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मध्यप्रदेश में सवा महीने तक चली तबादलों की आंधी ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। हालात ऐसे हैं कि मृतक शिक्षक का ट्रांसफर कर दिया गया। जेल में बंद पटवारी को नई पोस्टिंग दे दी गई। एक ही पद पर दो-दो अफसर बिठा दिए। यहां तक कि दिव्यांग कर्मचारियों तक को दूर-दराज ठिकानों पर धकेल दिया। जनता से लेकर नेता तक, सबके बीच सिर्फ एक ही चर्चा है कि तबादला उद्योग आखिर चलता कैसे है और किसके इशारे पर चलता है?
दरअसल, मध्यप्रदेश में इस बार तबादलों का सीजन 47 दिन लगा। सरकार ने ऐलान किया कि सारे अधिकार विभागीय मंत्री और प्रभारी मंत्री के पास हैं। कार्यकर्ताओं को लगा कि अब तो सब अपने मन का होगा, लेकिन हकीकत में जब तबादला सूची आईं तो नेताओं के चेहरों की हवाईयां उड़ गईं।
तबादलों के मौसम में कहां झमाझम हुई, कहां बौछारें पड़ीं, कहां अफसरों की गलतियों की बाढ़ आई, इस रिपोर्ट में पढ़िए पूरा लेखा-जोखा...
शिक्षा विभाग: बच्चे भटकते रह गए, मास्टर जी तबादले में उलझे
शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा हाहाकार मचा। करीब साढ़े तीन लाख टीचिंग-नॉन टीचिंग स्टाफ वाले इस महकमे में 25 हजार आवेदन आए और तबादले महज तीन हजार के हुए। वो भी कैसे? राजगढ़ जिले के लखोनी स्कूल में हेडमास्टर समेत तीनों शिक्षक एक ही झटके में हटा दिए गए। अब 45 बच्चे किसके भरोसे बैठें, इसका कोई जवाब किसी के पास नहीं है।
पुलिस विभाग: 5 दिन में साढ़े दस हजार जवानों की लाइन हाजिरी
भोपाल से लेकर गांवों तक पुलिस महकमे में 5 दिन में 10 हजार 482 पुलिसकर्मियों को इधर से उधर कर दिया गया। राजधानी में एक लिस्ट में 699 पुलिसकर्मियों के थाने बदल गए। ऊपर से PWD की हालत देखिए, यहां 30-30 साल से जमे सब इंजीनियर वही जमे हैं। जिन्हें हटाने की बातें होती थीं, वो वहीं टिके हैं। नीचे से ऊपर तक सप्लाई चेन जस की तस। छोटे मुलाजिम थोक में इधर-उधर और बड़ी मछलियों को हाथ तक नहीं लगाया गया।
केस 1: मृत शिक्षक का तबादला
खरगोन जिले में चार माह पहले दिवंगत शिक्षक पूनम सिंह रावत का तबादला भगवानपुरा से झिरन्या ब्लॉक कर दिया गया। आदेश जारी होने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने ट्वीट कर सरकार पर तंज कसा। उन्होंने लिखा, डबल स्पीड से चला ट्रांसफर उद्योग।
वहीं, खरगोन के ही कसरावद के सस्पेंड शिक्षक दिनेश पटेल का तबादला बड़वाह तहसील के हाईस्कूल थरवर में कर दिया गया। वे पहले बामंदी में संस्कृत विषय में वर्ग-2 शिक्षक पद पर पदस्थ थे। सस्पेंड होने के बाद उन्हें बीईओ दफ्तर में अटैच कर दिया गया था। फिर भी, लोक शिक्षण संचालनालय ने 7 जून को जारी आदेश में उनका ट्रांसफर कर दिया।
केस 2: जेल में बंद पटवारी का तबादला
श्योपुर जिले में भू-अभिलेख शाखा में पदस्थ पटवारी हेमंत मित्तल बाढ़ राहत राशि में गड़बड़ी के चलते जेल में बंद है। फिर भी उसका तबादला विजयपुर से बड़ौदा तहसील कर दिया गया। प्रशासनिक लापरवाही की यह बानगी आमजन के बीच चर्चा का विषय रही है।
केस 3: स्कूलों में भी गड़बड़झाला
- राज्य के प्राथमिक स्कूलों में भी तबादला प्रक्रिया ने अव्यवस्था को जन्म दिया है। अशोकनगर के सीएम राइज स्कूल में एक हजार बच्चों के लिए 62 शिक्षक चाहिए थे, लेकिन सिर्फ 25 शिक्षक तैनात हैं। उल्टा जरूरत के बावजूद 4 और शिक्षकों का तबादला कर दिया गया।
राजगढ़ के दांगीपुरा स्कूल में सिर्फ 18 बच्चों के लिए 3 शिक्षक तैनात हैं। खिलचीपुर ब्लॉक के लखोनी स्कूल में तीनों शिक्षक हटा दिए गए, अब 45 बच्चे बिना शिक्षक के हैं। टीकमगढ़ के नजरबाग संस्कृत स्कूल में पहले से 2 शिक्षक थे। अब 4 और जोड़ दिए गए, जबकि छात्रों की संख्या सिर्फ 27 है।
केस 4: भोपाल में 8500 आउटसोर्स कर्मचारियों के तबादले
मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी में पहली बार 8 हजार 500 आउटसोर्स कर्मचारियों के तबादले कर दिए गए। इनमें दिव्यांग और महिलाएं भी हैं। कई दिव्यांग कर्मचारी जिन्हें हादसों के बाद नौकरी मिली थी, उन्हें भी दूरदराज के स्टेशन भेज दिया गया। कुछ कर्मचारियों के नाम तो ऐसे हैं जो नौकरी छोड़ चुके हैं, फिर भी उनका नाम ट्रांसफर लिस्ट में है।
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वाणिज्यिक कर विभाग बना तबादलों की प्रयोगशाला
मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग में इस बार जो हुआ, वो बताता है कि तबादला सिर्फ कागजों का खेल नहीं, बल्कि पूरा नेटवर्क है। सबसे बड़ा मजाक यह कि एक ही पद पर दो-दो अफसर बैठा दिए गए। पुराने अफसर को कहीं भेजा ही नहीं गया। अब नया अफसर भी आ गया।
ग्वालियर संभाग-1 का खेल
डिप्टी कमिश्नर परमानंद सौंधिया को ग्वालियर वृत्त-3 भेजा गया। यहां पहले से डिप्टी कमिश्नर हरिदास भालेकर थे। भालेकर को सागर वृत्त में भेजा गया। सागर वृत्त के डिप्टी कमिश्नर निर्मल परिहार को भोपाल वृत्त-5 भेजा गया। अब दिक्कत ये कि भोपाल वृत्त-5 में पहले से डिप्टी कमिश्नर मिथलेश वामनकर बैठे हैं। वामनकर को कहीं भेजा ही नहीं गया। तो परिहार कहां बैठें?
भोपाल ऑडिट विंग
डिप्टी कमिश्नर नरेंद्र सिंह चौहान को मंडीदीप वृत्त भेजा गया। मंडीदीप में पहले से प्रीति प्रभुलता पन्ना डिप्टी कमिश्नर पदस्थ हैं। उन्हें हटाया नहीं। अब एक कुर्सी पर दो कमिश्नर, कौन फाइल देखेगा, कौन साइन करेगा?
नरसिंहपुर-सागर का घपला
सागर संभागीय उपायुक्त कार्यालय से असिस्टेंट कमिश्नर सुप्रिया पाठक को नरसिंहपुर वृत्त भेजा गया। नरसिंहपुर के असिस्टेंट कमिश्नर दुर्गेश पटेल का ट्रांसफर निरस्त कर दिया गया। मतलब नरसिंहपुर में अब दुर्गेश पटेल हैं और सुप्रिया पाठक भी पहुंच गईं।
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इधर, खाली कुर्सियां सालों से खाली
तबादला उद्योग में मजाक ये है कि जहां कुर्सी खाली है, वहां किसी को नहीं भेजा गया। उदाहरण के लिए छतरपुर जिले का नौगांव है। 2023 से डिप्टी कमिश्नर का पद खाली पड़ा है। नई तबादला सूची में भी वहां कोई अफसर नहीं। मतलब जहां जरूरी है, वहां कोई नहीं, जहां पहले से कोई बैठा है, वहां एक और अफसर लाद दिया।
पार्टी के अंदर मची खलबली
तबादलों की लिस्ट को लेकर बीजेपी के विधायक और संगठन के लोग कई जिलों में नाराज नजर आ रहे हैं। जिलाध्यक्ष से लेकर मंत्री तक एक स्वर में कह रहे हैं कि हमें तो इन नामों का पता ही नहीं चला। बड़े नेताओं की सिफारिशें भी धरी रह गईं। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कैबिनेट बैठक में सीएम डॉ.मोहन यादव के सामने ही अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। बोले, हमारी तो चली ही नहीं, अधिकारियों ने सारे तबादले कर दिए।
उधर, चाचौड़ा विधायक प्रियंका मीणा पेंची ने तबादलों को लेकर सीएम डॉ.मोहन यादव को चिट्ठी तक लिख डाली। उन्होंने एसपी अंकित सोनी पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था। 29 मई को लिखे पत्र में उन्होंने जिले में पुलिसकर्मियों के तबादलों में अनदेखी की बात कही थी। हाल ही में यह पत्र मीडिया में आया है।
दरअसल, एसपी अंकित सोनी ने 24 मई को जिले के टीआई, एसआई, एएसआई, प्रधान आरक्षक और आरक्षकों की तबादला सूची जारी की थी। चाचौड़ा थाना प्रभारी टीआई मछलू सिंह मंडेलिया को पुलिस लाइन भेजा गया था। कुंभराज टीआई नीरज राणा को बमोरी और मृगवास एसआई पंकज सिंह कुशवाह को जमने थाने भेजा गया। ये तीनों थाने चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र में आते हैं।
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