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विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मंगलवार को (18 नवंबर) को तड़के 4 बजे मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए। मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मंगलवार को भस्म आरती का अद्भुत आयोजन हुआ।
भगवान महाकाल का दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी थी। सुबह सबसे पहले, सभा मंडप में वैदिक मंत्रों के साथ स्वस्ति वाचन किया गया।
इसके बाद, घंटा बजाकर भगवान महाकाल से अनुमति ली गई। फिर, गर्भगृह के पट खुलते ही पुजारियों ने भगवान का रात का श्रृंगार उतारा।
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पंचामृत से हुआ महाकाल का अभिषेक
मार्गशीर्ष महीना में बाबा महाकाल की नगरी में पट खुलने के बाद, पुजारियों ने कपूर आरती करके पूजन की शुरुआत की थी। इसके तुरंत बाद, नंदी हॉल में विराजमान नंदी जी का स्नान और पूजन हुआ। यह क्रिया बहुत ही श्रद्धा और भक्ति से की गई थी।
जल से भगवान महाकाल का अभिषेक शुरू हुआ। इसके बाद, पंचामृत से विशेष पूजन किया गया। पंचामृत से स्नान के बाद, भगवान महाकाल को अलौकिक रूप से सजाया गया। सबसे पहले उन्हें रजत का चंद्र मुकुट अर्पित किया गया। इसके साथ ही, चांदी का त्रिशूल और विभिन्न आभूषण धारण कराए गए।
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बाबा का विशेष श्रृंगार
भस्म आरती के लिए भगवान (बाबा महाकालभस्म आरती) का विशेष श्रृंगार किया गया। चंदन, भांग और सूखे मेवों (ड्रायफ्रूट्स) से उनका मनमोहक रूप बनाया गया। बाबा महाकाल ने शेषनाग का अद्भुत रजत मुकुट पहना था।
इसके अलावा, उन्हें चांदी की मुण्डमाला और रुद्राक्ष पहनाई गई। उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर अंत में, फल और स्वादिष्ट मिष्ठान का भोग भगवान को लगाया गया।
इस पावन भस्म आरती में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। भगवान को भस्म चढ़ाई गई। यह क्षण भक्तों के लिए अत्यंत सौभाग्यशाली और भावुक करने वाला होता है।
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