एक जुलाई से बदलेंगी कानून की धाराएं, मध्य प्रदेश पुलिस में Jobs के खुलेंगे अवसर

मध्य प्रदेश में 50 हजार से अधिक जांच अधिकारियों और 800 से ज्यादा पब्लिक प्रॉसिक्यूटर्स की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। इसी के साथ NCRB और मप्र की वेबसाइट CCBN पर भी जानकारी अपडेट की जा चुकी है।

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Deeksha Nandini Mehra
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एमपी पुलिस में Jobs
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Madhya Pradesh Police Jobs : एक जुलाई से देश के कई कानूनों की धाराएं बदल जाएंगी। दरअसल भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून एक जुलाई से लागू होंगे। इस बदलाव को लेकर जहां मध्य प्रदेश पुलिस और कानून विभाग पूरी तरह से तैयार है, वहीं यह बदलाव कई नौकरियों की संभावनाएं लेकर भी आ रहा है। 

MP है तैयार 

बदलने वाले कानूनों के प्रति समझ बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश में 50 हजार से अधिक जांच अधिकारियों और 800 से ज्यादा पब्लिक प्रॉसिक्यूटर्स की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। इसी के साथ NCRB और मप्र की वेबसाइट CCBN पर भी जानकारी अपडेट की जा चुकी है। इस बदलाव के साथ ही परिवर्तन जॉब्स की संभावनाएं भी लेकर आ रहा है। आइए जानते हैं इस नियम के बारे में… 

अब सात साल से अधिक सजा के अपराध में फोरेंसिक जांच जरूरी

अब जीरो FIR और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी FIR कराई जा सकेगी। इसके साथ ही सात साल से अधिक उम्र के अपराध में फोरेंसिक जांच जरूरी होगी। गंभीर मामलों की विवेचना एसीपी व डीएसपी से कराई जा सकेगी। अब बड़ा सवाल यह है कि मध्य प्रदेश में थाना स्तर या जिला स्तर पर इतने फोरेंसिक अधिकारी मौजूद नहीं हैं। 

ऐसे में बड़ी संख्या में फोरेंसिक क्षेत्र में नौकरियां निकलेंगी। फोरेंसिक अधिकारियों की पोस्ट भरने के लिए केंद्र सरकार ने भी सात साल का समय दिया है, जिसमें क्रमश: खाली पदों को भरा जाएगा। ऐसे में साफ है कि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरियां निकलने वाली हैं। 

एक नजर में

  • तेजाब हमला की धारा 326 ए की जगह 124(1) हो जाएगी। 
  • दुष्कर्म की धारा 376 की जगह धारा 64 होगी। 
  • हत्या की धारा 302 की जगह धारा 103 हो जाएगी। 
  • चोरी की धारा 378 की जगह 303(1) होगी।
  • डकैती में धारा 395 की जगह अब धारा 310(2) में केस दर्ज होंगे। 
  • धोखाधड़ी की धारा 420 की जगह 318 (4) अमल में आएगी।

नए कानूनों से क्या होगा बदलाव

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 163 साल पुरानी IPC की जगह लेगी, जिससे दंड कानून में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे। नए कानून में यौन अपराधों के लिए कड़े उपाय किए गए हैं। इस कानून में उन अपराधियों के लिए दस साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है, जो बिना किसी इरादे के शादी का वादा करके धोखे से यौन संबंध बनाते हैं। 

संगठित अपराध जैसे अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि हड़पना, अनुबंध हत्या, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध और व्यक्तियों, ड्रग्स, हथियारों या अवैध वस्तुओं या सेवाओं की तस्करी को लेकर भी कड़े कानून बनाए गए हैं।

वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए मानव तस्करी, संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्यों के रूप में या ऐसे सिंडिकेट की ओर से मिलकर काम करने वाले व्यक्तियों या समूहों द्वारा की जाती है, उन्हें कठोर दंड का सामना करना पड़ेगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भौतिक लाभ के लिए हिंसा, धमकी, डराने-धमकाने, जबरदस्ती या अन्य गैरकानूनी तरीकों से किए गए इन अपराधों को कड़ी सजा दी जाएगी।

मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सजा

राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए भारतीय न्याय संहिता ने आतंकवादी कृत्य को ऐसी किसी भी गतिविधि के रूप में परिभाषित किया है। ये आतंक फैलाने के इरादे से देश एकता एवं अखंडता को खतरे में डालते हैं।

बता दें कि ईपीसी में 23 अध्याय और 511 धाराएं थीं। बीएनएस में 20 अध्याय और 358 धाराएं हैं। इसमें 33 धाराओं में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है। 83 अपराधों में जुर्माना राशि बढ़ाई है। 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। नए नियम के अनुसार अब आईपीसी की धारा 323 अब 115(2) कहलाएगी। 

सात साल से अधिक सजा के अपराध में फोरेंसिक जांच जरूरी

अब जीरो FIR और इलेक्ट्रोनिक माध्यम से भी FIR कराई जा सकेगी। इसके साथ ही सात साल से अधिक उम्र के अपराध में फोरेंसिक जांच जरूरी होगी। गंभीर मामलों की विवेचना एसीपी व डीएसपी से कराई जा सकेगी। पोक्सो की विवेचना 2 महीने में पूर्ण करनी होगी। 3 साल से कम सजा वाले अपराध में गिरफ्तारी के लिए एसीपी से अनुमति लेनी होगी।

फोटो, वीडियो, मैसेज बनेंगे अहम साक्ष्य

इंडियन एविडेंस एक्ट (आईईए)1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 लागू होगा। आईईए में 11 अध्याय व 167 धाराएं थीं। बीएसए में 12 अध्याय व 170 धाराएं हैं। मृत्यु पूर्व बयान की धारा 32 को अब धारा 26 के नाम से जाना जाएगा।

बीएसए में फोटो, वीडियो, मैसेज भी अहम साक्ष्य बनेंगे। साथ ही, डॉक्टर, पुलिस व अन्य गवाहों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गवाही हो सकेगी। नए कानून में दंड की जगह न्याय पर जोर दिया गया है।

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