MP में फिर छात्र संघ चुनाव की सुगबुगाहट, मोहन-शिवराज, जीतू-सिंघार छात्र राजनीति से ही लीडर बने

मध्यप्रदेश में 2017 के बाद से यानी 7 साल से छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं, जबकि मध्यप्रदेश के पड़ोसी राजस्थान में नियमित रूप से छात्र संघ चुनाव होते आ रहे हैं। इसे लेकर छात्र संगठन कई बार मांग कर चुके थे। अब सरकार के स्तर पर इसके लिए कदम बड़े हैं...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. मध्यप्रदेश में छात्र संघ चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। उच्च शिक्षा विभाग ने चुनाव कराने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। नए शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए गाइडलाइन बनाई जाने लगी है। मध्यप्रदेश में 2017 के बाद से यानी 7 साल से छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं, जबकि मध्यप्रदेश के पड़ोसी राजस्थान में नियमित रूप से छात्र संघ चुनाव होते आ रहे हैं। इसे लेकर छात्र संगठन कई बार मांग कर चुके थे। अब सरकार के स्तर पर इसके लिए कदम बड़े हैं।

मोहन यादव ने दिया था प्रस्ताव 

दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए छात्र संघ चुनाव का खाका तैयार कराया था, लेकिन तब किन्हीं कारणों से चुनाव नहीं हो सके थे। अब चूंकि डॉ. यादव स्वयं सीएम हैं, ऐसे में पूरी संभावना है कि प्रदेश में नए शैक्षणिक सत्र में छात्र संघ चुनाव कराए जा सकते हैं। 

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प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली?

सूत्रों के अनुसार, उच्च शिक्षा विभाग चुनाव के लिए 15 दिनी शेड्यूल तैयार कर रहा है। छात्र संगठनों की मांग है कि सरकार प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए, ताकि इसमें पारदर्शिता ज्यादा रहे। दरअसल, अप्रत्यक्ष प्रणाली में छात्र पहले कक्षा का प्रतिनिधि चुनते हैं और फिर प्रतिनिधि मिलकर अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। वहीं, प्रत्यक्ष प्रणाली में सीधे अध्यक्ष और बाकी पदों के लिए चुनाव होता है। 

हिंसक घटनाएं होती थीं चुनाव में 

मध्यप्रदेश में छात्र राजनीति का लंबा इतिहास है। प्रदेश के सभी कॉलेजों में पहले प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होते थे, लेकिन धीरे-धीरे चुनावों में हिंसक घटनाएं सामने आने लगीं। इसके बाद प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनावों बंद करा दिया गया था, जबकि 2003 आते-आते छात्रसंघ चुनाव का प्रारूप बदल दिया गया। इसके बाद मेरिट के आधार पर चुनाव हुए, लेकिन इस प्रक्रिया का छात्र संगठनों ने सख्त विरोध किया था। 

छात्रों में लीडरशिप होती है डवलप 

चुनाव से छात्रों में लीडरशिप क्वालिटी डेवलप होती है। इसका लाभ राजनीति सहित समाज के प्रत्येक क्षेत्र में मिलता है। छात्र नेता कहते हैं कि चुनाव अन्य राज्यों की तरह होना चाहिए। यदि हिंसा या माहौल बिगाड़ने की स्थिति बनती है तो नए सख्त नियम सरकार को बनाना चाहिए। यहां जरूरी समझा जाए, वहां नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई का भी प्रावधान होना चाहिए।

छात्र राजनीति से निकले एमपी में कई नेता 

यहां खास बात यह है कि मध्यप्रदेश के आज के कई दि​ग्गज नेताओं की राजनीति की शुरुआत छात्र संघ चुनावों से ही हुई थी। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और उमंग सिंघार जैसे कई नेता छात्र राजनीति से ही आगे बढ़े और आज सक्रिय राजनीति में हैं।

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