सोयाबीन के दाम कब बढ़ेंगे..? बाजार में भाव 3 से 4 हजार, MP में सरकार MSP पर नहीं खरीदती पीला सोना

मध्‍य प्रदेश में करीब एक करोड़ किसान हैं। इनमें आधे से ज्यादा सीमांत हैं। यानी इनके पास 3 से 4 एकड़ खेती की जमीन है, मगर विडम्बना देखिए इन किसानों को न तो अपनी फसलों के वाजिब दाम मिल रहे हैं और न ही पर्याप्त रूप से फसल बीमा की राशि...

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Ravi Kant Dixit
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सोयाबीन के दाम कब बढ़ेंगे
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भोपाल. गर्व कीजिए, जो हमारे लिए दिन-रात एक करते हैं। धरती की सेवा करते हैं। कभी मेहनत से नहीं डरते हैं। लू हो चाहे, सर्दी सयानी। और चाहे बरसे झर-झर पानी। किसानों के लिए ये तो मौसम भर हैं। ये तो तूफानों का भी 'मुंह' फेरने का साहस रखते हैं। मध्यप्रदेश में करीब एक करोड़ किसान हैं। इनमें आधे से ज्यादा सीमांत हैं। यानी इनके पास 3 से 4 एकड़ खेती की जमीन है, मगर विडम्बना देखिए इन किसानों को न तो अपनी फसलों के वाजिब दाम मिल रहे हैं और न ही पर्याप्त रूप से फसल बीमा की राशि...। 

    किसान नेता योगेंद्र यादव कहते हैं, इस देश में सरकार कभी भी बंदूक चलाती है तो किसान के कंधे पर रखकर ही। किसान को अधिकार के नाम पर मिलती हैं तो केवल उपाधियां और शेरो-शायरी। जब भी किसान को चार पैसे मिलने का समय आता है तो सरकार अपने हाथ झाड़ लेती है। यहां मुझे चंद पंक्तियां भी याद आती हैं कि...

    नए दौर की दुनियादारी में

    किसानों की फसलों का 

    शायरों की गजलों का 

    कोई सही दाम दे नहीं पाया।

    दरअसल, इस भूमिका के पीछे किसानों की तकलीफ, दर्द और बेइंतेहा गुस्सा छिपा है। यूं तो मध्यप्रदेश को हाल ही में एक बार फिर सोया स्टेट का तमगा मिला है, पर सूबे में किसानों को सोयाबीन के वाजिब दाम नहीं मिल रहे हैं। नतीजतन प्रदेश सोयाबीन की बोवनी और उत्पादन में लगातार पिछड़ भी रहा है। पांच वर्ष में राज्य में सोयाबीन का रकबा छह लाख हैक्टेयर घट गया है। कुल मिलाकर किसान आसमानी आफत के साथ सुल्तानी लापरवाही का दंश भी झेलने को मजबूर हैं। 

    मध्य प्रदेश में एमएसपी पर नहीं खरीदते सोयाबीन 

    सरकार ने आगामी खरीफ मार्केटिंग सीजन के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4 हजार 892 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, पर मंडियों में कीमतें 3500 से 4000 रुपए तक ही हैं। सबसे निराशाजनक बात तो यह है कि देश के कई राज्यों में सरकार एमएसपी पर सोयाबीन खरीदती है, पर मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी की मांग की थी। उन्हें सोयाबीन खरीदी की अनुमति दी गई है। 

    10 साल पुरानी कीमतों पर पहुंचे दाम 

    सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी सोपा के अनुसार, वर्ष 2013-14 में सोयाबीन औसत भाव 3 हजार 823 रुपए प्रति क्विंटल था। मतलब साफ है कि सोयाबीन की कीमतें 10 साल पहले की कीमतों पर पहुंच गई हैं। इसके उलट लागत बढ़ गई है। 

    मध्यप्रदेश के 20 से ज्यादा जिलों के किसान सोयाबीन का समर्थन मूल्य छह हजार रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए किसानों ने संयुक्त मोर्चा बनाया है। तहसील और जिला स्तर पर ज्ञापन दिए जा रहे हैं। किसान कहते हैं, पांच सालों से सोयाबीन की कीमतें स्थिर हैं, जबकि उत्पादन की लागत दोगुनी हो गई है। 

    किसानों ने की आंदोलन की शुरुआत

    देश के ​वरिष्ठ किसान नेता राकेश टिकैत ने बीते 29 अगस्त को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखकर सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग की है। इधर, टिकैत की चिट्ठी के बाद किसानों ने समर्थन मूल्य बढ़ाने की मुहिम छेड़ दी है। विदिशा जिले के किसान देवेंद्र रघुवंशी कहते हैं, यदि मौजूदा बाजार दरें जारी रहती हैं तो किसान नुकसान में ही रहेंगे। किसान हरिओम शर्मा कहते हैं, एक बीघा में सोयाबीन पर खर्च 9 हजार 480 रुपए आता है। प्रति बीघा जुताई पर 700 रुपए, बुआई पर 350 रुपए, बीज पर 1500, कीटनाशक पर 2000, खाद पर 930 रुपए, मजदूरी पर 3000 होने रुपए और खरपतवार हटाने पर एक हजार रुपए की लागत आ रही है। 

