INDORE : मप्र सहित अन्य राज्यों में अधिवक्ताओं के बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए ली जाने वाली भारी भरकम फीस पर सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई को रोक लगा दी थी। मप्र में ही यह फीस 19 हजार रुपए थी जबकि बार काउंसिल नियम के हिसाब से यह 750 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती थी। अब इस मामले में मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद ने अधिसूचना जारी कर दी है और फीस 750 रुपए कर दी है।
यह हुआ था फैसला
मप्र हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाले और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जाने वाले अधिवक्ता निमेष पाठक ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 30 जुलाई 2024 को उपरोक्त निर्णय आने के पहले अधिकांश राज्यों में अधिवक्ता नामांकन शुल्क (Advocates Registration fees) 40 हजार रुपए तक थी। इस फैसले के बाद राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा नामांकन शुल्क (Registration fees) 750 रुपए से अधिक नहीं लिया जा सकता हैं। अब इसके लिए परिषद सचिव गीता शुक्ला द्वारा अधिसूचना जारी कर दी है।
पूर्व में ली राशि रिफंड नहीं होगी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया था कि राज्य अधिवक्ता परिषद "विविध शुल्क" (miscellaneous fee), "स्टाम्प शुल्क" (stamp duty) या अन्य शुल्क के अंतर्गत उपरोक्त निर्दिष्ट राशि से अधिक कोई राशि नहीं ले सकती हैं। यह निर्णय केवल भावी प्रभाव पर लागू होगा, जिसका अर्थ है कि बार काउंसिल को अब तक वैधानिक राशि से अधिक एकत्र किए गए नामांकन शुल्क को वापस करने की आवश्यकता नहीं है। यानी जिसने अधिक राशि जमा की है वह रिफंड नहीं ले सकते हैं। यह फैसला 30 जुलाई से लागू होगा।
अन्य शुल्क लगाने के लिए स्वतंत्र
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल अधिवक्ताओं के लिए किए जाने वाले काम के लिए अन्य शुल्क लगाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उन्हें नामांकन शुल्क के रूप में नहीं लगाया जा सकता है।
बार काउंसिल एक्ट के अनुसार जारी हुई अधिसूचना
बार काउंसिल नामांकन शुल्क के रूप में Advocates Act, 1961 की धारा 24 के तहत निर्दिष्ट राशि से अधिक नहीं ले सकते।
- सामान्य और ओबीसी के लिए कुल शुल्क 750 रुपए देय होगा।
- अनुसूचित जाति/जनजाति श्रेणी के अधिवक्ताओं के लिए 125 रुपए शुल्क देय होगा।
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