रावण दहन के विरोध में उतरा धर्मनगरी का ब्राह्मण समाज, पुतले के सामने लगाए जयकारे, जानें क्यों जिद पर हैं अड़े

दशहरा से पहले अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन का विरोध किया। समाज के लोगों ने फिर से रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की। पूरा मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।

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Dablu Kumar
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RAWAN DHAN
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मध्यप्रदेश उज्जैन में रावण दहन का विरोध लगातार जारी है। दशहरा पर्व से पूर्व अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन का विरोध किया है। समाज के सदस्यों ने एक बार फिर रावण दहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। इस विरोध प्रदर्शन में समाज के लोग दशहरा मैदान पर रावण के पुतले के सामने पहुंचे और नारेबाजी की। उन्होंने साथ में काली मटकियां लाकर उन्हें फोड़ते हुए विरोध जताया। इस प्रदर्शन में महाकाल मंदिर के पुजारी और अन्य समाज के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

रावण के पुतले के सामने रावण के जयकारे

मुख्य आयोजन से पहले अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के कार्यकर्ता दशहरा मैदान पहुंचे। वहां उन्होंने रावण के पुतले के सामने रावण के जयकारे लगाए और फिर काली मटकियां फोड़ते हुए रावण दहन को रोकने की मांग की। समाज ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर रावण दहन पर रोक नहीं लगाई गई तो यह आंदोलन देशव्यापी स्तर पर किया जाएगा। समाज का मानना है कि रावण दहन अब केवल मनोरंजन का एक साधन बन गया है, जबकि यह ब्राह्मण समाज के सम्मान और अस्तित्व पर आघात है।

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उज्जैन रावण दहन पर रोक वाली खबर एक नजर 

  1. रावण दहन पर विरोध: अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और इसकी रोकथाम की मांग की। समाज के लोग दशहरा मैदान पर पहुंचे और रावण के पुतले के सामने नारेबाजी की और काली मटकियां फोड़कर विरोध जताया।

  2. समाज की चेतावनी: समाज ने चेतावनी दी कि अगर रावण दहन पर रोक नहीं लगाई गई तो यह आंदोलन देशभर में फैल जाएगा। समाज का मानना है कि रावण दहन अब राजनीति और मनोरंजन का हिस्सा बन चुका है, जो ब्राह्मण समाज की सम्मान पर आघात है।

  3. प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं से अपील: समाज ने प्रधानमंत्री मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर रावण दहन पर रोक लगाने की अपील की। उन्होंने इसे शास्त्रसम्मत परंपरा नहीं माना।

  4. महेश पुजारी का बयान: महाकाल मंदिर के पुजारी महेश पुजारी ने रावण दहन को राजनीति और मनोरंजन का साधन बताया। उन्होंने मांग की कि रावण दहन बंद किया जाए, वरना समाज इसे रोकने के लिए हर प्रयास करेगा।

  5. अखिल भारतीय पुजारी महासंघ की चेतावनी: महासंघ ने रावण दहन करने वाली समितियों को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तो वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। महासंघ ने रावण के सीता हरण को मोक्ष प्राप्ति का एक माध्यम बताया और इसे पाप न मानने का दावा किया।

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पीएम-सीएम और मोहन भागवत को लिखी गई चिट्ठी

ब्राह्मण समाज ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर रावण दहन पर रोक लगाने की अपील की थी। न केवल उज्जैन, बल्कि कई अन्य स्थानों पर भी इस संगठन ने रावण के गुणगान करते हुए पोस्टर लगाए थे। समाज का कहना था कि रावण दहन शास्त्रसम्मत परंपरा नहीं है, बल्कि यह अब राजनीति और मनोरंजन का साधन बन चुका है। इसके साथ ही समाज ने लोगों से रावण दहन का विरोध करने और इन आयोजनों में शामिल न होने की अपील भी की थी।

महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ब्राह्मण समाज को न्याय मिलना चाहिए। उनका कहना था कि देश और प्रदेश में हो रहे रावण दहन की विधि शास्त्र और परंपरा के अनुसार नहीं है। यह केवल राजनीति और मनोरंजन का आधार बन चुका है। उन्होंने विभिन्न संस्थाओं से अनुरोध किया कि रावण दहन को बंद किया जाए, नहीं तो समाज इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। संगठन ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो यह आंदोलन और अधिक व्यापक स्तर पर किया जाएगा।

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अखिल भारतीय पुजारी महासंघ का नया रूख

उज्जैन में रावण दहन का बीते कई दिनों से विरोध लगातार जारी है और अब इस मुद्दे पर अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने एक नया रुख अपनाया है। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने रावण दहन करने वाले सामाजिक संगठनों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वे आसानी से अपनी बात नहीं मानते हैं, तो यह मामला कोर्ट तक पहुंच सकता है। महेश पुजारी ने एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि रावण ने जानबूझकर सीता का हरण किया था ताकि उसे और उसके परिवार को मोक्ष मिल सके। रावण ने इस कृत्य को पाप न मानते हुए, इसे मोक्ष प्राप्ति का एक माध्यम बताया। 

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सूर्पनखा की नाक काटने पर पुजारी का क्या तर्क

इसके अलावा सूर्पनखा की नाक काटने के मामले में महेश पुजारी ने कहा कि अगर किसी ने रावण की बहन पर हमला किया था, तो एक भाई का यह कर्तव्य बनता है कि वह उसका प्रतिकार करे। पुजारी ने सवाल उठाया कि अगर रावण का सीता हरण पाप था, तो महाभारत में द्रौपदी का चीर हरण क्यों पाप नहीं माना जाता। उन्होंने यह भी पूछा कि अगर दुर्योधन और दुशासन के पुतले जलाए नहीं जाते, तो रावण को ही क्यों जलाया जाता है। पुजारी ने रावण दहन करने वाली समितियों से इस सवाल का जवाब मांगा और कहा कि अगर उनके पास इसका कोई सही जवाब नहीं है, तो वे रावण दहन बंद कर दें। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो वे रावण दहन करने वाली समितियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बता दें कि, आज रावण दहन होगा। ऐसे में रावण दहन रोकने की मांग चर्चा का विषय बना हुआ है। 

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