/sootr/media/media_files/2025/01/04/gChB7GDNlSK7krIeNbiG.jpg)
उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में अवैध तरीके से दर्शन कराने और भस्म आरती की परमिशन में बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। पुलिस जांच में अब तक 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें मंदिर के कर्मचारी, आउटसोर्स कर्मचारी और मीडिया कर्मी शामिल हैं।
जांच में पता चला कि मंदिर की आईटी शाखा के कर्मचारी नियमों का उल्लंघन कर भस्म आरती की परमिशन समयसीमा के बाद भी जारी करते थे। ऐसा करते हुए वे एडीएम की आईडी को ब्लॉक कर देते थे और मंदिर की आईडी से अतिरिक्त परमिशन बनाते थे।
भस्म आरती परमिशन में कैसे होता था खेल
मंदिर और एडीएम को भस्म आरती के लिए विशेष लॉगिन आईडी दी गई थी। शाम 7 बजे के बाद इन आईडी का उपयोग प्रतिबंधित था, लेकिन आईटी शाखा के कर्मचारियों ने इन नियमों का उल्लंघन किया। जब मंदिर की आईडी पर सीटें भर जाती थीं, तो एडीएम की आईडी का उपयोग किया जाता था।
जांच में यह भी सामने आया कि पुजारियों, जनप्रतिनिधियों, मीडिया और अन्य विभागों के लिए निर्धारित 1300 सीटों की सीमा का उल्लंघन करते हुए 2000 तक की परमिशन दी जाती थी।
गिरफ्तारियां और कार्यवाही
अब तक, पुलिस ने 13 लोगों को आरोपी बनाया है। इनमें प्रमुख रूप से आईटी प्रभारी राजकुमार सिंह, भस्म आरती निरीक्षक रितेश शर्मा, प्रोटोकॉल अधिकारी अभिषेक भार्गव और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
रिमांड पर खुलासे और नए आरोपी
भस्म आरती प्रभारी रितेश शर्मा से पूछताछ में कई नई जानकारियां सामने आई हैं। इसमें ट्रैवल एजेंसियों, फूल प्रसादी विक्रेताओं, निजी गार्ड्स और मीडिया कर्मियों की मिलीभगत का पता चला है।
एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि गुरुवार को पांच नए आरोपियों को जोड़ा गया है। इनमें व्यवस्थापक, क्रिस्टल कंपनी का सुपरवाइजर करण राजपूत, मीडियाकर्मी पंकज शर्मा और अन्य शामिल हैं।
भस्म आरती में अधिक परमिशन कैसे दी जाती थी
मंदिर में आग लगने के बाद प्रशासन ने कार्तिक मंडपम, गणेश मंडपम और नंदी हाल में सिर्फ 1300 भक्तों को बैठाने की सीमा तय की थी। शुरुआत में इसका पालन हुआ, लेकिन बाद में 1700 से 2000 तक भक्तों को अनुमति दी जाने लगी।
FAQ
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक