचमढ़ी का किराया 212 रुपए, इटारसी से पचमढ़ी का किराया 178 रुपए, नर्मदापुरम से पचमढ़ी का किराया 157 रुपए और बाबई से पचमढ़ी का किराया 128 रुपए है।

सेमरी से पचमढ़ी का किराया 106 रुपए, बनखेडी से पचमढ़ी का किराया 97 रुपए, सोहागपुर से पचमढ़ी का किराया 93 रुपए, पिपरिया से पचमढ़ी का किराया 68 रुपए, मटकुली से पचमढ़ी का किराया 36 रुपए, औबेदुल्लागंज से पचमढ़ी का किराया 206 और गाडरवाड़ा से पचमढ़ी का किराया 136 रुपए निर्धारित किया गया है।

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