आज दशहरा के मौके पर बाबा महाकाल ने दिए देवी रूप में दर्शन, भांग, चंदन और आभूषणों से सजे बाबा

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आश्विन माह, शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि, गुरुवार को भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल का अद्भुत देवी स्वरूप में श्रृंगार किया गया।

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Kaushiki
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बाबा महाकालभस्म आरती:आज ( 2 अक्टूबर, 2025) आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में एक अलौकिक दृश्य देखने को मिला। गुरुवार तड़के 4 बजे जैसे ही मंदिर के कपाट खोले गए, हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं में बाबा महाकाल के दर्शन की उत्कंठा साफ दिखाई दी।

भस्म आरतीके दौरान भगवान महाकाल का एक ऐसा दिव्य और अनूठा श्रृंगार किया गया, जिसने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पण्डे और पुजारियों ने सबसे पहले गर्भगृह में स्थापित सभी प्रतिमाओं का विधिवत पूजन किया।

इसके बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया गया जिसके बाद दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से तैयार पंचामृत से भव्य स्नान कराया गया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया और कपूर आरती के साथ पूजन संपन्न हुआ।

महाकाल का अद्भुत देवी स्वरूप श्रृंगार

गुरुवार के पावन अवसर पर, भगवान महाकाल को एक विशेष देवी स्वरूप में सजाया गया। इसमें बाबा महाकाल का श्रृंगार भांग, चंदन, ड्रायफ्रूट और बहुमूल्य आभूषण से किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद, ज्योतिर्लिंग को वस्त्र से ढांककर भस्मी रमाई गई।

यह देवी स्वरूप इतना आकर्षक था कि हर श्रद्धालु की आंखें उसी पर टिकी रहीं। शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल, और रुद्राक्ष की माला भगवान को पहनाई गई।

इस मनोहारी दृश्य को और भी दिव्य बनाने के लिए गुलाब के सुगंधित पुष्पों से बनी फूलों की मालाएं अर्पित की गईं।अंत में, फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया।

भस्म आरती में उमड़े श्रद्धालु

गुरुवार की भस्म आरती में बड़ी संख्या में भक्तजन बाबा महाकाल के दर्शन और आशीर्वाद के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे। भक्तों का यह उत्साह इस बात का प्रमाण है कि भगवान महाकाल के प्रति उनकी आस्था कितनी गहरी है।

भस्म आरती का यह समय आध्यात्मिक शांति और दैवीय अनुभूति का क्षण होता है। महाकाल के दर्शन मात्र से भक्तों के जीवन के कष्ट दूर होते हैं, ऐसी मान्यता है। आज के देवी स्वरूप में किए गए श्रृंगार ने भक्तों के हृदय में भक्ति और प्रेम की एक नई लहर पैदा कर दी।

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