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अश्वत्थामा कौन थे ?
अश्वत्थामा महाभारत काल के एक प्रसिद्ध योद्धा थे, जो कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। (अश्वत्थामा की कथा) उनके माथे पर जन्म से एक दिव्य मणि थी, जो उन्हें शक्तिशाली बनाती थी।
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अश्वत्थामा की मस्तक मणि का रहस्य
अश्वत्थामा के मस्तक मणि का रहस्य यह है कि वह भगवान शिव की कृपा से प्राप्त एक दिव्य मणि थी, (अश्वत्थामा की कहानी) जो उन्हें दैत्य, दानव, शस्त्र, व्याधि, और बुढ़ापे से निर्भय रखती थी।
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पांडवों पुत्रों की हत्या
पांडवों के पुत्रों की हत्या महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद रात के अंधेरे में अश्वत्थामा ने की थी। वह अपने पिता गुरु द्रोणाचार्य की धोखे से हुई मृत्यु का प्रतिशोध लेना चाहता था।
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भगवान कृष्ण का भयानक श्राप
अश्वत्थामा को मिला चिरंजीवी बनने का दंड वास्तव में एक श्राप था, जो भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दिया था। यह चिरंजीवी होना उनके लिए वरदान नहीं, बल्कि बहुत ज्यादा तकलीफ सहना था।
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श्राप के बाद क्या हुआ?
भगवान श्रीकृष्ण के श्राप के परिणामस्वरूप, अश्वत्थामा को अनंत काल तक दर्दनाक भटकने के लिए मजबूर होना पड़ा। (aswathama news) उनकी सबसे बड़ी पीड़ा उनके मस्तक पर बना एक भयानक और कभी न भरने वाला घाव था।
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मध्यप्रदेश में अश्वत्थामा को देखा गया
मान्यता है कि वह aswathama मध्य प्रदेश के असीरगढ़ किले के शिव मंदिर में आज भी सबसे पहले पूजा करते हैं। (अश्वत्थामा दर्शन) कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि कलयुग में मौजूद हैं अश्वत्थामा उन्होंने अश्वत्थामा को मस्तक के घाव पर लगाने के लिए हल्दी और तेल मांगते हुए देखा है।
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