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बाबा महाकालभस्म आरती: उज्जैन विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में हर दिन होने वाली भस्म आरती अपने आप में अद्भुत और आलौकिक होती है, लेकिन सोमवार के दिन इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। आज आश्विन माह, शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार किया गया, जिसने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
तड़के 4 बजे खुले मंदिर के कपाट
सोमवार तड़के ठीक 4 बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कपाट खुलते ही मंदिर परिसर 'जय महाकाल' के उद्घोष से गूंज उठा। मंदिर के पंडे-पुजारियों ने सबसे पहले गर्भगृह में स्थापित सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विधिवत पूजन किया।
इसके बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया गया जिसके बाद पंचामृत पूजन किया गया। इस पूजन में दूध, दही, घी, शकर और फलों के रस के मिश्रण से बने पंचामृत से ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया गया। यह धार्मिक क्रिया न सिर्फ भगवान को शीतलता प्रदान करती है, बल्कि भक्तों के मन को भी शांति देती है।
महाकाल का अलौकिक श्रृंगार
आज के सोमवार भस्म आरती दर्शन की सबसे खास बात रही भगवान का मां महाकाली स्वरूप में श्रृंगार हुआ। पंडे-पुजारियों ने भगवान महाकाल को आभूषण अर्पित कर उन्हें मां महाकाली का दिव्य रूप दिया।
श्रृंगार से पूर्व, प्रथम घंटाल बजाकर भगवान का ध्यान करते हुए मंत्रोच्चार के साथ 'हरिओम' का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद, भांग और चंदन का लेप लगाकर भगवान के मस्तक का श्रृंगार किया गया। यह लेप महाकाल को एक विशेष शीतलता और मनमोहक रूप प्रदान करता है।
भस्म आरती की निराकार से साकार यात्रा
श्रृंगार पूरा होने के बाद, ज्योतिर्लिंग को एक कपड़े से ढांककर भस्म रमाई गई। यह भस्म महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से अर्पित की जाती है।
मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद, भगवान महाकाल निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं, जो इस आरती को विश्व प्रसिद्ध बनाता है। इस दिव्य भस्म आरती में देश-विदेश से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया।
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