    देश में संकटों से जूझती खेती 

    सेवानिवृत्त कृषि अधिकारी एवं अध्येता सुरेंद्र दांगी कहते हैं, इन दिनों सोयाबीन न्यूनतम 3 हजार और अधिकतम 4 हजार 500 रुपए प्रति किवंटल के भाव से बिक रहा है, जबकि सोयाबीन उत्पादन में प्रति क्विंटल 3 हजार 500 से 4 हजार रुपए तक आती है। वे कहते हैं, जो किसान हैं वे निश्चित रूप से यह जानते-समझते हैं कि खेती कभी भी लाभ का धंधा नहीं रही। देश में खेती अनंत संकटों से जूझती है। इसमें बिगड़ते पर्यावरण की सबसे ज़्यादा मार खेती-किसानी पर पड़ रही है। भीषण गर्मी, भयंकर ठंड, अति वृष्टि, अल्प वृष्टि, सूखा, बाढ़, ओला, पाला, तुषार के साथ बीते वर्षों में देशभर में आवारा मवेशी किसानों की फसलों को नष्ट कर रहे हैं। इन आसमानी आफतों के साथ सुल्तानी मुसीबतों की कोई कमी नहीं हैं। सरकारें दावे कुछ भी करें, लेकिन यथार्थ में उनकी नीतियां किसानों के हितों का कम ही ख्याल रखती आईं हैं।

    मध्यप्रदेश किस तरह बना सोया स्टेट

    मध्यप्रदेश में सत्तर के दशक में सोयाबीन की खेती की शुरुआत हुई थी। धीरे धीरे रकबा बढ़ता गया और अब मध्यप्रदेश पूरे देश में सबसे ज्यादा सोयाबीन उगाता है। हाल ही में मध्यप्रदेश को सोया स्टेट का ताज ​मिला है। 

    देखिए किस तरह घटता जा रहा रकबा

    वर्ष सोयाबीन का रकबा
    2020 59 लाख हैक्टेयर
    2021 55 लाख हैक्टेयर
    2022 57 लाख हैक्टेयर
    2023 54 लाख हैक्टेयर
    2024   53 लाख हैक्टेयर

    42 फीसदी पैदावार होती है मध्यप्रदेश में 

    किसानों की ये स्थिति तब है, जब देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में मध्यप्रदेश की हिस्सेदारी करीब 42 प्रतिशत है। मतलब, देश में जितना सोयाबीन पैदा होता है, उसमें आधे से ज्यादा की भरपाई मध्यप्रदेश के किसान करते हैं। सीहोर अंचल के बमुलिया दोराहा के किसान बनवारी लाल ने सोयाबीन की फसल ट्रैक्टर से कुचल दी।

    उनका कहना है कि एक तो सोयाबीन के दाम सही नहीं मिलते। ऊपर से मौसम और कीट व्याधि की आफत आन पड़ी है। हम सोयाबीन की बांझ फसल को रौंदने पर मजबूर हैं। पीला मोजेक और मक्खी ने फसल बर्बाद कर दी है। कई खेतों में पौधों पर आ रहे फूल गिर गए हैं। सोयाबीन के पत्ते तक नष्ट हो रहे हैं। इसे लेकर किसानों ने खेतों से लेकर जिला मुख्यालय तक प्रदर्शन किया है।

     कांग्रेस ने सरकार को घेरा, शिवराज पर भी साधा निशाना 

    इधर, किसानों की मांग का कांग्रेस ने भी समर्थन किया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, एक तरफ तो 5.47 मिलियन टन उत्पादन के साथ देश में पहला स्थान प्राप्त कर मध्यप्रदेश को पूरे देश में 'सोया प्रदेश' का दर्जा मिला है, वहीं दूसरी तरफ सोयाबीन की फसल उगाने वाले किसान उपज का सही मूल्य नहीं मिलने से परेशान हैं। 

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने वीडियो जारी कर कहा कि अगर मेरे किसान भाइयों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिला तो कृषि मंत्री को चैन से सोने नहीं देंगे। पूर्व सीएम व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा, जब तक सरकार समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाती, तब तक किसानों को बीजेपी के सदस्यता अभियान का बॉयकॉट कर देना चाहिए। 

    नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार कहते हैं, CM साहब, जिनकी वजह से मध्यप्रदेश सोया प्रदेश बना है, उन किसानों की सोयाबीन तो MSP पर खरीद लीजिए। कब तक किसान अपनी सोयाबीन की फसल को ट्रैक्टर से रौंदते रहेंगे। 

    शिवराज बोले, सरकार मांग करे, हम अनुमति देंगे 

    इधर, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि हम एमएसपी पर किसानों का सोयाबीन खरीदेंगे। हम मध्यप्रदेश सरकार के संपर्क में हैं। अभी सोयाबीन की फसल आने में थोड़ी देर है। हमारी दो योजनाएं हैं खरीदी की, मध्यप्रदेश सरकार उनमें से किसी भी योजना में मिनिमम सपोर्ट प्राइज पर सोयाबीन खरीदने की तैयारी करेगी, हम तत्काल अनुमति देंगे।

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