Bhopal : मध्यप्रदेश के पुलिस महकमे में बड़े बदलाव की तैयारी है। अब यहां नॉन आईपीएस अधिकारी भी एसपी (पुलिस अधीक्षक) बन सकेंगे। इनके कंधे पर अशोक के चिह्न के साथ 'एक स्टार' लगाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव यह बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। सरकार के स्तर पर राज्य पुलिस सेवा के कॉडर रिव्यू की तैयारी कर ली गई है। इससे अब राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) के सीनियर अफसरों का प्रमोशन हो सकेगा।
अभी तक की स्थिति में कई अफसर बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो गए हैं। मतलब वे जिस पद पर भर्ती हुए थे, उसी के साथ नौकरी पूरी हो गई, पर प्रमोशन का इंतजार खत्म नहीं हुआ। इसी तरह आने वाले चार सालों में 26 एसपीएस अफसर रिटायर होने वाले हैं। लिहाजा, राज्य पुलिस सेवा एसोसिएशन ने प्रमोशन के साथ कुछ और मांगों को लेकर सीएम से मुलाकात की थी। सरकार ने अब इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए हैं।
यह है पूरा मामला
मध्यप्रदेश में राज्य पुलिस सेवा के वर्ष 1997 बैच के अफसरों का लंबे समय से कॉडर रिव्यू नहीं हुआ है। यही वजह है कि वे ना तो आईपीएस पद पर प्रमोट हुए हैं और ना ही विभागीय पदोन्नति मिली है। इसके उलट असम, पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में बिना आईपीएस अलॉट किए सीनियर पुलिस अफसरों को सीधे एसपी (पुलिस अधीक्षक) अथवा डीआईजी का प्रभार दिया जाता है। इसके लिए नियम यह है कि ऐसे अफसरों को कुल जिलों में से 30 प्रतिशत जिले और बटालियन आरक्षित की जा सकती हैं। अब मध्यप्रदेश में भी यह फॉर्मूला लागू करने की तैयारी है।
सीनियर अफसरों की यहां होगी पदस्थापना
मोहन सरकार की मंशा के हिसाब से राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को प्रदेश के 16 जिलों में एसपी और सात बटालियनों में कमांडेंट बनाया जा सकता है। इन जिलों में मैहर, पांढुर्ना, मऊगंज, आलीराजपुर, डिंडोरी, हरदा, राजगढ़, आगर मालवा, निवाड़ी, अनूपपुर, उमरिया, बड़वानी, श्योपुर, नीमच, इंदौर देहात और भोपाल देहात शामिल हैं। वहीं, 5वीं वाहिनी मुरैना, 17वीं वाहिनी भिण्ड, 18वीं वाहिनी शिवपुरी, 23वीं वाहिनी भोपाल, 34वीं वाहिनी जावरा, 10वीं वाहिनी सागर और 29वीं वाहिनी दतिया शामिल है। इसके अलावा RAPTC इंदौर में भी सेनानी के रूप में पदस्थ किया जा सकता है।
अभी क्या है स्थिति
1. गौरतलब है कि अभी मध्यप्रदेश पुलिस में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के कुल 1269 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 1004 पद उप पुलिस अधीक्षक / सहायक सेनानी के और बाकी 265 पद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक/उप सेनानी के हैं।
2. राज्य पुलिस सेवा संवर्ग के 50 फीसदी पद मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती से भरे जाते हैं। बाकी 50 प्रतिशत पद निरीक्षक और इसके समकक्ष संवर्ग से पदोन्नति से भरे जाते हैं। राजपत्रित अधिकारी भर्ती नियम 2000 के मुताबिक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का पद पदोन्नति न होकर मात्र सिर्फ पदस्थापना भर है।
वर्तमान में नॉन-कैडर पदों पर भी आईपीएस
मध्यप्रदेश में अभी नॉन कैडर पदों पर भी आईपीएस तैना हैं। इन पोस्ट पर राज्य पुलिस सेवा के सीनियर अफसरों की पदस्थापना की जाना प्रस्तावित है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में भोपाल और इंदौर में डीसीपी ट्रैफिक, डीसीपी क्राइम, डीसीपी इन्टेलिजेंस के पद इन्हें दिए जा सकते हैं। इसी तरह मैहर, पांढुर्ना और मऊगंज नए जिले बने हैं, इनमें भी पुलिस अधीक्षक नॉन कैडर हैं।
सीएम की नोटसीट पर तुरंत काम बढ़ा काम
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने राज्य पुलिस सेवा एसोसिएशन के प्रस्ताव पर सकारात्मक सहमति दी है। सीएमओ से गृह विभाग को इसे मामले में नोटसीट भेजी गई है। गृह विभाग ने भी तत्काल काम करते हुए पुलिस मुख्यालय से अभिमत मांगा है। वहीं, सीएम की ओर से इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री से भी पत्राचार किया गया है। इसके बाद अब केंद्र ने राज्य सरकार से पूरी जानकारी बुलाई हे।
अशोक के साथ स्टार लगेगा
सूत्रों के अनुसार, पदनाम और ग्रेड पे के हिसाब से पूरा गणित बैठा लिया गया है। अभी 110 सीनियर अफसरों को पुलिस अधीक्षक का अधिसमय वेतनमान दिए जाने की तैयारी है। इनके एडिशनल एसपी पद को एसपी करने के साथ कंधे पर अशोक के चिह्न के साथ एक स्टार दिया जाएगा। इन्हें एसपी लोकायुक्त, एसपी ईओडब्ल्यू, एसपी जोनल विशेष शाखा, एसपी मुख्यमंत्री सुरक्षा, एसपी नारकोटिक्स, एसपी एटीएस, एसपी एसटीएफ, डिप्टी डायरेक्टर पुलिस अकादमी भौंरी, एसपी पीटीएस, एसपी साइबर, एसपी अजाक्स जैसे पदों पर तैनाती की जा सकती है।
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