हे मोहन! मध्यप्रदेश को फिजूलखर्ची से कब मिलेगी आजादी? पानी की तरह बह रहा जनता का पैसा

मध्यप्रदेश में सरकारी बंगलों पर फिजूलखर्ची की एक बड़ी समस्या सामने आई है, जहां नेताओं और अधिकारियों ने लाखों रुपये अपने आवासों की सजावट में खर्च किए हैं। 78 साल बाद भी सत्ता के गलियारों में अंग्रेजी दौर की ठाठ-बाट वाली मानसिकता बनी हुई है।

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Ravi Awasthi
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. आजादी को 78 साल बीत गए, लेकिन मध्यप्रदेश के सत्ता के गलियारों में अब भी अंग्रेजी दौर की ठाठ-बाट वाली सोच जिंदा है। जिस प्रदेश पर चार लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज लदा हो, वहां सरकारी बंगलों की सजावट पर करोड़ों उड़ाना किसी शगल से कम नहीं।

हम बात कर रहे हैं राजधानी भोपाल की। यहां चंद नेताओं और अफसरों के 'शौक' पूरे करने के लिए खजाने से ऐसे खर्च हुए हैं, जिनसे एक पूरा का पूरा बंगला खड़ा हो सकता था। विधानसभा में हाल ही में सामने आई ये कहानी बताती है कि विकास के नाम पर मिलने वाला बजट, असल में किन रंगों और दीवारों पर चढ़ जाता है। 

भोपाल में सरकारी आवासों को अपने शौक के मुताबिक संवारने के लिए लाखों रुपए खजाने से खर्च कराने वालों की यूं तो लंबी फेहरिस्त है, लेकिन यहां 'द सूत्र' ने उन चंद बंगलों को चुना है, जिन्हें संवारने पर ही बीते ढाई साल में ही 50-50 लाख रुपए से ज्यादा फूंक दिए गए हैं। 

आजादी की इस वर्षगांठ पर 'द सूत्र' सीधा सवाल पूछता है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, आखिर इस फिजूलखर्ची पर कब लगाम लगेगी? क्योंकि जिस रकम को महज बंगलों की देखभाल पर उड़ाया जा रहा है, उतने पैसों में तो स्कूल बन सकते हैं, अस्पताल सुधर सकते हैं, कर्ज का बोझ भी कुछ हद का उतारा जा सकता है। 

पढ़िए ये खास खबर...

पहले ये नाम देखिए, किसने कितने रुपए खर्च किए 

नाम            पद                 बंगले पर खर्च 
प्रद्युम्न सिंह तोमरकैबिनेट मंत्री82 लाख रुपए 
जगदीश देवड़ाकैबिनेट मंत्री65 लाख रुपए
गोविंद सिंह राजपूतकैबिनेट मंत्री44 लाख रुपए 
प्रतिमा बागरीराज्य मंत्री71 लाख रुपए
नरेंद्र शिवाजी पटेलराज्य मंत्री65 लाख रुपए
रमेश मेंदोलाविधायक57 लाख रुपए
आकाश विजयवर्गीयपूर्व विधायक91 लाख रुपए
कौशलेंद्र विक्रम सिंहभोपाल कलेक्टर76 लाख रुपए 
चंद्रप्रकाश ठाकुरआईएएस71 लाख 41 हजार 

मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर: एसी कूलर नहीं चलाएंगे, पर बंगले पर खर्चे 82 लाख 

Minister Pradyuman Singh Tomar (2)

प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को अपने सरकारी बंगले में नया निजी दफ्तर चाहिए था। लिहाजा उनके प्रस्ताव पर पीडब्ल्यूडी ने करीब 82 लाख रुपए खर्च कर इसे तैयार किया। अब तोमर को कौन नहीं जानता। लो प्रोफाइल बनने की कोशिश करते हैं। ऊर्जा मंत्री हैं तो बिजली की बचत को लेकर भी स्वयं को संवेदनशील बताते हैं। वे अपने सरकारी आवास पर कूलर, पंखे, एसी इस्तेमाल नहीं करने की बात भी वह कह चुके हैं।  

मंत्री गोविंद सिंह राजपूत: शयन कक्ष और दूसरे काम के लिए 44 लाख खर्च 

Minister Govind Singh Rajput

खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के शौक को जान लीजिए। राजपूत यूं तो पिछली सरकार में भी मंत्री थे। उन्हें पूर्व में आवंटित बंगले में कोई बदलाव भी नहीं हुआ, लेकिन अब उनके मिजाज में बदलाव आया है। पूरे दिन लोगों से मेल मुलाकात और विभागीय कामकाज की मशक्कत को देखते हुए उन्होंने सुकून के लिए शयनकक्ष बनवाया है। उनके प्रस्ताव पर पीडब्लयूडी ने उनके बंगले पर सुविधायुक्त शयनकक्ष तैयार करने से लेकर दीगर साज-सजावट पर करीब 44 लाख रुपए खर्च कर दिए। 

वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा: ढाई साल के दरमियान 65 लाख रुपए खर्च 

Finance Minister Jagdish Deora

भारी भरकम बजट से बंगला संवारने वाले कैबिनेट मंत्रियों की लिस्ट में प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा भी शामिल हैं। वित्त मंत्री को आम तौर पर सरकारी खर्च में मितव्ययता बरतने के लिए जाना जाता है, लेकिन राज्य की वित्तीय व्यवस्था संभाल रहे उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के आवास क्रमांक सी-5 को संवारने पर बीते ढाई साल में करीब 65 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।

राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी: 71 लाख रुपए से बंगले को सजाया और संवारा 

