मालेगांव बम विस्फोट मामला: NIA ने की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को फांसी देने की मांग

मालेगांव बम ब्लास्ट केस में बीजेपी नेता और पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर समेत 7 आरोपियों के खिलाफ NIA ने स्पेशल कोर्ट से मौत की सजा की मांग की है।

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Sourabh Bhatnagar
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Sadhvi Pragya Singh Thakur nia
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2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मुंबई के विशेष अदालत से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 16 के तहत फांसी की सजा देने का की मांग की है। हमले के आरोपियों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नेता और पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी शामिल हैं। यह मामला 17 वर्षों से चल रहा है और इस बम विस्फोट में छह मुस्लिम नागरिकों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।

क्या है पूरा मामला

मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामला महाराष्ट्र के मालेगांव क्षेत्र में हुआ था, जिसमें आतंकवादी गतिविधियों के आरोप में कुछ हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। शुरुआत में महाराष्ट्र एटीएस (एंटी टेररिज़्म स्क्वाड) ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी माना था। लेकिन बाद में NIA ने इस मामले की जांच शुरू की, और मामले में कई मोड़ आए। 7 आरोपियों पर हिंदुत्व विचारधारा से जुड़ी साजिश का आरोप लगाया गया है, जिसमें साध्वी प्रज्ञा, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी, स्वामी दयानंद पांडे और सुधाकर चतुर्वेदी शामिल हैं।

NIA ने दी ये दलीलें

NIA ने अपनी दलील में कहा कि आरोपियों ने एक साजिश के तहत विस्फोट की योजना बनाई थी और उसे अंजाम दिया था। एंजेसी ने अदालत से नरमी न बरतने की अपील करते हुए आरोपियों को मौत की सजा की मांग की। NIA ने कहा कि यह आतंकी गतिविधि थी जिसमें निर्दोष लोगों की जान गई। एजेंसी का कहना है कि इस मामले में कुल 323 गवाहों में से 32 गवाहों ने कथित दबाव में आकर अपने बयान वापस ले लिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आरोपियों को इस मामले में कोई फायदा मिल सकता है।

अदालत का निर्णय

मामले की सभी दलीलें पूरी होने के बाद शनिवार को NIA ने अपनी अंतिम दलील 1500 पृष्ठों में अदालत में प्रस्तुत की। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और जज एके लाहोटी द्वारा 8 मई को फैसला सुनाया जाएगा।

साध्वी प्रज्ञा पर क्या हैं आरोप

NIA ने प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ पहले यह तर्क दिया था कि उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं, लेकिन अब एजेंसी ने अपना रुख बदलते हुए कहा है कि साध्वी प्रज्ञा इस साजिश में सीधे तौर पर शामिल थीं। प्रज्ञा ठाकुर ने इस साजिश की बैठकों में हिस्सा लिया साथ ही उनकी मोटरसाइकिल एलएमएल फ्रीडम का इस्तेमाल बम लगाने में हुआ था।

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जमीयत उलेमा का बयान

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महाराष्ट्र के लीगल सेल के वकील शाहिद नदीम ने इस मामले में कहा कि एजेंसी ने UAPA की धारा 16 का हवाला देते हुए आरोपियों के लिए सख्त सजा की अपील की है। अगर किसी आतंकवादी गतिविधि के परिणामस्वरूप मौत होती है तो दोषी को मौत की सजा दी जा सकती है। जमीयत के सीनियर वकील शरीफ शेख ने भी साध्वी प्रज्ञा की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए और कहा कि उनकी मौजूदगी और संलिप्तता इस मामले में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

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