अब रात में भी शॉपिंग मॉल, बाजार और कारखानों में होगी महिलाओं की धूम, एमपी सरकार ने दी मंजूरी

मध्यप्रदेश सरकार ने शॉपिंग मॉल, बाजार और कारखानों में महिलाओं को रात में काम करने की सशर्त मंजूरी दी है। इसके तहत नियोक्ता को महिलाओं की सुरक्षा की पूरी व्यवस्था करनी होगी।

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Amresh Kushwaha
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मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य में अब महिलाएं शॉपिंग मॉल, बाजार और कारखानों में रात में भी काम कर सकेंगी। यह कदम महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ राज्य के विकास को भी गति प्रदान करेगा। हालांकि, इस फैसले के साथ कुछ शर्ते भी जुड़ी हैं। इनका पालन नियोक्ता (एम्प्लॉयर) को करना अनिवार्य होगा, खासकर महिलाओं की सुरक्षा के संदर्भ में।

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महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखना जरूरी

इस फैसले का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को समान अवसर प्रदान करना है, ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकें। साथ ही, इससे व्यापार और उद्योगपतियों को अपनी यूनिट्स में संचालन बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि, महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी नियोक्ता की होगी। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षा के सभी उपाय किए गए हैं।

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शॉप में 10 या ज्यादा महिलाएं नियुक्त

शॉप और बाजारों में महिलाओं के रात में काम करने की सहमति देने के लिए कुछ शर्ते रखी गई है। इसमें कहा गया है कि जहां महिलाएं रात में काम करेंगी, वहां कम से कम 10 या उससे अधिक महिलाएं नियुक्त होनी चाहिए। यह नियम द दुकान और स्थापना अधिनियम, 1958 में किए गए संशोधन के तहत लागू हुआ है। महिलाएं रात 9 बजे से सुबह 7 बजे तक शॉप्स और शोरूम में काम कर सकेंगी।

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कारखानों और प्रोडक्शन यूनिट्स में ये बदलाव

कारखानों के मामले में भी महिलाओं के रात में काम करने का रास्ता खोला गया है। कारखाना अधिनियम की शक्तियों का उपयोग करते हुए सरकार ने 26 जून 2016 के नियमों को समाप्त कर दिया है।

अब महिलाएं कारखानों या प्रोडक्शन यूनिट्स में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक काम कर सकती हैं। इसके लिए यह सुनिश्चित किया गया है कि कारखानों में एक-तिहाई महिला कर्मचारी शिफ्ट, सुपरवाइजर या फोरमैन के रूप में काम करें।

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फेडरेशन चेंबर ऑफ कॉमर्स की प्रतिक्रिया

फेडरेशन चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश अग्रवाल ने इस फैसले का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता को उजागर किया।

उनका कहना था कि सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। महिलाओं को घर तक सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्था भी अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि यह पहल सच्चे मायनों में महिलाओं को सशक्त बना सके।

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