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उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सावन के पहले दिन भगवान महाकाल का शृंगार विशेष रूप से किया गया। देशभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में महाकालेश्वर मंदिर में विशेष दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं ने 3 बजे महाकालेश्वर मंदिर में विशेष दर्शन की व्यवस्था के तहत बाबा महाकाल का दर्शन किया।
मंदिर में भस्म आरती की गई जिसके बाद भगवान महाकाल के मस्तक पर त्रिपुंड और त्रिनेत्र लगाया गया और उनका शृंगार एक नए रूप में किया गया। महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में चल रहे इस शृंगार के समय भगवान महाकाल का पंचामृत पूजन-अभिषेक किया गया।
इस अभिषेक में दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बने पंचामृत का अर्पण किया गया। इसके बाद मंदिर में घंटाल बजाकर भगवान महाकाल का पूजन किया गया और फिर कपूर आरती के साथ भक्तों ने दर्शन किए।
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त्रिपुंड-त्रिनेत्र का महत्व
श्री महाकालेश्वर मंदिर में सावन के पहले दिन भगवान महाकाल का शृंगार विशेष रूप से किया गया। इस शृंगार की एक प्रमुख विशेषता थी कि बाबा महाकाल के मस्तक पर त्रिपुंड और त्रिनेत्र का आलंकरण किया गया।
त्रिपुंड का अर्थ है तीन रेखाएं जो भगवान शिव के माथे पर लगाई जाती हैं, जबकि त्रिनेत्र का अर्थ है तीन नेत्र, जो भगवान शिव की विशेष पहचान मानी जाती है।
इस शृंगार ने बाबा महाकाल के रूप को और भी आकर्षक बना दिया, जिससे श्रद्धालुओं को एक अद्भुत अनुभव हुआ। इस विशेष अवसर पर बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए।
भक्तों ने बाबा महाकाल के दिव्य रूप को नमन किया और उनके साथ जय महाकाल के उद्घोष से मंदिर परिसर गूंज उठा।
भस्म आरती का आयोजन
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है। इसे हर दिन प्रात:काल 3 बजे किया जाता है। इस आरती के समय, भगवान महाकाल को भस्म से शृंगारित किया जाता है और भक्तों को इसका दर्शन प्राप्त होता है।
इस बार भस्म आरती में चलित दर्शन व्यवस्था की शुरुआत की गई, जिसमें श्रद्धालु चलते हुए भगवान महाकाल के दर्शन कर सकते थे।
मंदिर प्रशासन ने इस बार कार्तिकेय मंडपम में तीन कतारों की व्यवस्था की, जिससे श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के भस्म आरती में भाग ले सकें। इसके चलते मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और भगवान महाकाल के दर्शन के साथ आशीर्वाद प्राप्त किया।
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भस्म आरती का महत्व
महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह आरती भगवान शिव की आराधना का एक अद्भुत तरीका है।
विशेष रूप से इस भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को भस्म से शृंगारित किया जाता है, जो उनके अजेय रूप का प्रतीक मानी जाती है। श्रद्धालुओं को इस आरती के दौरान भगवान महाकाल के साथ एक अद्भुत अनुभव प्राप्त होता है।
ऐसी रहेगी दर्शन व्यवस्था
महाकालेश्वर मंदिर में सावन के महीने में भस्म आरती का समय बदला गया है। अब सावन के प्रत्येक सोमवार को भस्म आरती सुबह ढाई बजे शुरू होगी, जबकि अन्य दिनों में यह सुबह 3 बजे से होगी।
इस बदलाव का उद्देश्य श्रद्धालुओं को बेहतर दर्शन प्रदान करना है। वर्तमान में, भस्म आरती में 1600 से 1700 श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस व्यवस्था के तहत, कार्तिक मंडपम को खाली रखा जाएगा, ताकि श्रद्धालु बिना किसी रुकावट के बाबा के दर्शन कर सकें।
इसके अलावा, सावन और भादौ माह में बाबा की सवारी भी निकाली जाती है। इस वर्ष सवारी 14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त को होगी, जबकि भादौ माह में 11 अगस्त को पंचम सवारी और 18 अगस्त को शाही सवारी निकाली जाएगी। पुलिस प्रशासन ने सवारी के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
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