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MP News : मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले प्रोफेसर और अन्य शैक्षिक स्टाफ के लिए एक अहम आदेश जारी किया गया है। इस नए आदेश के तहत, अब कॉलेज में कम से कम 6 घंटे रुकना अनिवार्य होगा। अगर स्टाफ सदस्य 6 घंटे से कम समय कॉलेज में रहते हैं, तो उनका वेतन कट जाएगा। यह आदेश उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया है और इसका पालन करना सभी के लिए आवश्यक होगा।
आदेश में क्या है
हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी कॉलेजों के प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों, असिस्टेंट प्रोफेसरों, और अन्य शिक्षण स्टाफ के लिए नया आदेश जारी किया। इसके तहत, कॉलेज में काम करने के लिए कम से कम 6 घंटे रुकना अनिवार्य होगा। यह आदेश अब लागू हो चुका है और इसे सख्ती से लागू करने के लिए सभी कॉलेजों के प्राचार्यों और डीडीओ को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
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इस आदेश का मुख्य उद्देश्य कॉलेजों में शैक्षिक कार्य की नियमितता और छात्रों को बेहतर शैक्षिक वातावरण प्रदान करना है। उच्च शिक्षा मंत्री इंद्र सिंह परमार के निर्देशों के बाद यह आदेश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि अब से कॉलेजों की उपस्थिति रिकॉर्ड के आधार पर सैलरी शीट तैयार की जाएगी।
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वेतन में कटौती की नीति
यदि कोई शिक्षक या स्टाफ सदस्य कॉलेज में निर्धारित समय से कम रुकते हैं, तो उनका वेतन कट जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सभी शिक्षकों का समय कॉलेज में सही तरीके से बिताया जाए और छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके। इस कदम से यह भी अपेक्षित है कि कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
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विभागीय आदेश का पालन
विभागीय आदेश के अनुसार, अप्रैल माह के वेतन का भुगतान मई में केवल उन कर्मचारियों को किया जाएगा, जिन्होंने आदेश के अनुसार 6 घंटे कॉलेज में बिताए होंगे। यदि इस आदेश का पालन नहीं किया गया, तो संबंधित प्राचार्य और डीडीओ की जिम्मेदारी होगी कि वे इसका पालन सुनिश्चित करें। उच्च शिक्षा विभाग ने कहा है कि यह आदेश कड़ी निगरानी के तहत लागू किया जाएगा।
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क्या है इसके पीछे का उद्देश्य?
इस आदेश का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों की उपस्थिति में सुधार करना है, ताकि छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल सके। साथ ही, कॉलेजों में समय की पाबंदी सुनिश्चित करने और शिक्षण कार्य को बेहतर बनाने की दिशा में यह खास कदम है।
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