मध्यप्रदेश में गिद्धों की काउंटिंग, 11 हजार से ऊपर पहुंचा आंकड़ा

मध्यप्रदेश ने वल्चर स्टेट बनने की राह पर कदम बढ़ा दिए हैं। गिद्धों की काउंटिंग की जा रही है। आंकड़ा 11 हजार के पार पहुंच गया है। 3 साल पहले हुई काउंटिंग में 9 हजार 446 गिद्ध मिले थे। गिद्धों को भी सेफ हेबीटेट भा रहा है।

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Rahul Garhwal
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संजय शर्मा, BHOPAL. वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन में आगे रहने वाला मध्यप्रदेश एक बार फिर वल्चर (गिद्ध) स्टेट (mp vulture state) बनने जा रहा है। टाइगर रिजर्व, अभ्यारण्य सहित 33 से ज्यादा जिलों के 900 वन क्षेत्रों में 16 से 18 फरवरी के बीच हुई वल्चर काउंटिंग के बाद प्रदेश में 11 हजार से ज्यादा गिद्ध होने का पता चला है। अभी ये प्रारंभिक संख्या हैं और आंकड़ा इससे भी ऊपर पहुंचने की उम्मीद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट जता रहे हैं। यानी मध्यप्रदेश टाइगर और चीता स्टेट के साथ ही फिर वल्चर स्टेट का तमगा हासिल करने में कामयाब होगा।

हर 3 साल में सभी राज्यों में होती है वल्चर काउंटिंग

गिद्धों की घटती संख्या को देखते हुए हर 3 साल में देश के सभी राज्यों में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट वल्चर काउंटिंग कराता है।  इसके लिए वन विभाग के अधिकारी और फील्ड स्टाफ के अलावा वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट की भी मदद ली जाती है। प्रदेश में पिछली वल्चर काउंटिंग 2021 में हुई थी। तब मध्यप्रदेश के वन क्षेत्रों में 9 हजार 446 गिद्ध मिले थे। इंदौर में तब वल्चर काउंट 119 था। बुंदेलखंड अंचल में नौरादेही अभ्यारण्य में ये संख्या 300 के आसपास थी। इसके साथ ही प्रदेश के सभी फारेस्ट रेंज में गिद्धों की संख्या में इजाफा देखने मिला है।

19 टीमों ने की गिनती

Counting of vultures in Madhya Pradesh

Counting of vultures in MP

इंदौर क्षेत्र में फॉरेस्ट स्टाफ और वाइल्ड लाइफ, वल्चर एक्सपर्ट की 19 टीमों ने सुबह 6 से 8 बजे के बीच वृक्षों पर बैठे और घोंसलों के आसपास डेरा जमाए नजर आने वाले गिद्धों की गिनती की है। यहां यूरेशियन, इजिप्शियन, हिमालयन, व्हाइट रम्प्ड, किंग कल्चर, लॉन्ग बिल्ड वल्चर मुख्य रूप से मिले हैं। उधर रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर एए.अंसारी के अनुसार 3 दिन चली वल्चर काउंटिंग में सागर सर्किल यानी सागर और दमोह जिले के फॉरेस्ट एरिया में 1266 गिद्ध नजर आए हैं। जबकि 2021 में हुई काउंटिंग के समय ये संख्या 300 के करीब थी।

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गिद्धों को भा रहा सेफ हैबिटेट

लुप्त होने की कगार तक पहुंच चुके गिद्धों की इस वृद्धि को देखकर समझा जा सकता है कि उन्हें यहां सेफ हैबिटेट और फ्रेंडली एटमॉस्फियर कितना पसंद आ रहा है। अभ्यारण्य क्षेत्र में बड़ी संख्या में वल्चर नेस्ट भी मिले हैं। राजधानी भोपाल, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, छिंदवाड़ा, सिवनी, पन्ना, रायसेन, मंदसौर, नीमच, श्योपुर और शिवपुरी के साथ ही चंबल और ग्वालियर अंचल के अन्य जिलों में भी गिद्धों के रहवास बढ़े हैं और वे इस सुरक्षित पर्यावास में अपनी संतति को बढ़ा रहे हैं। प्रदेश में 3 सालों में गिद्धों की संख्या 1200 से 1500 तक बढ़ने का अनुमान फॉरेस्ट डिपार्टमेंट जता रहा है और ये आंकड़ा और भी बढ़ने की उम्मीद है।

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