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Ratlam Mahalaxmi temple
रतलाम महालक्ष्मी मंदिर पूरे भारत में बहुत मशहूर है। (famous tample) दिवाली पर यहां एक अनोखी परंपरा होती है, जहां भक्त माता को करोड़ों का धन और गहने चढ़ाते हैं। दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आते हैं क्योंकि यहां प्रसाद में गहने भी मिलते हैं।
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सोना-चांदी से होता है श्रृंगार
दिवाली से पहले रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर की रौनक देखने लायक होती है! यहां मां लक्ष्मी का श्रृंगार फूलों से नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये के असली नोटों और सोने-चांदी के गहनों से किया जाता है।
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भक्त चढ़ाते हैं हीरे-जवाहरात
यह अद्भुत सजावट मंदिर का अपना धन नहीं है, बल्कि भक्त अपनी कमाई से श्रद्धापूर्वक मां के चरणों में सोने-चांदी और हीरे-जवाहरात चढ़ाते हैं।
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धन दोगुनी होने की अनोखी मान्यता
सिर्फ सजावट ही नहीं, इस मंदिर की एक बहुत गहरी मान्यता है। भक्त मानते हैं कि जो भी धन या गहने वे मां को भेंट करते हैं, मां लक्ष्मी उसे स्वीकार करके साल भर में दोगुना कर देती हैं।
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बाकायदा होती है चढ़ावे की एंट्री
मंदिर में जो भी नोटों की गड्डियां या गहने चढ़ाए जाते हैं, उनकी बाकायदा एंट्री होती है। भक्तों के नाम, फोटो और आधार कार्ड के साथ चढ़ावे का पूरा हिसाब-किताब एक रजिस्टर में लिखा जाता है और उन्हें टोकन भी मिलता है।
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भाई दूज पर धन की वापसी
दीपावली के बाद, भाई दूज के शुभ दिन, भक्तों को उनका सारा चढ़ावा—चाहे वो धन हो या गहने—वापस कर दिया जाता है। भक्त अपना टोकन दिखाकर ये राशि वापस ले जाते हैं, (मां लक्ष्मी की कृपा ) जिसे वे मां लक्ष्मी का साक्षात् आशीर्वाद मानते हैं।
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गहनों का प्रसाद मिलने की प्रथा
रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर शायद पूरे भारत में अद्वितीय है, जहां भक्तों को प्रसाद के रूप में लड्डू-पेड़े नहीं, बल्कि नोटों की गड्डियां और कभी-कभी सोने-चांदी के छोटे जेवर भी मिलते हैं।
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महाराजा रतन सिंह राठौर से जुड़ी परंपरा
मान्यता है कि यह अद्भुत परंपरा रतलाम शहर बसाने वाले महाराजा रतन सिंह राठौर के समय से चली आ रही है। वे दीपावली और धनतेरस पर मां लक्ष्मी के भव्य श्रृंगार के लिए अपना शाही खजाना और आभूषण चढ़ाते थे।