महाकाल मंदिर में लगेगी टंच मशीन, दान में मिले सोने की होगी जांच

महाकाल मंदिर में भक्तों द्वारा सालभर बड़ी संख्या में सोना और चांदी के आभूषण, मूर्तियां और अन्य वस्तुओं का दान किया जाता हैं। अभी तक 23 वर्षों से यह काम पारंपरिक तौर पर सर्राफा विशेषज्ञ अशोक जड़िया व उनकी टीम द्वारा किया जा रहा था।

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Sandeep Kumar
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mp news: मध्य प्रदेश के महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त सोना-चांदी जैसे कीमती धातुओं का दान करते हैं। इस दान में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मंदिर प्रबंधन समिति ने अब टंच मशीन लगाने का निर्णय लिया है। इससे दान की गई वस्तुओं की शुद्धता और वास्तविकता की जांच संभव हो सकेगी। 

अभी तक 23 वर्षों से यह काम पारंपरिक तौर पर सर्राफा विशेषज्ञ अशोक जड़िया व उनकी टीम द्वारा किया जा रहा था। हालांकि, अब वैज्ञानिक तरीकों से सत्यापन के लिए XRF आधारित मशीन खरीदी जाएगी। यह मशीन कुछ ही सेकंड में धातु की रचना की सटीक जानकारी देती है।

समिति का उद्देश्य नकली या मिलावटी धातुओं की पहचान कर दान प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है। यह पहल देश के अन्य बड़े मंदिरों की तरह तकनीकी सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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मंदिर समिति का ऐतिहासिक निर्णय

महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की हालिया बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दान में आने वाली सोने-चांदी की वस्तुओं की जांच अब ‘टंच मशीन’ से की जाएगी। यह मशीन धातु की शुद्धता को बिना नुकसान पहुंचाए सेकंडों में परख सकती है। इसका उपयोग देश के कई बड़े मंदिरों और ज्वेलरी शॉप्स में पहले से किया जा रहा है।

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पारंपरिक विशेषज्ञों की भूमिका

करीब 23 वर्षों से अशोक जड़िया और उनके परिवार ने मंदिर में दान की गई धातुओं की जांच की है। उनका मानना है कि मानवीय अनुभव आज भी मशीनों से बेहतर है। उन्होंने कहा कि सोने-चांदी की शुद्धता आंखों से देखकर ज्यादा सटीक बताई जा सकती है। हालांकि, अब तकनीक के साथ यह प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी बन सकती है।

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कैसे काम करती है टंच मशीन

टंच मशीन, जिसे XRF मशीन भी कहा जाता है, धातु की सतह पर X-Ray भेजकर उसकी संरचना का विश्लेषण करती है। इससे सोना, चांदी, तांबा आदि की मात्रा की जानकारी मिलती है। इसके अलावा एसिड टेस्ट, टच स्टोन टेस्ट, फायर एस्से और अल्ट्रासोनिक टेस्ट जैसे तरीके भी पारंपरिक या वैज्ञानिक रूप से शुद्धता मापने में उपयोग किए जाते हैं।

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दान की जांच से होंगे ये फायदे

टंच मशीन की मदद से मंदिर में नकली या मिलावटी धातुओं की पहचान हो सकेगी, जिससे दान की पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही मंदिर प्रशासन को दान की गई वस्तुओं का सही मूल्यांकन करने में भी आसानी होगी। श्रद्धालुओं का विश्वास भी इस कदम से और मजबूत होगा।

जल्द खरीदी जाएगी मशीन

फिलहाल मंदिर समिति से टंच मशीन लगाने की स्वीकृति मिल चुकी है। अब मशीन की खरीदी की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। जैसे ही मशीन मंदिर में लगेगी, सभी धातु की वस्तुओं की शुद्धता की जांच उसी समय संभव होगी। इससे मंदिर में पारदर्शिता की एक नई परंपरा की शुरुआत होगी।

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