BHOPAL. लुभावने वादों ने प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को ओवरलोड कर दिया है। उचित मूल्य की दुकानों का आवंटन अपनी लिमिट से पार चला गया है। यह स्थिति तब और परेशानी बढ़ाने वाली है जबकि ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर सवा लाख श्रमिकों को इसका लाभ देना अभी बाकी है। हालातों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने अब केंद्र से अतिरिक्त आवंटन की मांग शुरू कर दी है। यानी हाल ही में पीडीएस में रजिस्टर नए हितग्राहियों को लाभ तभी मिल पाएगा जब केंद्र से बढ़ा हुआ कोटा मिलेगा। इसी वजह से प्रदेश की 28 हजार से ज्यादा दुकानों से नए हितग्राही निराश लौट रहे हैं और वितरकों को भी बहस की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति तब व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है जबकि हाल ही में कई जिलों के गोदामों में पीडीएस का अनाज सड़ने के मामले सामने आए हैं। यानी एक ओर विभाग के लोगों को राशन उपलब्ध न कराने के पीछे ओवरलिमिट का रोना रो रहा है। तो दूसरी ओर बेहिसाब खर्च के बाद अपने ही अनाज को सुरक्षित नहीं रख पा रहा है।
हितग्राहियों का आंकड़ा 5 करोड़ 51 लाख पहुंचा
प्रदेश की आबादी 2011 के सेंसेक्स के आधार पर 7 करोड़ 28 लाख अनुमानित है। वहीं प्रदेश के 5 करोड़ 51 लाख से ज्यादा लोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़कर लाभ ले रहे हैं। जबकि पीडीएस के तहत 75 फीसदी आबादी को ही कवरेज दिया जा सकता है। इसी अनुपात के आधार पर प्रदेश को केंद्र सरकार से आवंटन उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन बीते अगस्त माह के बाद पीडीएस कवरेज की सीमा को पार करते हुए हितग्राहियों का आंकड़ा 5 करोड़ 51 लाख तक पहुंच गया है। जबकि आवंटन लिमिट 5 करोड़ 46 लाख के लिए है। इसका सीधा मतलब ये है कि अब उचित मूल्य की दुकानों से राशन वितरण की स्थिति ओवरलिमिट हो चुकी है। उधर प्रदेश में पीडीएस राशन न मिलने से ग्रामीणों के नाराजगी बढ़ने लगी है। एक पखवाड़े पहले ही श्योपुर के विजयपुर अंतर्गत गढ़ी गांव में ग्रामीण एक सेल्समैन को पीट भी चुके हैं।
ओवरलिमिट की वजह घोषणा अनुशंसा
प्रदेश में 27 हजार 946 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से पीडीएस का राशन वितरित किया जाता है। कुछ महीने पहले तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5 करोड़ 46 लाख उपभोक्ता जुड़े हुए थे। इस आंकड़े के आधार पर ही केंद्र सरकार से आवंटन उपलब्ध कराया जाता है। उपलब्ध होने वाले आवंटन की कवरेज लिमिट प्रदेश की कुल आबादी का 75 फीसदी तक है। यानी प्रदेश में रहने वाले कुल लोगों के विरुद्ध 75 प्रतिशत लोगों को ही पीडीएस का लाभार्थी बनाया जा सकता है। लेकिन राजनीतिक घोषणाओं, आश्वासन और अनुशंसाओं के चलते पीडीएस में हितग्राहियों की संख्या जुड़ती चली गई। ऐसे हितग्राहियों की संख्या अब 5 लाख से ज्यादा हो गई है। इसे पीडीएस कवरेज में जोड़ दें तो यह आंकड़ा 75 फीसदी से कहीं आगे पहुंच गया है। इसी वजह से दुकानों पर आवंटन में दिक्कतें खड़ी हो रही हैं।
पोर्टल पर पंजीयन ने भी बढ़ाई मुश्किल
