BHOPAL. उज्जैन का विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम- 1982 जल्द ही बदलने वाला है ( Mahakaleshwar Temple Act will change ) । महाकाल समेत उज्जैन के मंदिरों के लिए अब एक एक्ट लागू किया जाएगा। मंदिर समिति के काम में भी काफी बदलाव हो गए हैं। पुराने अधिनियम में बदलाव से क्षेत्र का सही मायने में विकास संभव हो पाएगा। अभी यह अधिनियम महाकाल मंदिर परिसर पर ही लागू होता है, जबकि उज्जैन में 50 से ज्यादा विश्वप्रसिद्ध मंदिर और श्रद्धा स्थल हैं। नया अधिनियम पूरे उज्जैन ( Mahakal temple New Rule ) के विकास के लिए बनाया जाएगा।
महाकाल समेत उज्जैन के मंदिरों के लिए अब एक एक्ट
महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम- 1982 पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। सरकारी स्तर पर इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। ड्राफ्ट पूरी तरह से तैयार होने के बाद इसे विधानसभा में लाया जाएगा। बता दें, पुराने अधिनियम में मंदिर का सारा कामकाज, प्रबंधन, पुजारियों, पंडों, सेवकों की व्यवस्था, मंदिर को मिलने वाले दान, मंदिर में श्रद्धालुओं व दर्शन की व्यवस्थाएं मंदिर प्रबंधन समिति को दी गई थी।
मंदिर अधिनियम-1982 में ये बदलाव होंगे
मंदिर की परिभाषा बदलेगी
अधिनियम में मुख्य रूप से मंदिर की परिभाषा बदलनी होगी। अभी मंदिर का अर्थ महाकाल मंदिर परिसर में स्थित 17 प्रमुख मंदिर और मूर्तियां हैं। बदलाव के बाद मंदिर का अर्थ उज्जैन तीर्थक्षेत्र के सभी मंदिर हो जाएगा। कालभैरव, हरसिद्धि, मंगलनाथ, गुरु संदीपनि आश्रम, गढ़कालिका, चिंतामण गणेश और 84 महादेव मंदिर आदि इसमें शामिल हो जाएंगे।
विकास कार्य में खर्च होगी आय
दान राशि का उपयोग का क्षेत्र के विकास कार्य और सेवा कार्यों तक विस्तारित किया जाना है। इससे सभी मंदिरों की आय बढ़ाकर उस राशि से विभिन्न सेवाकार्य शुरू किए जा सकते हैं।
अब मंदिरों में मिलेगा रोजगार
मंदिर समिति को इंफ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक, शिक्षा और सेवा कार्यों तक के काम दिए जाएंगे। मंदिरों को रोजगार से जोड़ा जाएगा। मूर्तिशिल्प, हस्तशिल्प जैसी कलाओं का विकास कर बड़ी संख्या में रोजगार पैदा किया जा सकता है।
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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर फिर अर्पित कर सकेंगे जल
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर अब श्रद्धालु जल अर्पित कर सकेंगे। जल पात्र के माध्यम से श्रद्धालुओं द्वारा पात्र में चढ़ाया गया जल श्रीमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर अर्पित होगा। इसके लिए मंदिर के सभा मंडप और कार्तिकेय मंडप में दो जल पात्र शुक्रवार को रख दिए गए हैं। इसमें भक्त जल, पात्र में डालेंगे तो वो जल सीधे शिवलिंग पर अर्पित होगा। भक्त सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक भगवान महाकाल को जल अर्पित कर सके इसके लिए मंदिर समिति ने लौटा और जल उपलब्ध करवाएगी।