Minister of State Pratima Bagri

पहली बार विधायक चुनने के साथ ही राज्य मंत्री बनीं प्रतिमा बागरी भी अपने सरकारी बंगले की सजावट को लेकर संवेदनशील नजर आती हैं। मोहन यादव के मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र की सदस्य प्रतिमा को बतौर मंत्री 74 बंगला क्षेत्र में डी-11 आवास आवंटित किया गया है। उन्होंने बंगले में कदम रखने से पहले इसे सजाने-संवारने का प्रस्ताव रखा। इस पर पीडब्ल्यूडी ने मंत्री की पसंद को ध्यान में रखते हुए करीब 71 लाख रुपए खर्च कर बंगले का हुलिया ही बदल दिया। 

राज्य मंत्री नरेंद्र पटेल: मॉड्यूलर किचन के नाम पर 65 लाख का खर्च 

Minister of State Narendra Patel

कुछ ऐसा ही बदलाव पहली बार के विधायक व मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के काशियाना बंगला बी-2 में भी किया गया। पटेल युवा हैं, खान-पान के शौकीन भी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए पीडब्ल्यूडी ने एक कदम आगे बढ़कर इस बंगले में करीब 65 लाख रुपए की लागत से मॉड्यूलर किचन व साज-सज्जा के दीगर काम कराए।

पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय: गौशाला बनाने में खर्च हुए 91 लाख 

Akash Vijayvargiya

सरकारी बंगलों को संवारने में यहां रहने वालों की पसंद का विशेष ख्याल लोक निर्माण विभाग रखता रहा है। अब शिवाजी नगर के सी—21 निवासी पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय गौसेवक हैं। इसके चलते उनके आवास पर गौशाला बनाने के साथ ही वीआईपी टॉयलेट व अन्य कामों पर खजाने से करीब 91 लाख रुपए इन ढाई सालों में खर्च किए गए। 

विधायक रमेश मेंदोला: 57 लाख रुपए से पेंट्री, टॉयलेट आदि बनवाई

MLA Ramesh Mendola

इंदौर के दिग्गज विधायक रमेश मेंदोला का बंगला नंबर सी-22 को संवारने में सरकार ने बीते करीब ढाई साल  57 लाख रुपए खर्च किए। इन पैसों में बंगले में पेंट्री, टॉयलेट निर्माण समेत साज सज्जा के अन्य काम हुए हैं। 

अफसरों के अलग ठाठ, कलेक्टर के बंगले में 76 लाख लगाए

अपने बंगलों को पसंद के मुताबिक नया लुक दिलाने में सिर्फ नेता ही नहीं कुछ अफसर भी अपने रुतबे का फायदा उठाने में पीछे नहीं हैं। भोपाल कलेक्टर आईएएस कौशलेंद्र विक्रम सिंह के 74 बंगला क्षेत्र स्थित आवास क्रमांक डी-11 को ही ले लीजिए।

इस बंगले मरम्मत और सजावट पर खजाने से करीब 76 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। पहले 40 लाख रुपए की लागत से बंगले की मरम्मत हुई। फिर करीब 36 लाख रुपए की लागत से इसकी सजावट की गई। भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अन्य अधिकारी चंद्रप्रकाश ठाकुर कौशलेंद्र के पड़ोसी हैं। उनके आवास क्रमांक डी-18 को भी करीब 71 लाख 41 हजार रुपए खर्च कर संवारा गया है।  

दफ्तरों के भी वारे-न्यारे 

मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग का मुख्यालय कहने को इंदौर में है, लेकिन आयोग अपना एक कार्यालय भोपाल के 74 बंगला क्षेत्र के आवास क्रमांक बी-14 में भी चलाता है। इसे नया लुक देने पर सरकार ने करीब एक करोड़ रुपए साल 2023 से अब तक खर्च किए।  सोचिए एक करोड़ में तो नया बंगला मय जमीन के मिल जाता। 

ऐसे ही कुछ अराजनैतिक संगठनों को भी राजधानी में सरकारी बंगले आवंटित हैं। इनमें एक है श्री भारतीय किसान संघ...। शिवाजी नगर में संघ के आवास क्रमांक डी 103/4 को संवारने में करीब 64 लाख खजाने से खर्च किए गए तो 74 बंगला क्षेत्र में अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के आवास क्रमांक बी-26 को नया लुक देने पर लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। 

ये तो महज बानगी है...

बंगले, मकान सरकारी हैं तो इनके रखरखाव का जिम्मा भी सरकार का है। लोक निर्माण विभाग के बजट में हर साल इसकी व्यवस्था होती है। कहने को राजधानी में आधा दर्जन श्रेणियों के करीब चार हजार आवास हैं,लेकिन बजट का करीब 70 फीसदी हिस्सा चंद मंत्रियों और अफसरों के बंगलों को उनकी पसंद के मुताबिक संवारने पर खर्च किया जा रहा है।

यह हम नहीं कह रहे, बल्कि हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में लोक निर्माण विभाग के मंत्री राकेश सिंह ने स्वयं इन खर्चों का खुलासा किया है। कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा के सवाल के लिखित जवाब में जो सच सामने आया, यह उसी की बानगी भर है। 

द सूत्र व्यू...

जिस प्रदेश पर चार लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है, जहां विकास कार्यों के लिए सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है, वहां सरकारी बंगलों की सजावट पर करोड़ों उड़ाना महज शगल नहीं, बल्कि जनता के साथ खुला मजाक है।

यह रकम अगर अस्पतालों, स्कूलों या रोजगार सृजन पर लगती तो कई जिंदगियां संवर सकती थीं। लेकिन अफसोस, सत्ता के गलियारों में साज-सज्जा की चमक-दमक ने जनता की जरूरतों पर स्याही फेर दी है। सरकारी धन की बर्बादी की इस मानसिकता से भी आजादी की जरूरत है।

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