नेताओं-अफसरों की अनुशंसा के अलावा प्रदेश के पीडीएस सिस्टम का भार बढ़ाने की मुख्य वजह ई-श्रम पोर्टल भी है। इस पोर्टल पर 1लाख 17 हजार से ज्यादा श्रमिकों द्वारा पंजीयन बीते महीनों में कराया गया है। पोर्टल का संचालक केंद्र सरकार करती है इस वजह से इस पर पंजीकृत श्रमिकों को बांटने के लिए अलग से आवंटन मांगना पड़ रहा है। इसके लिए भी प्रदेश के अधिकारियों ने केंद्र से इन पंजीकृत श्रमिकों के लिए अलग से राशन कोटा मुहैया कराने पत्र लिखा है। इसके अलावा सबसे बड़ी उलझन असंगठित श्रेत्र के 30 लाख श्रमिकों के कारण हो रही है। क्योंकि इन श्रमिक परिवारों के पूर्व से पंजीयन या दोहरा लाभ लेने का पता नहीं चल पा रहा है। वहीं पंजीयन के बाद पात्रता पर्ची जनरेट होने से ये भी राशन मांग रहे हैं। क्रास चेकिंग के लिए पीडीएस के अधिकारियों के पास मैन्युअली कोई सिस्टम नहीं है।
इन श्रेणी के लोगों को मिलता है लाभ
-गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार
-वन अधिकार पट्टाधारी
-भूमिहीन कोटवार
-एससी_एसटी वर्ग के परिवार
-प्राकृतिक आपदा पीड़ित और 50 फीसदी फसल की क्षति पीड़ित किसान
-कर्मकार मंडल में पंजीकृत श्रमिक परिवार
-बंद कारखानों में नियोजित पूर्व श्रमिक
-बीड़ी श्रमिक कार्डधारी परिवार
-मुख्यमंत्री सुरक्षा योजना के तहत पंजीकृत मजदूर परिवार
-शहरी घरेलू कामगार
-पंजीकृत स्ट्रीट वेंडर
-नगरीय निकायों के रजिस्टर्ड हेयर सैलूनकर्मी
-सामाजिक सुरक्षा पेंशनधारी और आश्रित
-अनाथ आश्रम में निवासरत, विकलांग बच्चे और वृद्धजन
-दिव्यांगजन
-रेलवे के कुली
-मंडियों के हम्माल_तुलावट
-ग्रामोद्योग विभाग के बुनकर _शिल्पी
-एड्स संक्रमित
-मछुआ समितियों के सदस्य
रजिस्टर्ड वाहन चालक
-विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जातियों के परिवार
-कुष्ठरोग पीड़ित
-ट्रांसजेंडर
-कोविड बाल कल्याण योजना में सम्मिलित परिवार
-चिन्हित वंचित या परिवार
जिलों में सड़ रहा पीडीएस का अनाज
प्रदेश के गोदामों में बीते महीनों में 5.76 लाख क्विंटल गेहूं, ज्वार और बाजरा जैसे अनाज सड़कर खराब हो चुके हैं। बीते चार सालों में गोदामों में सड़ने वाले ऐसे आनाज का आंकड़ा 16.34 लाख टन से भी ज्यादा है जिस FCI भी लेने से इंकार कर चुका है। साल 2023 में भी सरकारी खरीद के अनाज की जमकर बर्बादी हुई थी। तब मई और अगस्त महीनों में 17 हजार 614 टन खराब अनाज बेहद कम कीमत पर बेंचना पड़ा था। इसमें सबसे ज्यादा 9.84 लाख टन अनाज की बर्बादी भोपाल जिले के गोदामों में हुई थी।
ये हैं राशन कार्डों के प्रकार
प्रदेश में दो कैटेगरी में तीन प्रकार के राशन कार्ड हितग्राही परिवारों को जारी किए जाते हैं। पहली कैटेगरी PHH यानी घरेलू प्राथमिकता वाली है। इसके तहत उन परिवारों को AAY और BPL कार्ड जारी किए जाते हैं जो राज्य सरकारों के पात्रता मानदंड पूरा करते हैं। AAY कार्डधारी परिवारों को 35 किलो जबकि BPL कार्डधारी परिवार के प्रत्येक सदस्य को 5 किलो अनाज हर महीने दिया जा रहा है। वहीं दूसरी कैटेगरी NPHH है। इसके तहत APL कार्ड बनाया जाता है लेकिन इस पर पीडीएस के तहत कोई भी खाद्यान्न उपलब्ध नहीं है। यह कार्ड केवल पहचान पत्र के रूप में काम करता है।
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