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माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल में ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के कार्यक्रम के दौरान कुलसचिव और प्राध्यापकों द्वारा ABVP का गमछा पहनने को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। इस विवाद में अब कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कूद पड़े हैं। उन्होंने सवाल उठाए हैं कि ABVP के पदाधिकारियों में कितने अल्पसंख्यक हैं और क्या सरकारी पदाधिकारी ABVP के सदस्य हो सकते हैं। इसके साथ ही NSUI ने भी जोरदार विरोध किया और यूनिवर्सिटी के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए।
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दिग्विजय सिंह ने रजिस्ट्रार से मांगा जवाब
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा, "क्या ABVP भारतीय संविधान में दिए गए समान अधिकारों का समर्थन करती है?" इसके अलावा, उन्होंने पूछा कि ABVP के पदाधिकारियों में कितने अल्पसंख्यक हैं और क्या रजिस्ट्रार भी ABVP के सदस्य हैं? दिग्विजय सिंह ने यह भी पूछा कि क्या सरकारी अधिकारियों को किसी राजनीतिक संगठन के कार्यक्रम में भाग लेने की छूट है और मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव इस मामले में कार्रवाई करेंगे या नहीं?
क्या ABVP बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान में जो सभी को समान अधिकार देने का Preamble में प्रावधान है उसका समर्थन करती है? यदि हाँ तो अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाना बंद करें। समरसता दिवस मनाना है तो आपके पदाधिकारियों में कितने अल्पसंख्यक हैं? रजिस्ट्रार महोदय क्या आप भी ABVP… https://t.co/CHtIdaR0DP
— Digvijaya Singh (@digvijaya_28) December 12, 2024
कुलसचिव-प्रोफेसर की भागीदारी पर बवाल
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में ABVP के इकाई गठन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. अविनाश बाजपेई और प्रोफेसर डॉ. आशीष जोशी भी शामिल हुए। दोनों ने ABVP का गमछा पहना, जिसके बाद यह विवाद शुरू हुआ। NSUI ने आरोप लगाया कि सरकारी पदाधिकारियों और यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारियों को किसी भी राजनीतिक संगठन के कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए।
NSUI ने किया विरोध
इस विवाद के बाद NSUI ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने निदेशक प्रोडक्शन डॉ. आशीष जोशी की नेम प्लेट पर कालिख पोत दी और उस पर 'सहायक एबीवीपी' लिख दिया। यह प्रदर्शन तब और उग्र हो गया जब ABVP ने एक पोस्टर लगाया जिसमें लिखा था - "Dogs & NSUI Goons Not Allowed" (कुत्तों और एनएसयूआई के गुंडों को प्रवेश की अनुमति नहीं)। इस पोस्टर के बाद NSUI के कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश देखने को मिला।
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क्या है पूरा मामला और विवाद की जड़?
इस विवाद की शुरुआत ABVP के इकाई गठन कार्यक्रम से हुई। यूनिवर्सिटी के कुलसचिव और प्रोफेसरों ने इसमें भाग लिया और ABVP का गमछा पहना। NSUI का आरोप है कि सरकारी कर्मचारियों और यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को किसी राजनीतिक संगठन के साथ नहीं जुड़ना चाहिए। दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे को लेकर शासन और प्रशासन पर कई सवाल दागे। उन्होंने पूछा कि क्या शासकीय सेवाओं में अधिकारियों को राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट है और क्या मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव इस मामले पर कार्रवाई करेंगे।
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